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रूसी आक्रमण के दौरान ओडेसा की सड़कें

‘ओडेसा’ को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किए जाने पर मेयर की ख़ुशी

Odessa Mayor's Office
रूसी आक्रमण के दौरान ओडेसा की सड़कें

‘ओडेसा’ को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किए जाने पर मेयर की ख़ुशी

संस्कृति और शिक्षा

यूक्रेन के ऐतिहासिक बन्दरगाह शहर ओडेसा को संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है. ओडेसा के मेयर गेन्नादी ट्रूख़ानोव ने संयुक्त राष्ट्र समाचार के साथ एक साक्षात्कार में, इसे एक बड़ी जीत के रूप में वर्णित किया और कहा कि ये उपलब्धि, ओडेसा की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने में सहायता करेगी.

मेयर गेन्नादी ट्रूख़ानोव ने बुधवार को यूनेस्को की इस घोषणा के कुछ देर बाद ही, यूएन न्यूज़ के साथ ख़ास बातचीत की और इस सूची में शामिल होने के मुश्किल सफ़र के बारे में बताया.

ओडेसा के मेयर गेन्नादी ट्रूख़ानोव ने बताया कि उन्होंने यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शिरकत करने के लिए वर्ष 2009 में आवेदन किया था, और अस्थाई सूची में जगह बनाई थी.

लेकिन ये प्रक्रिया काफ़ी लम्बी चली और फिर युद्ध शुरू होने के बाद, एक वास्तविक ख़तरा था कि हमारे वास्तु स्मारकों को नष्ट कर दिया जाएगा.

“रूसी सैनिकों द्वारा हमले के पहले महीने में, मैं संस्कृति और विदेश मामलों के मंत्रालय में शामिल हो गया और हमारे ऐतिहासिक शहर व बन्दरगाह को, यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने की प्रक्रिया में जुट गया.”

UNESCO के इस समर्थन के लिए हम बहुत आभारी हैं. हमने अनेक ऑनलाइन बैठकें आयोजित कीं. लगभग हर दिन हम संगठन के सम्पर्क में थे और उनकी मदद व क़ानूनी सलाह के बिना, यहाँ तक पहुँचना मुमकिन नहीं था.

ओडेसा के मेयर गेन्नेडी ट्रूख़ानोव

यूएन न्यूज़ – ओडेसा को, हमले के शुरूआती दिनों से ही निशाना बनाया जा रहा है. शहर के ऐतिहासिक हिस्से को बचाने के लिए शहर के अधिकारियों ने क्या प्रयास किए हैं?

मेयर गेन्नादी ट्रूख़ानोव – हमने सभी स्मारकों को रेत से भरे बोरों से ढक दिया था, लेकिन इससे पूर्ण सुरक्षा सम्भव नहीं. उदाहरण के तौर पर, एक रॉकेट के धमाके से प्रिमोर्स्की बुलेवार्ड पर वोरोत्सोव पैलेस क्षतिग्रस्त हो गया था जोकि एक वास्तुशिल्प स्मारक है. इस इमारत की छत का एक हिस्सा नष्ट हो गया था, और खिड़कियाँ टूट गईं थी.

निस्सन्देह, हम एक सीधे हमले के मामले में कुछ नहीं कर सकते हैं, लेकिन हम अपनी ऐतिहासिक इमारतों को विस्फोट की लहर से बचा सकते हैं.

ओपेरा हाउस को हमने लम्बे समय तक रेत के बोरों से घेरे रखा था, लेकिन बाद में हमने कुछ बोरे हटा दिए ताकि हम ये बता सकें की यूक्रेन आज भी जीवित है, व लड़ रहा है.  हम यह सन्देश भी देना चाहते थे कि हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों का समर्थन करते हैं.

इटली में हमारे सहयोगियों का संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) के साथ काफ़ी अच्छा अनुभव रहा है. हमें अपने संग्रहालयों से विशेष रूप से मूल्यवान पेन्टिंगस को उनके अस्थाई संग्रहालय में स्थानान्तरित करने का सुझाव दिया गया. हम लगातार बिजली कटौती की मार झेल रहे हैं और चूँकि पेन्टिंगस को एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है, तो हम इस प्रस्ताव का लाभ उठाने पर विचार कर रहे हैं.

यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान ओडेसा की एक सड़क का दृश्य.
Odessa Mayor's Office

यूएन न्यूज़ – युद्ध के बावजूद, क्या ओडेसा में आज भी सांस्कृतिक जीवन चल रहा है?

मेयर गेन्नादी ट्रूख़ानोव – जी हाँ, ओडेसा में सांस्कृतिक जीवन जारी है. ओपेरा हाउस में सभी सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए, प्रीमियर और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं, लोगों की संख्या उतनी ही रखी जाती है जितनी बम आश्रय में गुंजाइश होती है.

हमें लगता है सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने से लोगों का ध्यान, युद्ध से थोड़ा हटता है और वे ज़्यादा मायूस नहीं रहते. युद्ध क़रीब एक साल से चल रहा है और ऐसे में अपना मनोबल बनाए रखना बहुत कठिन हो सकता है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ओडेसा के मेयर गेन्नेडी ट्रूख़ानोव के साथ.
Odessa's Mayor Office

यूएन न्यूज़ – काला सागर अनाज पहल में भाग लेने वाले तीन बन्दरगाहों में से एक ओडेसा है. इस कार्यक्रम के आरम्भ के बाद से शहर में जीवन कितना बदल गया है?

मेयर गेन्नादी ट्रूख़ानोव – ओडेसा में ही मेरा जन्म हुआ और यहीं मैंने परवरिश पाई. जब बन्दरगाह पर काम बन्द हो गया, जहाज़ नहीं चलते थे और बन्दरगाह सुनसान थे. ये  देखकर बहुत दुख होता था. पर जब से इस पहल को लागू किया गया जो अन्तरराष्ट्रीय सहायता और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के व्यक्तिगत प्रयासों के कारण सम्भव हो पाया, इसके उपरान्त बन्दरगाह का काम शुरू हो सका और मानवीय सहायता से लदे जहाज़ों के परिवहन को बहाल करना मुमकिन हो पाया.

बन्दरगाह पर काम करने वालो के लिए और उन सभी कम्पनियों के लिए जिनका सम्बन्ध बन्दरगाह से हो, यह बहुत महत्वपूर्ण था, साथ ही हम सभी के लिए, और पूरे विश्व के लिए भी. ये वापस वही जीवन जीने जैसा है जो हमारा पहले हुआ करता था.

हम इस पहल का विस्तार करना चाहते हैं, हालाँकि हम समझते हैं कि यह सब इतना आसान नहीं है. हम इन प्रयासों का समर्थन करते हैं और बहुत आभारी हैं. हम उम्मीद करते हैं कि हमें सफलता अवश्य मिलेगी.

काला सागर अनाज निर्यात पहल के तहत, पहला वाणिज्यिक जहाज़, सामग्री लेकर रवाना होते हुए.
© UNOCHA/Levent Kulu