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टिकाऊ भविष्य के लिए कार्रवाई में, शहरों की अहम भूमिका

सार्वजनिक हरित स्थलों को बढ़ावा देने का जैवविविधता, जलवायु, स्वास्थ्य और वायु गुणवत्ता पर सकारात्मकअसर होता है.
© Unsplash/Nerea Martí Sesarin
सार्वजनिक हरित स्थलों को बढ़ावा देने का जैवविविधता, जलवायु, स्वास्थ्य और वायु गुणवत्ता पर सकारात्मकअसर होता है.

टिकाऊ भविष्य के लिए कार्रवाई में, शहरों की अहम भूमिका

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया है कि एक टिकाऊ भविष्य के लिए प्रयासों में, शहरों की महत्वपूर्ण भूमिका है और यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि प्रभावी बहुपक्षवाद का लाभ सर्वजन तक पहुँचे. महासचिव ने टिकाऊ शहरीकरण पर केन्द्रित यूएन एजेंसी – यूएन पर्यावास (UN-Habitat) ऐसेम्बली के दूसरे सत्र के दौरान सोमवार को अपने वीडियो सम्बोधन में यह बात कही है.

यूएन हैबिटाट ऐसेम्बली का यह सत्र, 5-9 जून तक केनया की राजधानी नैरोबी में, केनया सरकार और यूएन पर्यावास संगठन के सहयोग से आयोजित हो रहा है.

इस सत्र की थीम है: समावेशी व कारगर बहुपक्षवाद के ज़रिए, एक सतत शहरी भविष्य: वैश्विक संकट काल में टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति.

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यूएन प्रमुख ने अपने सन्देश में कहा कि टिकाऊ विकास लक्ष्यों को साकार करने, नए शहरी एजेंडा को वास्तविकता में बदलने और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को लागू करने में, शहरों की अग्रिम भूमिका होगी.

“शहर, बेहद अहम रणक्षेत्र हैं. वे वैश्विक उत्सर्जनों का 70 प्रतिशत पैदा करते हैं. विश्व की आधी आबादी वहाँ बसती है और 2050 तक, वे दो अरब से अधिक अतिरिक्त लोगों का निवास होंगे.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी के ‘हमारा साझा एजेंडा’ -- टिकाऊ विकास लक्ष्यों के लिए कार्रवाई का ब्लू प्रिंट -- में एक अधिक समावेशी और स्फूर्त बहुपक्षवाद की पुकार लगाई गई है.

गम्भीर चुनौतियाँ

साथ ही, भावी चुनौतियों से लड़ने में शहरों और अन्य स्थानीय प्राधिकरणों की अति-अहम भूमिका होगी.

“शहरों को उनकी भूमिका निभाने देने के लिए ऐसा बहुपक्षवाद आवश्यक है, ताकि उन्हें अधिक सुदृढ़, समावेशी और सतत बनाने के लिए वित्त पोषण, सूचना और समर्थन की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.”

महासचिव ने आगाह किया कि विषमताएँ गहरा रही हैं, वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है, जिसके विनाशकारी असर दिखाई दे रहे हैं.

बढ़ते क़र्ज़ से विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव है. दुनिया 2030 एजेंडा के आधे रास्ते तक पहुँच चुकी है, लेकिन विश्व की आधी आबादी अब भी पीछे है.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि विश्व में 67 करोड़ लोग अत्यधिक निर्धनता में रह रहे हैं, और एक अरब से अधिक लोगों को मलिन बस्तियों व झुग्गियों में जीवन गुज़ारना पड़ता है.

बदलाव की ओर

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि इन रुझानों को पलटने के लिए अब भी समय है, और शहरों में जलवायु कार्रवाई, आवास व टिकाऊ विकास लक्ष्यों के मुद्दों पर बहुपक्षवाद के ज़रिए योगदान दिया जाना होगा.

यूएन प्रमुख ने भरोसा व्यक्त किया कि यूएन पर्यावास ऐसेम्बली इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाएगी, और एक साथ मिलकर सर्वजन के लिए एक शान्तिपूर्ण, समृद्ध और स्वस्थ भविष्य को आकार दिया जा सकता है.

नए समाधान

यूएन महासभा के प्रमुख कसाबा कोरोसी ने अपने वीडियो सम्बोधन में उन उपायों का उल्लेख किया, जिनके ज़रिए शहरों को पहले से अधिक सतत बनाया जा सकता है.

इसके लिए, व्यापक स्तर पर डेटा व सांख्यिकी जुटाए जाने अहम होंगे, और सरकारों को जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा व जल आपूर्ति के सन्दर्भ में शहरी विकास की समीक्षा करनी होगी.

साथ ही, अपनी सोच व अतीत के कामकाजी ढर्रों में बदलाव लाने की आवश्यकता है, जिनके बजाय वास्तविक, सतत, रूपान्तरकारी बदलावों का लक्ष्य अपनाना होगा.  

“इसका अर्थ है, विज्ञान-नीति के बीच संयोजन, तथ्य-आधारित समाधानों को बढ़ावा और लक्ष्य प्राप्ति के लिए समग्र प्रयास.”

जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में टिकाऊ शहरों से मदद मिल रही है.
Unsplash/Chuttersnap

सहयोग को प्राथमिकता

केनया के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने यूएन पर्यावास की कार्यकारी निदेशक मायमूनाह मोहम्मद शरीफ़ के साथ ऐसेम्बली के दूसरे सत्र का उद्घाटन किया.

कार्यकारी निदेशक मायमूनाह मोहम्मद शरीफ़ ने स्थानीय स्तर पर कार्रवाई और कारगर व समावेशी बहुपक्षवाद को वैश्विक प्रगति के लिए अपरिहार्य बताया है.

उन्होंने अपने उदघाटन सम्बोधन में कहा, “हमारे सामने एक विशाल चुनौती है. हमारे लिए ज़मीनी स्तर पर सकारात्मक व रूपान्तरकारी असर का एकमात्र रास्ता यही है कि हम अकेले जाने के बजाए बहुपक्षवादी कार्रवाई को अपनाए.”

पाँच दिन तक चलने वाले इस सत्र में 80 से अधिक मंत्रियों और उपमंत्रियों के साथ-साथ, विश्व भर से पाँच हज़ार से अधिक प्रतिनिधियों के सम्मिल्लित होने की सम्भावना है.

सत्र के दौरान मुख्यत: निम्न मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा: पहुँच के भीतर आवास व्यवस्था की सार्वभौमिक सुलभता, शहरों में जलवायु कार्रवाई, शहरी संकटों से उबरना, टिकाऊ विकास लक्ष्यों को स्थानीय स्तर पर लागू करना, समृद्धि और स्थानीय वित्त पोषण.