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यूएन सम्मेलन में, 'वैश्विक जल संकट' के समाधानों पर नज़र

युगांडा में एक प्राइमरी स्कूल में, बच्चे नल के पानी से हाथ धोते हुए.
© UNICEF/Proscovia Nakibuuka
युगांडा में एक प्राइमरी स्कूल में, बच्चे नल के पानी से हाथ धोते हुए.

यूएन सम्मेलन में, 'वैश्विक जल संकट' के समाधानों पर नज़र

एसडीजी

दुनिया भर के अमूल्य जल संसाधन, “गहरे संकट में” हैं और विश्व भर के नेतागण, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, ‘इस बहुकोणीय वैश्विक संकट’ के समाधानों पर विचार करने के लिए इस सप्ताह यूएन मुख्यालय में एकत्र हो रहे हैं.

बुधवार को शुरू हुआ यूएन जल सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब ये बेशक़ीमती प्राकृतिक संसाधन घट रहा है, प्रदूषित हो रहा है और इसका कुप्रबन्धन भी हो रहा है.

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इस तीन दिवसीय सम्मेलन की सह-मेज़बानी किंगडम ऑफ़ नैदरलैंड्स और ताजिकिस्तान कर रहे हैं.

ये सम्मेलन टिकाऊ विकास लक्ष्य की प्राप्ति के रास्ते में आधे पड़ाव पर आयोजित हो रहा है, जिसमें सभी लोगों को वर्ष 2030 तक सुरक्षित जल और स्वच्छता तक पहुँच सुनिश्चित करने का वादा किया गया है.

'मानवता के जीवनरक्त' की बर्बादी

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रेखांकित किया है कि पानी एक मानवाधिकार है और विकास के लिए अति महत्वपूर्ण भी जिससे एक बेहतर वैश्विक भविष्य को आकार मिलेगा.

उन्होंने कहा है, “मगर जल गहरे संकट में है, हम मानवता के इस जीवनरक्त  को अत्यधिक उपभोग और ग़ैर-टिकाऊ प्रयोग के ज़रिए, व्यर्थ बहा रहे हैं, और वैश्विक तापमान वृद्धि के ज़रिए भी इसे भाप बनकर उड़ने दे रहे हैं."

"हमने जल चक्र को तोड़ दिया है, पारिस्थितिकियों को तबाह कर दिया है और भूमिगत पानी को दूषित कर दिया है.”

एक वैश्विक संकट

यूएन प्रमुख ने चार में से लगभग तीन प्राकृतिक संकट, पानी से जुड़े हुए हैं, और पृथ्वी के लगभग एक चौथाई हिस्से को, सुरक्षित तरीक़े से प्रबन्धित जल सेवाओं या स्वच्छ पेयजल के बिना ही जीवित रहना पड़ता है.

उससे भी ज़्यादा, लगभग एक अरब 70 करोड़ लोगों को बुनियादी स्वच्छता मयस्सर नहीं है, क़रीब 50 करोड़ लोगों को खुले स्थानों में शौच करने के लिए जाना पड़ता है और लाखों लड़कियों को हर दिन पानी लाने के लिए घंटों ख़र्च करने पड़ते हैं.

यूएन जलवायु सम्मेलन में शिरकत करने वाले नेताओं को, वैश्विक जल संकट के, रूपान्तरकारी समाधान तलाश करने के लिए, चुनौती दी जा रही है, या यूँ कहें कि उन्हें प्रेरित किया जा रहा है.

इस संकट को “अत्यधिक जल” - मसलन तूफ़ान और बाढ़ें; या फिर “अति अल्प जल” – मसलन सूखा की स्थितियाँ और भूमिगत जल की क़िल्लत जैसे नाम दिए गए हैं. साथ ही अत्यधिक “गन्दा पानी” नामक संकट भी शामिल है, जिसमें पीने के पानी के प्रदूषित स्रोत शामिल हैं.

खाइयाँ पाटें, निवेश बढ़ाएँ

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने चार प्रमुख क्षेत्रों में कार्रवाई की पुकार लगाई है. जिसमें उन्होंने सर्वप्रथम है – “जल प्रबन्धन खाई” क़रार दिया है.

उन्होंने कहा कि देशों की सरकारों को ऐसी योजनाएँ बनाकर उन्हें लागू करना होगा जो सभी लोगों को जल की समान पहुँच सुनिश्चित करें और साथ ही जल संरक्षण को भी प्रोत्साहित करें. और देशों की सरकारों को इस बेशक़ीमती संसाधन को संयुक्त रूप से प्रबन्धन की ख़ातिर एक साथ मिलकर काम करना होगा.

जल और स्वच्छता प्रणालियों में व्यापक संसाधन निवेश की ज़रूरत पर केन्द्रित उनके दूसरे बिन्दु में, प्रस्तावित एसडीजी प्रोत्साहन योजना और वैश्विक वित्तीय ढाँचे में सुधारों को रेखांकित किया गया है, जो टिकाऊ विकास में निवेश में व्यापक बदलावों पर लक्षित है.

