जल दिवस: इस संसाधन की असली क़ीमत पहचानने की पुकार

संयुक्त राष्ट्र, सोमवार, 22 मार्च को विश्व जल दिवस मना रहा है जिस दौरान, इस वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दिया जा रहा है कि दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में, लोग जल संसाधनों की किस तरह क़द्र करते हैं.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, इस दिवस पर अपने सन्देश में कहा है, “मेरे लिये, जल का अर्थ है संरक्षा.”
उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि सुप्रबन्धित जल चक्र, जिसमें पीने का पानी, स्वच्छता, साफ़-सफ़ाई, प्रयुक्त जल, सीमा-पार जल प्रबन्धन और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों का मतलब है, तमाम ख़राब स्वास्थ्य और शर्मिन्दगी से हिफ़ाज़त.
उन्होंने कहा कि इसका मतलब है, “बदलती जलवायु और बढ़ती वैश्विक मांग के कारण उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का मुक़ाबला करना”.
पानी के बढ़ते वैश्विक संकट के मद्देनज़र, एक बुनियादी प्रश्न उठाया गया है ताकि हर एक इनसान और हर एक मक़सद की ख़ातिर, पानी की वास्तविक अहमियत को समझा जा सके.
मौजूदा समय में, दुनिया भर में, औसतन, हर तीन में से एक इनसान को पीने का सुरक्षित पानी उपलब्ध नहीं है.
और ऐसी आशंकाएँ हैं कि वर्ष 2050 तक, क़रीब 5 अरब 70 करोड़ लोग ऐसे क्षेत्रों में रह रहे होंगे, जहाँ साल भर में, कम से कम एक महीने के लिये, पानी की भारी क़िल्लत होगी.
इसके अतिरिक्त, ये भी अनुमान है कि वर्ष 2040 तक, वैश्विक जल मांग में 50 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो सकती है, जिससे अति महत्वपूर्ण जल संसाधन पर, अतिरिक्त दबाव बनेगा.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पानी की बर्बादी और दुरुपयोग, का एक प्रमुख कारण ये है कि बहुत से लोग पानी की महत्ता और मूल्य नहीं समझ पाते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, “पानी की अहमियत को पहचान देना व पानी के मूल्य के दायरे को एक आकार देना, और इसे निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाना, जल संसाधन के टिकाऊ और समतामूलक प्रबन्धन के लिये बहुत महत्वपूर्ण है.”
विश्व जल दिवस के मौक़े पर जारी इस रिपोर्ट में, जल व सम्बन्धित क्षेत्रों की बेहतर देखभाल और प्रबन्धन के लिये, विचारों व कार्रवाई को बढ़ावा देने की ख़ातिर, आदर्श परिदृश्य व गहन विश्लेषण भी पेश किये गए हैं.
यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि जल व टिकाऊ विकास, आपस में गहराई से गुँथे हुए हैं.
उन्होंने कहा, “टिकाऊ विकास का कोई भी पहलू ऐसा नहीं है जो बुनियादी रूप में, पानी पर निर्भर ना हो.”
सभी के लिये, पानी की उपलब्धता और स्वच्छता का टिकाऊ प्रबन्धन सुनिश्चित किया जाना भी, 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में एक लक्ष्य है.
ध्यान रहे कि देशों ने टिकाऊ विकास लक्ष्य प्राप्ति 2030 तक करने के लिये संकल्प व्यक्त किये हैं.
जल उपलब्धता के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में, वैसे तो प्रगति हुई है, मगर प्रगति की रफ़्तार चार गुना बढ़ानी होगी.
यूएन प्रमुख ने कहा, “जल व स्वच्छता सुविधाओं में, लगातार कम संसाधन निवेश किये जाने के कारण, बहुत बड़ी आबादी को नुक़सान होता है और वो पीछे छूट जाती है. ये अस्वीकार्य है.”
उन्होंने सभी से, पानी की अहमियत सही मायने में स्थापित करने के प्रयासों के लिये, संकल्प मज़बूत करने का आहवान किया, ताकि सभी इनसानों को, इस बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधान की समतामूलक उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके.