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यूक्रेन संकट: मानवीय राहत ज़रूरतों में तेज़ उछाल, यूएन एजेंसियों की चेतावनी

यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ में स्थानीय लोगों ने एक सब-वे स्टेशन पर शरण ली हुई है. (24 फ़रवरी 2022)
© UNICEF/Vyacheslav Ratynskiy/UNIAN
यूक्रेन की राजधानी कीएफ़ में स्थानीय लोगों ने एक सब-वे स्टेशन पर शरण ली हुई है. (24 फ़रवरी 2022)

यूक्रेन संकट: मानवीय राहत ज़रूरतों में तेज़ उछाल, यूएन एजेंसियों की चेतावनी

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने यूक्रेन में रूस के तथाकथित विशेष सैन्य अभियान के बाद उपजी परिस्थितियों पर सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए आगाह किया कि हताहत आम नागरिकों की संख्या और बुनियादी ढाँचे को पहुँची क्षति बेहद चिन्ताजनक है. यूएन एजेंसियों के अनुसार, बड़ी संख्या में शरणार्थी यूक्रेन से अन्य योरोपीय देशों का रुख़ कर रहे हैं और उनके मेज़बान देशों पर बोझ बढ़ने की सम्भावना है.

मानवीय राहत मामलों में संयोजन और आपात सहायता मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सोमवार को जिनीवा से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के ज़रिये सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को यूक्रेन में हालात से अवगत कराया.

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अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में मानवीय ज़रूरतें तेज़ी से बढ़ी हैं, आम नागरिकों की मौत हुई है, बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं, जिनमें महिलाएँ व बच्चे भी हैं.

अनेक इलाक़ों में बमबारी से घरों व बुनियादी ढाँचे को भीषण क्षति पहुँची है.  पर चर्चा

इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने रविवार को बताया था कि अब तक 405 आम लोगों के हताहत होने की ख़बरें हैं. इनमें कम से कम 102 मृतक हैं और वास्तविक आँकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है.   

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स के मुताबिक़, कम से कम एक लाख 60 हज़ार लोग घरेलू विस्थापन का शिकार हुए हैं.

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात बेहद निराशाजनक हैं और आने वाले दिनों में बदतर हो सकते हैं.

हवाई हमलों और लड़ाई से शहरी इलाक़ों में नागरिक प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुँचा है और स्वास्थ्य, बिजली, जल व साफ़-सफ़ाई जैसी बुनियादी सेवाओं में व्यवधान आया है.

कई इलाक़ों में पुल और सड़कें ध्वस्त हो गई हैं, जिससे स्थानीय लोगों के लिये अति-आवश्यक सामग्री व सेवाओं की सुलभता पर असर पड़ा है. कीएफ़ और ख़ारकिफ़ जैसे शहरों में यह विशेष रूप से चिन्ताजनक है.

आपात राहत समन्वयक ने सभी पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का सम्मान और सैन्य अभियानों के दौरान प्रति पल, आम नागरिकों व नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने का आग्रह किया है.

उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मौजूदा हालात जितना लम्बा खिंचते हैं, आम लोगों को इसकी उतनी ही बड़ी क़ीमत चुकानी होगी.  

मानवीय सहायता के लिये सक्रिय प्रयास

मानवीय राहत मामलों के प्रमुख ने कहा कि स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने में राहतकर्मी पूरा प्रयास कर रहे हैं.

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि यूक्रेन में ज़रूरतमन्दों तक मानवीय सहायता अभियान का दायरा व स्तर जल्द से जल्द बढ़ाये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों में मानवीय सहायताकर्मियों की आवाजाही में मुश्किलें पेश आई हैं और युद्धरत पक्षों से यह आश्वासन नहीं मिल पाया है कि सहायता गतिविधियों की रक्षा की जाएगी.

यूक्रेन में बढ़ती ज़रूरतों के मद्देनज़र, यूएन महासचिव मंगलवार को एक मानवीय राहत अपील जारी करेंगे, जिसके दो घटक होंगे.

देश के भीतर हालात पर तीन महीने की अवधि के लिये औचक अपील के साथ-साथ, देश के बाहर क्षेत्रीय स्तर पर, यूएन शरणार्थी एजेंसी के नेतृत्व में शरणार्थी सहायता कार्रवाई योजना भी पेश की जाएगी.

