मानवाधिकार विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण को एक प्रमुख मुद्दा बनाने के लिये, विश्व का पहला सम्मेलन, पाँच दशक पहले स्वीडन में हुआ था, तब से ये समझ बढ़ी है कि अगर इनसानों ने पृथ्वी की देखभाल करने में कोताही बरती, तो ये ग्रह मानव बलिदान का क्षेत्र बनकर रह जाएगा. पृथ्वी की रक्षा के लिये आगे की कार्रवाई पपर चर्चा करने के लिये, इस सप्ताह स्टॉकहोम में ताज़ा विचार-विमर्श शुरू होने वाला है, उस सन्दर्भ में सोमवार को, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि ऐसे कहीं ज़्यादा विशाल प्रयासों की आवश्यकता है जिनके ज़रिये हर साल लाखों ज़िन्दगियाँ बचाई जा सकें.