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UNIDO: भारत में निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी में नवाचार बढ़ाने के प्रयास

भारत की राजधानी दिल्ली में, UNIDO की निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी नवाचार प्रतियोगिता 2023 के विजेता.
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भारत की राजधानी दिल्ली में, UNIDO की निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी नवाचार प्रतियोगिता 2023 के विजेता.

UNIDO: भारत में निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी में नवाचार बढ़ाने के प्रयास

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की औद्योगिक विकास संस्था - UNIDO, भारत में साझीदारों के साथ मिलकर निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकी नवाचार कार्यक्रम के तहत, ‘नवाचार चुनौती’ आयोजित करता है, जिसके तहत निम्न-कार्बन तकनीक के क्षेत्र में काम कर रही नई कम्पनियों की पहचान करके, उनके विस्तार के लिए समर्थन दिया जाता है.

अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2040 तक भारत में ऊर्जा में बचत के सबसे बड़े अवसर उद्योगों में होंगे.

इसी के मद्देनज़र, उद्योगों में निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियाँ अपनाने की सुविधा देने के लिए, 2016 में भारत में यूनिडो ने निम्न कार्बन प्रौद्योगिकी विकास सुविधा (FLTCD) परियोजना शुरू की थी.

परियोजना के तहत, नवीन तकनीकों और समाधानों की पहचान करने के लिए, हर वर्ष ' नवाचार चुनौती' प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है.

इसमें जीत हासिल करने वाले नवाचारों को, फ़ील्‍ड एवं मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में प्रदर्शन और परीक्षण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

2023 के विजेता

इस वर्ष, एफ़एलसीटीडी नवाचार चुनौती में चौथे समूह की 19 नई कम्पनियाँ चुनी गईं. इसके बाद, निवेशकों की एक स्वतंत्र जूरी ने एक विजेता और दो उपविजेताओं का चयन किया.

पिछले तीन वर्षों में, चार समूहों में 67 जलवायु तकनीक कम्पनियाँ, FLCTD कार्यक्रम में चुनी गई हैं, जिनमें  महिलाओं के नेतृत्व वाली 20 नई कम्पनियाँ भी शामिल हैं. इनमें से नौ कम्पनियाँ व्यावसायीकृत हैं और 30 पूर्व-व्यावसायीकरण चरण में हैं.

1. इस वर्ष विजेता रहे, जयपुर और बैंगलूरू के अनुपम कुमार और अरविन्द भारद्वाज (मिनिमाइंस क्लीनटैक सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड). उनकी कम्पनी मिनीमाइंस में, ख़त्म हो चुकी ली-आयन (Li-ion)  बैटरियों का स्थाई पुनर्चक्रण किया जाता है.

2. दूसरे नम्बर पर हैदराबाद स्थित ज़ोध्या टैक्नोलॉजीज़ के रोहित पल्लेरला रहे. उनकी कम्पनी, HVAC प्रणाली के लिए एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित समाधान विकसित कर रही है, जो ऊर्जा की स्रोत और उपयोग के तरीक़े में सुधार करके, कार्बन उत्सर्जन कम करता है. उनके इस नए उपकरण से, वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा बिलों में 30% तक की कमी करने और उनके ऊर्जा उपयोग को अनुकूलित करने में मदद मिल रही है.

3. तीसरा स्थान रहा, हैदराबाद स्थित इकोऑर्बिट के अभिषेक गोरले का. इकोऑर्बिट एक स्वचालित रोबोटिक प्रणाली का निर्माण कर रहा है जो चलते हुए कन्वेयर से प्रति दिन एक टन तक सूखे कचरे की पहचान और पृथक्करण कर सकता है. इसके अलावा, एक दृष्टि प्रणाली, री-सायकिल सुविधाओं (MRFs) से आवश्यकतानुसार विभिन्न सामग्रियों की पहचान करता है, जिससे अपशिष्ट प्रबन्धन को डिजिटल रूप देना सम्भव होता है.

भारत में यूनिडो के क्षेत्रीय प्रतिनिधि रैने वेन बर्कल ने इस अवसर पर कहा, "यह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सहयोग फ़्रेमवर्क के लिए एक अनुकरणीय उपलब्धि है, जिसके तहत भारत में सभी संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, ​​नवाचार, विविधीकरण एवं जलवायु कार्रवाई जैसी महत्वपूर्ण टिकाऊ विकास चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार के साथ सहयोग करती हैं."

परियोजना का उद्देश्य

FLTCD परियोजना, प्रमुख हितधारकों को एकजुट करके, एक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने का प्रयास करती है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऊर्जा खपत कम करने के अभिनव समाधानों के लाभ प्रदर्शित किए जा सकें.

8 साल की इस परियोजना का उद्देश्य, उच्च प्रभाव वाले ऊर्जा-कुशल नवाचारों की पहचान करके उनका समर्थन करना है, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था के औद्योगिक एवं अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों में इनका उपयोग किया जा सके.

इन समाधानों के विस्तार से, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम करने के प्रयासों में बड़ी सफलता प्राप्त हो सकती है.

चुनौतियाँ

अक्सर स्वच्छ प्रौद्योगिकी आधारित नई कम्पनियों को बाज़ार में अपने नवाचारों को प्रचारित करने के दौरान, विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और इसलिए वाणिज्यिक संचालन के लिए सलाह, मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है.

इस प्रतियोगिता के तहत, छह प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उन नवाचारों की पहचान की जाती है, जिनमें ऊर्जा की बचत और उत्सर्जन में कमी लाने की क्षमता हो.

विजेताओं को 50 हज़ार अमेरिकी डॉलर तक की वित्तीय सहायता, क्षेत्र परीक्षण करने के लिए उद्योगों से सम्पर्क और उनके नवाचार की प्रभावकारिता स्थापित करने के लिए प्रौद्योगिकी सत्यापन समर्थन दिया जाता है.

नैट-शून्य

नवम्बर 2021 में, भारत ने 2070 तक नैट-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य की प्राप्ति की घोषणा की है. लेकिन ये दावे केवल पहले से मौजूद समाधानों के साथ सम्भव नहीं होंगे. सभी क्षेत्रों में आवश्यक डी-कार्बनाइज़ेशन हासिल करने के लिए, प्रौद्योगिकी, उत्पादन व उपभोग प्रणालियों में नवाचार, आवश्यक भूमिका निभा सकता है.

यूनिडो के क्षेत्रीय प्रतिनिधि रैने वेन बर्कल ने कहा, "भारत और बाक़ी दुनिया द्वारा नैट-शून्य लक्ष्य की उपलब्धि, मुख्यत: स्वच्छ तकनीक वाले नवाचार और व्यावसायीकरण पर निर्भर है, और एफ़एलसीटीडी से यह स्पष्ट होता है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन एवं ऊर्जा का उपयोग सफलतापूर्वक कम करने हेतु, उद्योग, कृषि, इमारतों और अन्य जगहों पर, नवाचार व उद्यमिता को एक साथ लाना सम्भव है."