ग्रीस: प्रवासियों के सहायता कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुक़दमे वापिस लिए जाने की अपील
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त (OHCHR) ने ग्रीस की सरकार द्वारा, संकट में फँसे, समुद्र मार्ग से यात्रा करने वाले प्रवासियों की मदद करने वाले अनेक सहायता कार्यकर्ताओं पर दर्ज किए गए मुक़दमों को ख़त्म करने की अपील की है.
ऐसे 24 कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों के मुक़दमों की सुनवाई, मंगलवार को ग्रीक द्वीप लेसवोस में शुरू हुई है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, जिन लोगों पर मुक़दमें चल रहे हैं वे सभी आपात कार्रवाई केन्द्र ERCI से जुड़े रहे हैं.
इन सहायताकर्मियों के समूह ने वर्ष 2016 और 2018 के बीच एक हज़ार से अधिक शरणार्थियों को सुरक्षित ढंग से उनके क्षेत्रों में पहुँचने में मदद की है, और पीड़ितों को चिकित्सा के साथ अन्य सहायता प्रदान की है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने शुक्रवार को कहा कि, “मुझे लगता है यह बिल्कुल स्पष्ट है कि आपके समक्ष ऐसे लोग हैं जो क्षमता से अधिक भरी नावों पर यात्रा करने के लिए मजबूर हैं, जिनकी नाव पलट सकती है, डूब सकती है, वो समुद्र के बीच हैं और उनकी रक्षा करने वाले काई नहीं है.”
“इसी वजह से हम ये कह रहे हैं कि ये मुक़दमा और इस तरह के मुक़दमें बहुत चिन्ताजनक हैं क्योंकि ये मुक़दमे रक्षा करने वालों के प्रयासों को ग़ैरकानूनी मानते हैं.”
प्रवक्ता प्रवक्ता लिज़ थ्रॉसेल ने जिनीवा में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि जिन लोगों पर मुक़दमा चल रहा है उनमें एक सीरियाई शरणार्थी और आयरिश-जर्मन नागरिक शॉन बाइंडर जैसे विदेशी नागरिक शामिल हैं.
मौत या गुमशुदगी
प्रवक्ता थ्रॉसेल ने दोहराया कि अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के अनुसार, वर्ष 2021 से अब तक, पूर्वी भूमध्य सागर में 492 प्रवासियों की या तो मौत हुई या फिर लापता हुए; और इसके बावजूद आज ग्रीक समुद्र में कोई नागरिक समाज राहत दल सक्रिय नहीं है.
यूएन मानवाधिकार कार्यालय की अधिकारी ने कहा कि हंगरी, इटली और माल्टा सहित कई अन्य योरोपीय संघ के देशों में, अन्य अधिकार कार्यकर्ताओं पर इसी तरह की सुनवाई पहले ही हो चुकी है.
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की ‘लापता प्रवासीजन परियोजना’ (Missing Migrant project), क्षेत्र में प्रवासीजन की मौतों की जानकारी देती है.
वर्ष 2014 से अब तक पूर्वी भूमध्य सागरीय समुद्री मार्ग पर, लगभग 1,700 प्रवासी जन की मौतें और गुमशुदगी दर्ज की गई है, जिनमें क़रीब 500 बच्चे शामिल हैं.
अनेक पीड़ित जन, सीरिया, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान से भी हैं.