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सूडान में युद्धविराम, निकल सकता है शान्ति का रास्ता

चाड में पहुँचे सूडान के शरणार्थियों को, यूनीसेफ़ और उसके साझीदार संगठनों की तरफ़ से सहायता सामग्री वितरण.
© UNICEF/Donaig Le Du
चाड में पहुँचे सूडान के शरणार्थियों को, यूनीसेफ़ और उसके साझीदार संगठनों की तरफ़ से सहायता सामग्री वितरण.

सूडान में युद्धविराम, निकल सकता है शान्ति का रास्ता

शान्ति और सुरक्षा

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी वोल्कर पर्थेस ने कहा है कि देश में सोमवार की शाम को लागू होने वाले एक अति महत्वपूर्ण युद्धविराम से, लगभग एक महीने पुराने इस संघर्ष को समाप्त करने की ख़ातिर, शान्ति वार्ता के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.

सूडान में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी वोल्कर पर्थेस ने कहा है कि देश में सोमवार की शाम को लागू होने वाले एक अति महत्वपूर्ण युद्धविराम से, लगभग एक महीने पुराने इस संघर्ष को समाप्त करने की ख़ातिर, शान्ति वार्ता के लिए मार्ग प्रशस्त करना चाहिए.

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सूडान के लिए यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस ने देश में हाल के घटनाक्रम के बारे में सोमवार को सुरक्षा परिषद में जानकारी देते हुए कहा, “ज़िन्दगियाँ और ढाँचा तहस-नहस किए जा रहे हैं, और सुरक्षा स्थिति ने मानवीय सहायता की आपूर्ति में बाधाएँ पहुँचाई हैं.”

ग़ौरतलब है कि सूडान के सशस्त्र बलों (SAF) और प्रतिद्वन्द्वी त्वरित समर्थन बलों (RSF) के बीच 15 अप्रैल को युद्ध भड़क उठा था.

वोल्कर पर्थेस ने कहा कि उसके बाद, दोनों पक्षों की तरफ़ से युद्धविराम की घोषणाएँ किए जाने के बावजूद, इस संघर्ष के रुकने के कोई संकेत नज़र नहीं आए हैं.

वोल्कर पर्थेस ही, सूडान में संयुक्त राष्ट्र के मिशन – UNITAMS के मुखिया भी हैं.

उन्होंने सुरक्षा परिषद को बताया कि सप्ताह भर से लम्बित ये संघर्ष विराम अगर लागू हुआ, तो लाखों ज़रूरतन्द लोगों तक सहायता पहुँचाना आसाना हो जाएगा और “शान्ति वार्ता के लिए भी रास्ता साफ़ होगा”.

आम लोग चुका रहे हैं भारी क़ीमत

हालाँकि उन्होंने मानवाधिकारों के गम्भीर उल्लंघन, व्यापक लूटपाट, और पूरे देश में आई हथियारों की बाढ़ पर भी गहरी चिन्ताएँ व्यक्त कीं.

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, युद्ध को जातीय रूप देने से, देश के एक लम्बी अवधि के संघर्ष में धँस जाने का जोखिम उत्पन्न हो गया है, जिसके प्रभाव पूरे क्षेत्र पर होंगे.

उन्होंने इस सन्दर्भ में दोनों पक्षों से, सूडान और देश के लोगों की ख़ातिर, बातचीत में वापिस लौटने का आहवान किया है.

विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि आम लोगों ने इस बेतुकी हिंसा की भारी क़ीमत चुकाई है.

उन्होंने बताया कि 700 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई है, जिनमें 190 बच्चे हैं, और छह हज़ार लोग घायल हुए हैं. बहुत से लोग लापता भी हैं.

इस हिंसा ने लगभग 10 लाख लोगों को विस्थापित कर दिया है, जिनमें से लगभग साढ़े आठ लाख लोग देश के भीतर ही सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन कर गए हैं, जबकि क़रीब ढाई लाख लोगों ने सीमापार करके पड़ोसी देशों में पनाह ली है.

विस्थापित आबादी में लगभग आठ हज़ार गर्भवती महिलाएँ भी हैं.

सूडान के लिए यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश के विशेष प्रतिनिधि वोल्कर पर्थेस, देश की स्थिति के बारे में सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए.
UN Photo/Eskinder Debebe

‘गम्भीर मानवाधिकार उल्लंघन’

विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि देश भर में लड़ाई के परिणामस्वरूप “मानवाधिकारों का गम्भीर हनन और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का गम्भीर उल्लंघन हुआ है, और आम लोगों की सुरक्षा की अनदेखी हुई है.

उन्होंने कहा, “इन उल्लंघनों की अनिवार्य रूप से जाँच हो, और ज़िम्मेदार तत्वों व पक्षों को न्याय के कटघरे में लाया जाए.”

“यूएन परिवार स्थिति पर लगातार नज़र रखे हुए हुए है और तमाम तरह के उल्लंघनों को रोके जाने की हिमायत करता है.”

वोल्कर पर्थेस ने बताया कि राजधानी ख़ारतूम, दारफ़ूर और अन्य स्थानों पर, युद्धरत पक्ष क़ानूनों और युद्ध के नियमों की परवाह किए बिना, लड़ाई जारी रखे हुए हैं.

महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध यौन हिंसा से हतप्रभ विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इन मामलों की पुष्टि के लिए प्रयास कर रहा है.