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यूक्रेन: 'विवेकहीन युद्ध' के छह महीने, गुटेरेश ने दोहराई शान्ति अपील

यूक्रेन के कीयेव क्षेत्र में, होरेन्का स्थित एक स्कूल के मलबे में खड़ी हुई एक लड़की.
© UNICEF/Olena Hrom
यूक्रेन के कीयेव क्षेत्र में, होरेन्का स्थित एक स्कूल के मलबे में खड़ी हुई एक लड़की.

यूक्रेन: 'विवेकहीन युद्ध' के छह महीने, गुटेरेश ने दोहराई शान्ति अपील

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को सुरक्षा परिषद में कहा है कि यूक्रेन में “विवेकहीन युद्ध” को छह महीने हो चुके हैं, और उसका अभी कोई अन्त नज़र नहीं आता है. उन्होंने शान्ति के लिये अपनी अपील फिर दोहराई है.

युद्ध के छह महीने का ये “दुखद और त्रासदीपूर्ण” पड़ाव, देश की 31वीं स्वतंत्रता वर्षगाँठ के अवसर पर पड़ा है, और एंतोनियो गुटेरेश ने, देश के लोगों को स्वतंत्रता की वर्षगाँठ पर बधाई दी है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “यूक्रेन व दुनिया भर के लोगों को शान्ति की ज़रूरत है और उन्हें शान्ति बिल्कुल अभी चाहिये. शान्ति – यूएन चार्टर के अनुरूप. शान्ति – अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अनूरूप.”

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की ने भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिये, सुरक्षा परिषद की इस बैठक में शिरकत की, अलबत्ता, उनकी आवाज़, कई बार अस्पष्ट थी. उन्होंमने कहा कि दुनिया, उनके देश की स्वतंत्रता पर निर्भर है.

अनाज समझौते पर प्रगति

यूक्रेन पर 24 फ़रवरी को रूसी हमला शुरू होने के बाद से, हज़ारों लोग या तो मारे जा चुके हैं या घायल हुए हैं, मानवीय ज़रूरतें आसमान छू रही हैं, और मानवाधिकार हनन व दुर्व्यवहार के बहुत से मामले दर्ज हुए हैं.

दुनिया भर में लाखों अन्य लोग, वैश्विक खाद्य उत्पादों, उर्वरक पदार्थों और ईंधन संकटों के सामना कर रहे हैं, जोकि युद्ध के अनेकानेक प्रभावों के परिणाम हैं.

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यूएन महासचिव ने गत सप्ताह की उनकी यूक्रेन यात्रा के बारे में भी ताज़ा जानकारी मुहैया कराई जिसके दौरान, यूक्रेन के अनाजों को फिर से वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचाने के लिये हुए काला सागर अनाज समझौते की प्रगति का भी जायज़ा लिया गया.

उन्होंने सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के राजदूतों को बताया, “मैं सुरक्षा परिषद को जानकारी दे सकता हूँ कि जुलाई में हस्ताक्षरित काला सागर अनाज समझौते पर अच्छी तरह अमल किया जा रहा है – जिसके तहत यूक्रेन के बन्दरगाहों से अनेक जहाज़ बाहर जा रहे हैं और अनेक जहाज़ यूक्रेन भी पहुँच रहे हैं."

"इन जहाज़ों के ज़रिये अभी तक अनाजों और अन्य खाद्य उत्पादों की लगभग 7 लाख 20 टन सामग्री यूक्रेन से बाहर भेजी जा चुकी है.”

ध्यान रहे कि यूएन समर्थित काला सागर अनाज निर्यात समझौते पर यूक्रेन, रूस और तुर्कीये ने हस्ताक्षर किये थे और यूएन प्रमुख ने कहा कि ये समझौता ये दिखाता है कि जब आम लोगों को प्राथमिकता पर रखा जाता है, यहाँ तक कि बेहद विनाशकारी परिस्थितियों में भी तो, क्या कुछ हासिल किया जा सकता है.

“इस समझौते का अन्य हिस्सा है – रूसी खाद्य उत्पादों और उर्वरकों की, वैश्विक बाज़ारों तक निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करना, जोकि प्रतिबन्धों के दायरे में नहीं हैं. ये बहुत महत्वपूर्ण है कि तमाम देशों की सरकारें और निजी क्षेत्र, उन उत्पादों व पदार्थों को बाज़ारों तक पहुँचाने में सहयोग करें.”

परमाणु ख़तरा

यूएन प्रमुख ने ज़ैपोरिझझिया परमाणु ऊर्जा संयंत्र के भीतर और इर्दगिर्द की स्थिति पर अपनी जारी चिन्ता को फिर से रेखांकित किया, जहाँ हाल के सप्ताहों के दौरान सघन गोलाबारी हुई है.

उन्होंने कहा, “चेतावनी बत्तियाँ अपना सन्देश दे रही हैं. इस परमाणु ऊर्जा संयंत्र की भौतिक अखण्डता और सुरक्षा को ख़तरे में डालने वाली कोई भी गतिविधि, बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. स्थिति में ज़रा सा भी भड़काव आत्मघाती साबित हो सकता है.”

एंतोनियो गुटेरेश ने योरोप के इस सबसे बड़े परमाणु संयंत्र में, एक मिशन भेजने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को मिले समर्थन का स्वागत किया है.

युद्ध बन्दियों के लिये चिन्ता

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्थाएँ, इस सशस्त्र संघर्ष के सम्बन्ध में हनन और दुर्व्यवहार के मामलों का आलेखन करने में जुटे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक मामलों की प्रमुख रोज़मैरी डीकार्लो ने भी दोनों तरफ़ के युद्ध बन्दियों की स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की है और देश पर युद्ध की तबाही का भी ब्यौरा दिया है.

रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा, “हम इन ख़बरों पर चिन्तित हैं कि रूसी महासंघ और दोनेत्स्क में सक्रिय सम्बद्ध सशस्त्र गुट, यूक्रेनी युद्ध बन्दियों के लिये, मारियूपोल में एक तथाकथित अन्तरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल स्थापित करने की योजना बना रहे हैं.”

“किसी भी तरह के ट्राइब्यूनल को, तमाम तरह के क़ैदियों को, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के अन्तर्गत मिलने वाले संरक्षणों का सम्मान करना होगा, जिनमें निष्पक्ष मुक़दमों की गारण्टियाँ भी शामिल हैं. इन मानकों की गारण्टी सुनिश्चित करने में नाकामी, युद्धापराध के दायरे में आ सकती है.”