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अफ़ग़ानिस्तान: नागरिक समाज कार्यकर्ताओं व मीडियाकर्मियों को हिरासत में लिए जाने पर चिन्ता

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.
© Unsplash/Mohammad Husaini
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल का एक दृश्य.

अफ़ग़ानिस्तान: नागरिक समाज कार्यकर्ताओं व मीडियाकर्मियों को हिरासत में लिए जाने पर चिन्ता

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) ने अफ़ग़ानिस्तान में नागरिक समाज कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों की मनमाने ढंग से गिरफ़्तारी और हिरासत में लिए जाने पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है और उन्हें तत्काल रिहा किए जाने की मांग की है.

यूएन उच्चायुक्त कार्यालय के प्रवक्ता जर्मी लॉरेन्स ने बुधवार को कहा कि इस कार्रवाई में विशेष रूप से उन लोगों को निशाना बनाया गया है, जिन्होंने महिलाओं व लड़कियों के लिए तालेबान प्रशासन की भेदभावपूर्ण नीतियों के विरुद्ध आवाज़ उठाई है.

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ग़ौरतलब है कि अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालेबान की वापसी के बाद से महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों पर संकट है, और उनकी शिक्षा व कामकाज की सुलभता और सार्वजनिक व दैनिक जीवन में भागीदारी पर असर हुआ है.

प्रवक्ता जर्मी लॉरेन्स ने कहा, “हम मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए सभी लोगों की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं. अपने बुनियादी अधिकारों और दूसरों के अधिकारों के बचाव में आवाज़ मुखर करने पर किसी को भी हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए.”

बताया गया है कि वर्ष 2023 के शुरुआती दिनों से ही, नागरिक समाज कार्यकर्ताओं और मीडियाकर्मियों को हिरासत में लिए जाने के मामलों में चिन्ताजनक तेज़ी देखने को मिली है.

27 मार्च को, एक नागरिक समाज संगठन ‘पेनपाठ’ के प्रमुख मतिउल्लाह वेसा को अज्ञात व्यक्तियों ने हिरासत में ले लिया, जोकि बिना नम्बर की गाड़ी में सवार होकर आए थे.

यह संगठन, अफ़ग़ानिस्तान में लड़कियों के लिए स्कूलों को फिर से खोले जाने की मुहिम चला रहा है.

अभी यह पता नहीं चल पाया है कि मतिउल्लाह वेसा को किस स्थान पर रखा गया है. उन्हें हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद ही, उन्हीं अज्ञात व्यक्तियों ने मतिउल्लाह वेसा के घर जाकर उनके दो भाइयों को हिरासत में ले लिया, जिन्हें फिर कुछ घंटे बाद छोड़ दिया गया.

मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के अनुसार, अन्य कार्यकर्ताओं व पत्रकारों को भी हिरासत में लिए जाने के समाचार हैं, और उनके विरुद्ध लगाए गए आरोंपो, उनके स्वास्थ्य के बारे में कोई जानकारी मिल पाई है.

हिरासत में रखे गए लोगों में नरगिस सादात, ज़कारिया ओसुली, सुलतानी अली ज़ियाई, ख़ैरउल्लाह परहार, मोर्तज़ा बेहबूदी समेत अन्य कार्यकर्ता हैं.

दायित्वों के निर्वहन पर बल

मानवाधिकार कार्यालय ने ध्यान दिलाया है कि अभिव्यक्ति व अपनी राय रखने के अधिकार समेत अन्य बुनियादी अधिकारों के जायज़ इस्तेमाल के बदले दंडस्वरूप गिरफ़्तारी या हिरासत, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के अनुरूप नहीं है.

यूएन एजेंसी प्रवक्ता ने कहा कि देश में मानवाधिकारों का सम्मान किया जाना होगा, विशेष रूप से लोगों को गिरफ़्तार किए जाने की वजह, उन पर लगे आरोपों की जानकारी दी जानी होगी.

हिरासत में लिए गए लोगों को परिवार से मिलने और क़ानूनी मशविरा पाने का अधिकार सुनिश्चित किया जाना होगा.

अफ़ग़ानिस्तान ने, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार सन्धियों पर अपनी मुहर लगाई है, और इस वजह से तालेबान प्रशासन का यह दायित्व है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी, राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता, शान्तिपूर्ण ढंग से एकत्र होने और शिक्षा व काम करने के अधिकार को सुलभ बनाया जाए.