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नस्लभेद: समाजों के इस गहरे दाग़ को जड़ से मिटाने की ज़रूरत

अफ़्रीकी मूल के लोगों पर स्थाई फ़ोरम के दूसरे सत्र के दौरान, यूएन महासभागार में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम (30 मई 2023).
UN Photo/Loey Felipe
अफ़्रीकी मूल के लोगों पर स्थाई फ़ोरम के दूसरे सत्र के दौरान, यूएन महासभागार में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम (30 मई 2023).

नस्लभेद: समाजों के इस गहरे दाग़ को जड़ से मिटाने की ज़रूरत

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने मंगलवार को कहा है कि नस्लभेद एक वैश्विक समस्या है, और हर एक देश को, इसके विरुद्ध कड़ा रुख़ अपनाना होगा. उन्होंने दुनिया भर में अफ़्रीकी मूल के लोगों की सुरक्षा और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए यूएन मंच की नवीनतम बैठक को सम्बोधित करते हुए ये बात कही है.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने, अफ़्रीकी मूल के लोगों पर स्थाई फ़ोरम के दूसरे सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा, “नस्लभेद और ख़ुद से भिन्न लोगों के लिए नफ़रत (xenophobia) हमारे समुदायों को खोखला करना जारी रखे हुए है, जिस तरह कि कोई दाग़ या किसी घाव का निशान, समाज के ताने-बाने को कमज़ोर करता है.”

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“ये घाव या दाग़ जिस नफ़रत व हिंसा को उकसाते हैं, वो अब भी मौजूद है, और ये हालात, नस्लीय हिंसा को इसके तमाम रूपों में खत्म करने के लिए, हमारे सामूहिक प्रयासों की मांग करते हैं.”

अन्याय का रूपान्तर

कसाबा कोरोसी ने कहा कि इस समस्या पर पार पाने के लिए, हमारी साझी इनसानियत को पहचान दिए जाने की ज़रूरत है, क्योंकि दासता और बहिष्करण की विरासतें, दमनकारी व नस्लीय हिंसा वाली जेल व्यवस्थाओं, स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता में असमानताओं, और कार्यबल से बहिष्करण के रूप में आज भी मौजूद हैं.

उन्होंने यूएन महासभागार में इस सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा, “हमें इन अमानवीय व शर्मनाक विरासतों को ख़त्म करना होगा, और ये हमें बिल्कुल अभी करना होगा.”

“मेरा ये पक्का विश्वास है कि हम, इन दर्दनाक विरासतों पर आत्ममन्थन करके, अतीत के अन्यायों को, भविष्य की स्वतंत्रताओं में तब्दील कर सकते हैं.”

तत्काल कार्रवाई की दरकार

इस स्थाई फ़ोरम की स्थापना, यूएन महासभा ने अनेक वर्षों तक चली वार्ताओं के बाद, 2021 में की थी. इस फ़ोरम की स्थापना, ‘अफ़्रीकी मूल के लोगों के लिए अन्तरराष्ट्रीय दशक’ की तर्ज़ पर की गई है, जो 2024 तक चल रहा है.

ये फ़ोरम अफ़्रीकी मूल के लोगों के अधिकारों को पूर्ण सम्मान और प्रोत्साहन पर यूएन घोषणा-पत्र को आगे बढ़ाने में योगदान करेगा, जोकि इस द्वितीय सत्र का मुख्य विषय भी है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस सत्र को अपने एक वीडियो सन्देश में कहा कि इस फ़ोरम की स्थापना से दुनिया भर में हर जगह, अफ़्रीकी मूल के लोगों के लिए पूर्ण समानता और न्याय की दिशा में मार्ग प्रशस्त करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता मुखर होती है.

उन्होंने सदियों की दासता और उपनिवेशवाद से उपजी और लम्बे समय तक चली ग़लतियों को स्वीकार करने और उन्हें सही किए जाने की पुकार भी लगाई.

यूएन प्रमुख ने कहा, “हमें अपने समाजों को नस्लभेद के अभिषाप से मुक्त कराने, और अफ़्रीकी मूल के लोगों के, भेदभाव रहित व समान नागरिक के रूप में उनके पूर्ण राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करने के लिए, और भी ज़्यादा तात्कालिकता के साथ काम करना होगा.”

कार्यकर्ताओं को अभिवादन

शुक्रवार तक चलने वाले इस फ़ोरम में, एक हज़ार से भी ज़्यादा लोग शिरकत कर रहे हैं.

अफ़्रीकी मूल के लोगों पर स्थाई फ़ोरम के दूसरे सत्र के दौरान, यूएन महासाभागर में, संगीत कार्यक्रम (30 मई 2023).
UN Photo/Loey Felipe

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इस फ़ोरम में, इतनी बड़ी संख्या में शिरकत करने वाले कार्यकर्ताओं और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों का अभिवादन किया.

वोल्कर टर्क ने एक वीडियो सन्देश में कहा, “आपमें से बहुत से लोग, नस्लभेद के ख़िलाफ़ वैश्विक आन्दोलनों के निरन्तर प्रयास जारी रखने में बहुत अहम रहे हैं, जिनमें अन्य घटनाओं के अलावा, वर्ष 2020 के दौरान हुए वो प्रदर्शन भी शामिल हैं, जिनसे, अफ़्रीकी मूल के लोगों पर स्थाई फ़ोरम की स्थापना का रास्ता निकला.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि नस्लीय भेदभाव को बहुत लम्बे समय तक, एक बहुत गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघन के बजाय, एक सामाजिक मुद्दा समझा जाता रहा.

मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि ये बहुत ज़रूरी है कि नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव की गतिविधियों के लिए ज़िम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराया जाए; और साथ ही, नस्लीय विरासत को जारी रखने वाली दमनकारी b भेदभावपूर्ण व्यवस्थाओं व ढाँचों की भूमिका पर विस्तार से पुनर्विचार किया जाए.