आपदा सहनक्षमता में निवेश

यूएन प्रमुख का तीसरा बिन्दु सहनक्षमता पर है क्योंकि “हम 21वीं सदी की इस आपदा का प्रबन्धन, किसी अन्य युग के ढाँचे के साथ नहीं कर सकते.”

एंतोनियो गुटेरश ने आपदा-सहनसक्षम पाइपलाइनों, जल-आपूर्ति ढाँचे, और अपशिष्ट जल उपचारण संयंत्रों के साथ-साथ पानी को री-सायकल करने और जल संरक्षण की तरीक़ों में संसाधन निवेश की पुकार लगाई है.

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को जलवायु और जैव-विविधता अनुकूल खाद्य प्रणालियों की भी ज़रूरत होगी जो मीथेन गैस के उत्सर्जन व जल प्रयोग को कम करें. साथ ही वास्तविक परिस्थितियों में पानी की ज़रूरतों के बारे में अनुमान प्रस्तुत करने वाली वैश्विक सूचना प्रणालियों की भी आवश्यकता होगी.

जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केन्द्रित करें

पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त के लरकाना ज़िले में एक अस्थाई शिविर में यूनीसेफ़ द्वारा स्थापित एक जलपोत से एक लड़का पानी पीते हुए.
© UNICEF/Asad Zaidi

यूएन महासचिव ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की भी पुकार लगाई, जोकि उनका अन्तिम बिन्दु था. “जलवायु कार्रवाई और एक टिकाऊ जल भविष्य, दरअसल एक ही सिक्के के दो पक्ष हैं.”

उन्होंने देशों की सरकारों से तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सैल्सियस तक सीमित रखने और विकासशील देशों को जलवायु न्याय मुहैया कराने में कोई क़सर बाक़ी नहीं छोड़ने का आग्रह किया.

एंतोनियो गुटेरेश ने सर्वाधिक औद्योगीकृत देशों के समूह – जी20 को एक जलवायु एकजुटता पैक्ट स्थापित किए जाने के प्रस्ताव की याद दिलाई, जिसमें सर्वाधिक उत्सर्जक देशों को, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के लिए अतिरिक्त प्रयास करेंगे.

धनी देश, उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समर्थन करने के लिए, वित्तीय और तकनीकी संसाधन भी सक्रिय करेंगे.

‘एक वाटरशैड क्षण’

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने यूएन जल सम्मेलन के लिए अपनी टिप्पणी में कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय, इस समय एक अति महत्वपूर्ण पड़ाव पर है.

उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि हम परम्परागत समाधानों में तेज़ी लाकर, सततता, आर्थिक स्थिरता और वैश्विक बेहतर रहन-सहन का अपना वादा पूरा नहीं कर सकते हैं. हमारे पास ना तो पर्याप्त समय है और ना ही पर्याप्त ग्रह. स्पष्ट शब्दों में कहें तो ताज़ा पानी पर्याप्त मात्रा में बचा ही नहीं है.”

‘एक वैश्विक सामान्य भलाई’

यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को ये स्वीकार करना होगा कि पानी “एक वैश्विक साझा भलाई है और उसी के अनुरूप अपनी नीतियों, क़ानूनों और वित्त को ढालना होगा.”

उन्होंने देशों से “लोगों और पृथ्वी ग्रह के हित में काम करने का भी आग्रह किया, नाकि टालमटोल और अपने फ़ायदे के लिए.”

कसाबा कोरोसी ने ऐसी एकीकृत भूमि प्रयोग, जल और जलवायु नीतियों का भी आहवान किया जो पानी को, जलवायु शमन और अनुकूलन के लिए एक उत्प्रेरक बनाएँ, जिनसे सहनक्षमता का निर्माण हो – लोगों व प्रकृति दोनों के लिए.

उन्होंने कहा, “हम वैश्विक जल सूचना प्रणाली के माध्यम से, देशों व हितधारकों को सशक्त बनाने के लिए एक साथ मिलकर काम कर सकते हैं. ये प्रणाली जल उपलब्धता, मांग और क़िल्लत के भ्रम क हल करने के लिए, हमारा जीवन बीमा है.”

कसाबा कोरोसी ने ज़ोर देकर कहा कि जल सम्मेलन अपनी स्थितियों, लाभों, और समायोजन करने के बारे में सौदेबाज़ी करने का कोई स्थान नहीं है. उन्होंने नेताओं से ऐसे समाधानों पर चर्चा करने का आग्रह किया हो विज्ञान आधारित, टिकाऊ, व्यावहारिक हों, और एकजुटता में हों.

जल सम्मेलन के आरम्भ में, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति ऐमोमाली रहमॉन और नैदरलैंड्स के सम्राट विलेम-अलैक्ज़ैंडर, इस कार्यक्रम अध्यक्ष निर्वाचित हुए.