वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

क़र्ज़ के बोझ में दबे विकासशील देशों पर कई वर्षों तक संकट, UNCTAD की नई रिपोर्ट

विकासशील देशों में खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में भारी उछाल दर्ज किया गया है.
UN Women/Ryan Brown
विकासशील देशों में खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में भारी उछाल दर्ज किया गया है.

क़र्ज़ के बोझ में दबे विकासशील देशों पर कई वर्षों तक संकट, UNCTAD की नई रिपोर्ट

आर्थिक विकास

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) ने अपने एक नए अध्ययन में आगाह किया है कि दुनिया में बढ़ती वित्तीय उथल-पुथल के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी हो रही है, जिसके कारण विकासशील देशों को अगले कई वर्षों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.

Trade and Development Report Update’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के एक बड़े हिस्से में वार्षिक प्रगति की दर, कोविड-19 महामारी से पूर्व के स्तर की तुलना में कम होगी.

Tweet URL

यूएन एजेंसी के अनुमान के अनुसार, ब्याज़ दरों में आए उछाल के कारण, विकासशील देशों को अपनी आय में 800 अरब डॉलर की चपत झेलनी पड़ सकती है, और क़र्ज़ की क़िस्ते बढ़ने से निवेश और सार्वजनिक व्यय पर भी प्रभाव पड़ेगा.

इन परिस्थितियों में, अनेक देशों में जीवन-व्यापन की क़ीमतों का संकट और अधिक गहराने और विषमताओं के और पैना होने की आशंका है.

वर्ष 2022 के दौरान, 68 उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए उधार लेने की क़ीमत, 5.3 प्रतिशत से बढ़कर 8.4 प्रतिशत तक पहुँच गई है.

रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक में, क़र्ज़ चुकाने की क़ीमत में वृद्धि की रफ़्तार निरन्तर, अति-आवश्यक सेवाओं पर सार्वजनिक व्यय से आगे रही है. 

उदाहरणस्वरूप, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में निवेश की तुलना में विदेशी क़र्ज़ चुकाने में अधिक ख़र्च करने वाले देशों की संख्या इस अवधि में 34 से बढ़कर 62 पहुँच गई.  

पिछले साल, यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने इस रुझान के प्रति सचेत करते हुए कहा था कि यह लोगों में निवेश करने के बजाय, क़र्ज़ में निवेश करने जैसा है.

विकासशील देशों में सार्वजनिक निवेश पर नकारात्मक असर जारी रहने की आशंका है, चूँकि देशों को नया कर्ज़ लेने पर जितनी धनराशि मिलती है, उन्हें उससे कहीं अधिक राशि अपने विदेशी देनदारों को चुकानी पड़ती है.

वर्ष 2022 में 39 देशों में ये हालात देखने को मिले, जिसके विकास, सामाजिक संरक्षण और विषमताओं के विरुद्ध वृहद लड़ाई पर भीषण नतीजे हुए हैं.   

नक़दी का संकट

यूएन एजेंसी के अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए अन्तरराष्ट्रीय नक़दी की उपलब्धता में कमी आ रही है.

बताया गया है कि चीन को छोड़कर, 81 विकासशील देशों में अन्तरराष्ट्रीय रिज़र्व मुद्रा भंडार में कुल 241 अरब डॉलर, औसतन सात फ़ीसदी की गिरावट आई है.

यूएन एजेंसी का कहना है कि 20 से अधिक देशों को 10 प्रतिशत की गिरावट झेलनी पड़ी और अनेक मामलों में, हाल के समय में ‘Special Drawing Rights’ (SDR) से मिली मदद भी समाप्त हो गई.

SDR, अन्तरराष्ट्रीय मुदा कोष (IMF) द्वारा स्थापित एक अन्तरराष्ट्रीय रिज़र्व सम्पति है, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों में आधिकारिक विदेशी विनिमय रिज़र्व की पूर्ति करना और उनके लिए नक़दी की व्यवस्था करना है.

अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की इस सुविधा के तहत अभी तक सबसे बड़ा आवंटन, कोविड-19 के दौरान आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों के लिए 650 अरब डॉलर की धनराशि के रूप में किया गया था.

औसत वृद्धि दर.
Source: UNCTAD

गुज़र-बसर की बढ़ती क़ीमत

रिपोर्ट में सचेत किया किया गया है कि 2023 के शुरुआती महीनों के दौरान, विकासशील देशों में खाद्य वस्तुओं की महंगाई बनी हुई है, जिससे जीवन-व्यापन की क़ीमत बढ़ी है.

यह निष्कर्ष, खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के नवीनतम आकलन के अनुरूप है, जिसके अनुसार मार्च 2023 तक, लगातार 12 महीनों की गिरावट के बावजूद, वैश्विक खाद्य क़ीमतें, 2020 के औसत स्तर की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक हैं.

अनेक निम्न- और मध्य-आय वाले देशों को दोहरे अंकों में खाद्य मुद्रास्फीति के जूझना पड़ रहा है.

खाद्य वस्तुओं के ऊँचे दामों से खाद्य सुरक्षा के लिए जोखिम बढ़ता है, विशेष रूप से भोजन का आयात करने वाले विकासशील देशों के लिए.

अमेरिकी डॉलर या यूरो के मुक़ाबले उनकी मुद्रा की क़ीमत गिरने की वजह से हालात और गम्भीर हो गए हैं और क़र्ज़ का बोझ बढ़ रहा है.

UNCTAD ने सचेत किया है कि ऊँची ब्याज़ दरों और खाद्य सामग्री व ऊर्जा की क़ीमतों में जारी उछाल से घर-परिवारों द्वारा ख़र्च व व्यवसायों में निवेश कमज़ोर होगा.

कर्ज़ तंत्र में बदलाव

यूएन एजेंसी ने अपनी सिफ़ारिशों में स्पष्ट किया है कि मौजूदा वैश्विक कर्ज़ तंत्र की बनावट में सुधार लाने की ज़रूरत है, ताकि विकासशील देशों की आवश्यकताओं को उपयुक्त ढंग से पूरा किया जा सके.

इसके अलावा, यूएन एजेंसी ने क़र्ज़ मामलों में समाधान निकालने के लिए एक बहुपक्षीय ढाँचा स्थापित किए जाने, क़र्ज़ के लेनदेन पर सत्यापित आँकड़ों का पंजीकरण करने समेत, ऋण प्रक्रिया में विकास एवं जलवायु वित्त पोषण ज़रूरतों का भी ध्यान रखने पर बल दिया है.

सतत विकास लक्ष्यों के तहत शिंपिग कंपनियां टिकाऊ समुद्री परिवाहन के उपाय खोज रही हैं.
© MSC shipping

विकास वित्त पोषण को मज़बूती

ये सिफ़ारिशें, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की पिछले वर्ष जारी अपील के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने क़र्ज़ की ऊँची क़ीमतों पर राहत उपायों और विकास के लिए दीर्घकालिक वित्त पोषण का दायरा बढ़ाने की पुकार लगाई थी.

इस वर्ष फ़रवरी में, यूएन प्रमुख ने वार्षिक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का प्रस्ताव दिया, ताकि विकसित और विकासशील देशों के बीच विशाल वित्तीय दरार को पाटा जा सके और उन्हें टिकाऊ विकास लक्ष्यों के पथ पर अग्रसर किया जा सके.  

इस पैकेज में ज़रूरतमन्द देशों के लिए आपात हालात में वित्त पोषण व्यवस्था का विस्तार करने और संकट के दौरान SDR प्रक्रिया के तहत स्वत: मदद के प्रावधान पर ज़ोर दिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नए SDR के तहत कम से कम 650 अरब डॉलर मूल्य की धनराशि उपलब्ध बनाकर, भीषण क़र्ज़ के बोझ में दबे देशों को राहत प्रदान करने के लिए पहला सकारात्मक क़दम उठाया जा सकता है.