शरणार्थियों की बढ़ती संख्या

शरणार्थी मामलों के लिये यूएन एजेंसी (UNHCR) के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैण्डी ने सुरक्षा परिषद को बताया कि यूक्रेन में घटनाक्रम तेज़ी से बदल रहा है, जोखिम का स्तर बहुत अधिक है, और राहतकर्मियों के लिये व्यवस्थित ढँग से मदद प्रदान कर पाना असम्भव है.

उन्होंने कहा कि यूक्रेन में गम्भीर हालात की वजह से, लाखों लोग पड़ोसी देशों में शरण की कोशिश कर रहे हैं.

“उन्हें सर्वप्रथम सुरक्षा व संरक्षण की ज़रूरत है, लेकिन आश्रय, भोजन, स्वच्छता व अन्य सहारा भी चाहिये, और यह तत्परता से चाहिये.”

बताया गया है कि यूक्रेन से पड़ोसी देशों में पाँच लाख 20 हज़ार लोग पहुँचे हैं और यह आँकड़ा तेज़ी से हर घण्टे बढ़ रहा है.

मोल्दोवा और यूक्रेन की सीमा पर स्थित एक अस्थाई शरणार्थी केंद्र में एक परिवार.
© UNICEF/Constantin Velixar
मोल्दोवा और यूक्रेन की सीमा पर स्थित एक अस्थाई शरणार्थी केंद्र में एक परिवार.

दो लाख 80 हज़ार से अधिक लोगों ने पोलैण्ड में शरण ली है, 94 हज़ार हंगरी पहुँचे हैं, 40 हज़ार मोल्दोवा में हैं, 34 हज़ार रोमानिया में हैं जबकि 30 हज़ार लोग स्लोवाकिया पहुँचे हैं.

इसके अलावा, हज़ारों लोग अन्य योरोपीय देशों में हैं, और एक हिस्सा रूसी महासंघ भी पहुँचा है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख ने देशों की सरकारों से सुरक्षा व शरण की तलाश में आने वाले लोगों के लिये दरवाज़े खुले रखने का आग्रह किया है – ना सिर्फ़ यूक्रेन के नागरिकों के लिये बल्कि वहाँ रहने वाले अन्य देशों के नागरिकों के लिये भी.

उन्होंने स्पष्ट किया कि इस समय किसी भी व्यक्ति या समूह के विरुद्ध किसी प्रकार का भेदभाव नहीं हो सकता है.

शरण देने वाले देशों के लिये चुनौती

फ़िलिपो ग्रैण्डी ने सचेत किया कि हिंसा व टकराव पर तत्काल विराम के अभाव में, यूक्रेन की जनता जान बचाकर भागने के लिये विवश होती रहेगी.

आने वाले दिनों में शरणार्थियों का आँकड़ा बढ़कर 40 लाख तक पहुँच जाने की आशंका है, जिससे मेज़बान देशों के लिये एक बड़ी चुनौती पैदा हो सकता है.

उन्होंने आगाह किया कि यूक्रेन से आने वाले लोगों को शरण देने वाले देशों को अकेले इस भार को सहने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता है.

यूक्रेन में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोग पोलैण्ड और स्लोवाकिया समेत पड़ोसी देश पहुँच रहे हैं.
© UNICEF/Yanosh Nemesh/UNIAN
यूक्रेन में हिंसा के कारण बड़ी संख्या में लोग पोलैण्ड और स्लोवाकिया समेत पड़ोसी देश पहुँच रहे हैं.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने मंगलवार को यूएन महासचिव की ओर से जारी की जाने वाली अपील का ज़िक्र किया. साथ ही योरोप में यूक्रेन से आने वाले नागरिकों के लिये अस्थाई संरक्षण निर्देशिका को सक्रिय किये जाने का स्वागत किया.

इसके ज़रिये, योरोपीय संघ में ज़रूरतमन्दों तो तत्काल, अस्थाई शरण मुहैया कराई जा सकती है, और इससे योरोपीय संघ के सदस्य देश इस ज़िम्मेदारी को आपस में बाँट सकेंगे.