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2030 के जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, अहम बढ़त की दरकार

पाकिस्तान में एक छह-वर्षीय लड़की एक सामुदायिक हैंडपम्प से पानी पी रही है.
© UNICEF
पाकिस्तान में एक छह-वर्षीय लड़की एक सामुदायिक हैंडपम्प से पानी पी रही है.

2030 के जल, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए, अहम बढ़त की दरकार

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र के उच्च स्तरीय राजनैतिक फ़ोरम (HLPF) में मंगलवार को, टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा हुई, और कहा गया कि कुछ प्रगति के बावजूद, दुनिया भर में अरबों जन अब भी, पानी, साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता साधनों तक पहुँच से वंचित हैं, और ये स्थिति, टकरावों और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न पानी की क़िल्लत से और भी अधिक गम्भीर हुई है.

जल प्रदूषण से अनेक देशों में, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को गम्भीर चुनौती दरपेश है.

दुनिया भर में वर्ष 2022 में, लगभग 2.2 अरब लोगों को, सुरक्षित रूप में प्रबन्धित पानी तक पहुँच नहीं थी, वहीं लगभग साढ़े तीन अरब लोग, साफ़-सफ़ाई के साधनों से वंचित थे और दो अरब लोग स्वच्छता की बुनियादी सेवाओं से महरूम थे. 

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दुनिया टिकाऊ विकास लक्ष्य – 6 की प्राप्ति की दिशा में बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है, जिसमें बुनियादी जल आवश्यकताओं की पूर्ति का आहवान किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मामलों के विभाग (DESA) के अनुसार, वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक कवरेज के लिए, इससे कहीं अधिक रफ़्तार की आवश्यकता है.

टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की ख़ातिर, जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए, कम से कम छह गुना वृद्धि, साफ़-सफ़ाई की उपलब्धता के लिए पाँच गुना वृद्धि, और स्वच्छता तक पहुँच सम्भव बनाने के लिए तीन गुना रफ़्तार वृद्धि की ज़रूरत है. 

और 107 देशों में तो तत्काल गति-वृद्धि की ज़रूरत है.

जल का ‘नया अर्थशास्त्र’

यह मुद्दा, मार्च 2023 में हुए जल सम्मेलन में भी प्रमुखता से छाया था, जिसका आयोजन यूएन महासभा अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने किया था.

उन्होंने मंगलवार के कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए, जल उपलब्धता को एक बुनियादी अधिकार के रूप में मज़बूत किए जाने की पुकार लगाई.

उन्होंने जल के एक ‘नए अर्थशास्त्र’ का विकास किए जाने का आहवान किया, जो नवाचार पर आधारित हो. 

उन्होंने इसमें, विकासशील देशों में क्षमता निर्माण और उन्हें समर्थन देने के लिए, एक वैश्विक जल शिक्षा नैटवर्क की स्थापना की भी हिमायत की.

महासभा अध्यक्ष ने ये भी याद दिलाया कि जल सम्मेलन में विश्व नेताओं ने, एक प्रेरणादायक, सहकारी, देशों के बीच और परिवर्तनकारी जल कार्रवाई एजेंडा के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. उसके क्रियान्वयन के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर की रक़म के संकल्प व्यक्त किए गए थे. 

जल, अक्सर देशों के बीच तनावों का स्रोत भी बन जाता है. साझा नदियों, झीलों और ज़मीनी पानी वाले 153 में से केवल 32 देशों ने ही, उस पानी का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा, अन्तरराष्ट्रीय समझौतों के दायरे में शामिल किया है.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने, सभी क्षेत्रों में तमाम देशों को समर्थन देने के लिए, समावेशी और व्यापक अन्तर-देशीय समझौतों की ज़रूरत को रेखांकित किया, जो यूएन जल सन्धि पर आधारित हों.

यूएन जल दूत

कसाबा कोरोसी ने कहा, “हमें संस्थानात्मक ढाँचे को सुधारना होगा. इसका नेतृत्व करने के लिए हमें, यूएन एजेंसियों के एक बोर्ड, एक यूएन जल दूत की ज़रूरत है, जिसे यूएन जल (UN Water) और एक वैज्ञानिक पैनल का समर्थन हासिल हो.”

इस फ़ोरम में अपने विचार रखने वाले प्रतिनिधियों को आशा है कि यूएन महासचिव, जल के लिए एक विशेष दूत की जल्द ही घोषणा करेंगे, जिसका शासनादेश, एक वैश्विक जल प्रशासन को मज़बूत करने और अन्तरराष्ट्रीय एजेंडा के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में, पानी की दृश्यता को बढ़ाने पर केन्द्रित होगा.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने कहा, “हम जानते हैं कि क्या करना है. हम जानते हैं कि कैसे करना है. अब जिस चीज़ की कमी है, वो है असल कार्रवाई.”