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बन्द सीमाओं और विरोध के बजाय, शरणार्थियों के लिए समर्थन व एकजुटता की दरकार

जॉर्डन मेंं सीरियाई शऱणार्थियों को सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े दिए गए हैं. (फ़ाइल)
© UNICEF/Christopher Herwig
जॉर्डन मेंं सीरियाई शऱणार्थियों को सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े दिए गए हैं. (फ़ाइल)

बन्द सीमाओं और विरोध के बजाय, शरणार्थियों के लिए समर्थन व एकजुटता की दरकार

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार, 20 जून, को ‘विश्व शरणार्थी दिवस’ के अवसर पर अपने सन्देश में शरणार्थियों को फिर से बसाने और उनके जीवन को फिर से पटरी लाने के लिए कारगर समाधानों की पुकार लगाई है.  

विश्व भर में जबरन विस्थापन का शिकार लोगों की संख्या 11 करोड़ के आँकड़े को पार कर गई है, जोकि एक रिकॉर्ड है.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि शरणार्थी समर्थन व एकुजटता के हक़दार हैं, बन्द सीमाओं और विरोध के नहीं.

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साथ ही, उन्होंने शरणार्थियों को शरण प्रदान करने वाले देशों और समुदायों के साथ भी एकजुटता दर्शाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया. 

यूएन प्रमुख ने विश्व भर में शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र आगाह किया कि यह केवल किसी पन्ने पर लिखी गई कोई संख्या नहीं है.

“ये लोग कठिन यात्राएँ करने वाली महिलाएँ, बच्चे और पुरुष हैं, जिन्हें अक्सर हिंसा, शोषण, भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है.” 

“यह दिवस हमें शरणार्थियों की रक्षा और उन्हें समर्थन प्रदान करने के प्रति हमारे कर्तव्य और उनके लिए समर्थन के और रास्ते खोजने के दायित्व को ध्यान दिलाता है.”

इस वर्ष, विश्व शरणार्थी दिवस की थीम है: घर से दूर रहते हुए उम्मीद.

उम्मीद को सहारा

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने एक दशक तक, शऱणार्थी मामलों के लिए यूएन एजेंसी (UNHCR) की बागडोर सम्भाली थी. 

उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि शऱणार्थियों के दिलों में बसी उम्मीदों को संवारे जाने के लिए प्रयास करने होंगे.  

उधर, यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैन्डी फ़िलहाल केनया में विशाल काकुमा शरणार्थी शिविर का दौरा कर रहे हैं.

उन्होंने वहाँ से बताया कि हमारे समुदायों के सभी स्तरों पर – स्कूलों, कार्यस्थलों, स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों और उनसे परे -- शरणार्थियों का समावेश करने के लिए निवेश व प्रतिबद्धता को मज़बूती दी जानी होगी.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने अपने एक ट्वीट सन्देश में क्षोभ प्रकट किया किया कि इस वर्ष शरणार्थी दिवस ऐसे समय में मनाया जा रहा है जब सूडान से पाँच लाख लोगों को जान बचाने के लिए पड़ोसी देशों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

“अगर लोगों के इस गमन को रोकना है, तो बन्दूकों को शान्त करना होगा.”

खाद्य असुरक्षा की चपेट में

संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी (IOM) ने अपने एक वक्तव्य में हिंसक टकराव में जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों का रुख़ करने वाले लोगों की मज़बूती व सुदृढ़ता का सम्मान किया है.

यूएन एजेंसी के अनुसार, वर्ष 2001 के बाद से अब तक, सुरक्षा व संरक्षण के लिए घर छोड़ने वाले 10 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया है. 

इनमें वे सात लाख शरणार्थी भी हैं, जिन्हें फिर से बसाया जा रहा है.

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की प्रमुख सिंडी मैक्केन ने अपने ट्वीट सन्देश में कहा कि हिंसक टकराव और जलवायु झटकों के कारण, अधिक से अधिक संख्या में लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है और वे बेघर हो रहे हैं.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यूएन एजेंसी अपने साझेदार संगठनों के साथ मिलकर 40 से अधिक देशों में शरणार्थियों तक महत्वपूर्ण सहायता पहुँचाने के लिए प्रयासरत है.