विश्व आबादी हुई आठ अरब, 'मानवता के लिए मील का पत्थर'
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने मंगलवार को विश्व आबादी आठ अरब हो जाने की आधिकारिक पुष्टि करते हुए, इसे मानव दीर्घ जीवन के लिए एक अहम पड़ाव क़रार दिया है. यूएन एजेंसी के अनुसार यह आँकड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य में विशाल बेहतरी का द्योतक है, मगर इसके साथ ही बदतर होती जा रही आर्थिक विषमता व पर्यावरण क्षति के प्रति सचेत रहने की भी आवश्यकता है.
यूएन जनसंख्या कोष ने कहा कि जीवन प्रत्याशा में वृद्धि सराहनीय है, लेकिन इस क्षण में आँकड़ों से परे हटकर भी देखने की ज़रूरत है.
देशों की सरकारों को आम लोगों और पृथ्वी की रक्षा के दायित्व को साझा करना होगा और इसकी शुरुआत सर्वाधिक निर्बलों से करनी होगी.
8⃣ billion people. That is now the size of our human family.
@UNFPA Executive Director @Atayeshe explains why this is both a milestone for humanity and a moment for reflection.
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UNFPA
महासचिव गुटेरेश ने आगाह किया है कि विश्व में जब तक साधन-सम्पन्न और वंचित लोगों के बीच की बढ़ती खाई को नहीं पाटा जता है, हम एक ऐसे विश्व की ओर ताक रहे होंगे, जोकि तनाव व भरोसे की कमी, संकट और हिंसक संघर्ष से भरा होगा.
विश्व आबादी में 2080 के दशक तक वृद्धि होने का अनुमान व्यक्त किया गया है, जब जनसंख्या 10 अरब 40 करोड़ पहुँच जाने की सम्भावना है.
हालाँकि, यूएन एजेंसी के अनुसार कुल जनसंख्या वृद्धि की दर धीरे-धीरे कम हो रही है.
दुनिया, जनसांख्यिकी दृष्टि से पहले से कहीं अधिक विविध है, और विभिन्न देशों व क्षेत्रों में आबादी रुझानों में वृद्धि व गिरावट के अलग रूप देखने को मिलते हैं.
उदाहरणस्वरूप, मौजूदा विश्व जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा उन देशों में है जहाँ जीवन-पर्यन्त प्रजनन दर, प्रति महिला 2.1 जन्म है. वहीं, विश्व के निर्धनतम देशों में आबादी में बढ़ोत्तरी जारी है, जिनमें से अधिकांश उप-सहारा अफ़्रीका में हैं.
यूएन जनसंख्या कोष की प्रमुख नतालिया कानेम ने अपने सन्देश में कहा कि विश्व आबादी का आठ अरब के आँकड़े पर पहुँचना मानवता के लिए एक मील का पत्थर है.
“यह जीवन की लम्बी अवधि, निर्धनता में कमी, और मातृ व बाल मृत्यु दर में दर्ज की गई गिरावट का नतीजा है.”
“इसके बावजूद, हम संख्या पर ध्यान केन्द्रित करने से हमारे समक्ष मौजूद वास्तविक चुनौती से भटक सकते हैं: एक ऐसी दुनिया को आकार देना जहाँ प्रगति का लाभ, समान और सतत रूप से मिले.”
समस्या के अनुरूप समाधान
देशों की आबादी में वृद्धि या गिरावट से इतर, हर देश के पास अपने नागरिकों के लिए गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने और सर्वाधिक निर्बलों को हाशिए से उबारने के साधन होना चाहिए.
यूएन एजेंसी प्रमुख कानेम ने कहा कि एक ऐसी दुनिया में, सभी देशों के लिए एक जैसा समाधान नहीं तय किया जा सकता है, जहाँ योरोप में मध्यम आयु 41 वर्ष और उप-सहारा अफ़्रीका में 17 वर्ष हो.
विश्व आबादी के इस अहम पड़ाव पर जनसंख्या वृद्धि, निर्धनता, जलवायु परिवर्तन और टिकाऊ विकास लक्ष्यों के प्रति चिन्ता भी व्यक्त की गई है.
आबादी में त्वरित वृद्धि से निर्धनता उन्मूलन, भुखमरी व कुपोषण से लड़ाई, और स्वास्थ्य व शिक्षा प्रणालियों का दायरा बढ़ाने के प्रयासों में कठिनाई झेलनी पड़ती है.
टिकाऊ विकास पर ज़ोर
इसके विपरीत, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति से, विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक समानता के क्षेत्र में लक्ष्यों को साकार किए जाने से वैश्विक आबादी में वृद्धि की दर को कम कर पाना सम्भव होगा.
विश्व की अधिकांश आबादी सबसे निर्धन देशों में है, जिन्होंने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में बहुत कम योगदान दिया है, मगर उन्हें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सबसे अधिक झेलना पड़ सकता है.
संयुक्त राष्ट्र ने एक ऐसे विश्व का आहवान किया है जहाँ सभी आठ अरब लोग फल-फूल सकें, और इस क्रम में, वैश्विक चुनौतियों पर पार पाने और टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति पर बल दिया गया है. इन प्रयासों को आगे बढ़ाते समय मानवाधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित की जानी होगी.
यूएन के अनुसार यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सदस्य देशों और दानदाता देशों द्वारा उन नीतियों व कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाया जाना अहम है, जिनसे एक सुरक्षित, सतत और समावेशी दुनिया के निर्माण में मदद मिले.