भारत: महिला सशक्तिकरण व खाद्य सुरक्षा के लिए, सौर ऊर्जा पहल
संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और भारत के पूर्वी प्रदेश ओडिशा की सरकार ने, Solar 4 Resilience (S4R) नामक पहल शुरू की है, जिसके तहत महिलाओं और छोटे किसानों के लिए सौर ऊर्जा आधारित तकनीकों के ज़रिए, सहनसक्षमता एवं आजीविका निर्माण के प्रयास किए जा रहे हैं.
WFP और ओडिशा सरकार के साथ मिलकर शुरू की गई इस पहल के लिए, एस4एस टैक्नोलॉजीज़ के साथ प्रौद्योगिकी भागेदारी की गई है.
इस पहल का अनौपचारिक अनावरण, मई 2023 में गंजम के छतरपुर में आयोजित एक ज़िला स्तरीय कार्यक्रम में किया गया था.
इस सप्ताह आधिकारिक शुरुआत के अवसर पर, ओडिशा सरकार में बागवानी निदेशक रोहित कुमार लेंका ने बताया, "डब्ल्यूएफ़पी और ओडिशा सरकार के बीच इस साझेदारी को लेकर हम बहुत उत्साहित हैं और आज की विस्तृत शुरुआत उन पायलट परियोजनाओं के बाद की गई है."
"इसमें स्पष्ट हो गया है कि समुदायों ने ऐसे समाधानों और नवाचारों में सकारात्मक रुचि दिखाई है, जो किसानों की आय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र पर असर डालने की क्षमता रखते हैं, ख़ासतौर पर महिलाओं, स्थिरता और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर."
उन्होंने कहा कि पहल के नवाचार और दृष्टिकोण में, प्रसंस्करण से विपणन तक, एक समग्र अन्तर्दृष्टि अपनाई गई है, जिसकी आज बेहद आवश्यकता है.
वैकल्पिक आजीविका
WFP की देश निदेशक ऐलिज़ाबेथ फौरे ने कहा, "सोलर4रैज़िलिएंस परियोजना, डब्ल्यूएफ़पी के ‘इनोवेशन एक्सेलेरेटर’ की मदद से लागू की गई है."
"यह उस रणनैतिक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जो डब्ल्यूएफ़पी एवं ओडिशा सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों का सामना कर रही दुनिया में, आजीविका और दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए अपनाया है.”
परियोजना के अन्तर्गत, वैकल्पिक आजीविका व बेहतर आमदनी के लिए महिला किसान समूहों का क्षमता निर्माण और समावेशी एवं लिंग-परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के ज़रिए सहनसक्षमता बढ़ाना शामिल है.
इस परियोजना में, महिलाओं को, सब्ज़ियाँ, बाजरा, मछली सहित समुद्री भोजन व ख़राब होने वाले अ्य खाद्य पदार्थों को सुखाने के लिए, सौर प्रौद्योगिकी व उपकरण प्रदान किए जाएंगे. ये पदार्थ अन्यथा बेकार होकर फेंक दिए जाते हैं.
महिलाओं को उपकरण ख़रीदने के लिए बैंकों से कम ब्याज़ पर ऋण प्राप्त होगा. साथ ही, वित्तीय प्रबन्धन व गुणवत्ता आश्वासन हेतु प्रशिक्षण और प्रसंस्कृत खाद्य के लिए बाज़ारों तक पहुँच बनाकर, उन्हें सूक्ष्म-उद्यमियों के रूप में उभारने के प्रयास किए जाएंगे.
भविष्य में, जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील समुदायों के दीर्घकालिक लाभ हेतु, राज्य के अन्य क्षेत्रों में इस परियोजना का विस्तार किया जाएगा.