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योरोपीय सीमाओं पर हिंसा विराम व शरणार्थी सुरक्षा की अपील

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम और योरोपीय संघ से मिलने वाली नक़दी सहायता से, तुर्की में सीरियाई शरणार्थियों को ग़रीबी से बाहर रखने में मदद मिलती है.
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संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम और योरोपीय संघ से मिलने वाली नक़दी सहायता से, तुर्की में सीरियाई शरणार्थियों को ग़रीबी से बाहर रखने में मदद मिलती है.

योरोपीय सीमाओं पर हिंसा विराम व शरणार्थी सुरक्षा की अपील

प्रवासी और शरणार्थी

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के उच्चायुक्त फिलिपो ग्रैण्डी ने योरोप में शरणार्थियों और पनाह मांगने वालों को और ज़्यादा सुरक्षा मुहैया कराने का आग्रह किया है.

फ़िलिपो ग्रैण्डी ने, सोमवार को जारी एक वक्तव्य में कहा है कि इन लोगों के साथ हिंसा, दुर्व्यवहार, और उन्हें जबरन वापिस भेजे जाने के मामले, लगातार सामने आ रहे हैं और ऐसे मामले ज़मीनी व समुद्री सीमाओं - दोनों पर हो रहे हैं.

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यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR  ने विभिन्न योरोपीय देशों की सीमाओं पर शरणार्थियों के साथ की जाने वाली हिंसा और उनके मानवाधिकार हनन के बढ़ते मामलों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है, इनमें से अनेक घटनाओं में, दुखद मौतें भी हुई हैं.

एजेंसी के वक्तव्य में कहा गया है कि विभिन्न यूएन एजेंसियों और अन्तर-सरकारी संगठनों व ग़ैर-सरकारी संगठनों की बारम्बार पुकारों के बावजूद, योरोपीय सीमाओं के भीतर और उनके परे भी, हिंसक घटनाएँ जारी हैं.

शरणार्थी उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी का कहना है, “हम ग्रीस की तुर्की से मिलने वाली ज़मीनी व समुद्री सीमाओं से, ऐसी लगातार और बार-बार होती घटनाओं पर बहुत चिन्तित हैं, जहाँ यूएन शरणार्थी एजेंसी ने, वर्ष 2020 के शुरू से, ग्रीस द्वारा लोगों को अनौपचारिक रूप से वापिस लौटा देने के लगभग 540 मामले दर्ज किये हैं.”

पीछे धकेलना और डाँच-फटकार

तुर्की में, इस समय लगभग 37 लाख सीरियाई और तीन लाख 30 हज़ार अन्य शरणार्थी रह रहे हैं, जिनमें ज़्यादातर संख्या अफ़ग़ान लोगों की है.

यूएन शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, लोगों को ज़बरदस्ती और बलपूर्वक वापिस लौटाया जा रहा है, और लोग धमकियों, डाँच-फटकार, हिंसा और अपमान की भारी तकलीफ़ों का सामना कर रहे हैं.

फ़िलिपो ग्रैण्डी ने कहा, “समुद्र में ऐसे लोगों की ख़बरें मिली हैं जिन्हें छोटी-छोटी आपात नावों में छोड़ दिया जाता है या फिर उन्हें सीधे पानी में ही धकेल दिया जाता है, और ऐसी घटनाओं में, मानव जीवन के लिये सम्मान की दयाहीन कमी नज़र आती है.”

एजेंसी के अनुसार, विश्वसनीय सबूतों के बावजूद, योरोपीय देश, ऐसे मामलों की जाँच कराने में नाकाम रहे हैं.

दीवारों और बाड़ों का निर्माण

फ़िलिपो ग्रैण्डी ने कहा कि किसी देश में शरण लेने का अधिकार इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वो लोग किसी देश में किस तरह पहुँचते हैं, और ये स्पष्ट है कि जो लोग किसी देश में पनाह के लिये आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें इसकी अनुमति मिलनी चाहिये.

ताज़ा आँकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 8 करोड़ 24 लाख लोगों को, अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है जिनमें लगभग दो करोड़ 64 लाख शरणार्थी हैं, और उनमें से लगभग आधी संख्या 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों की है.

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त ने कहा, “युद्ध और उत्पीड़न से बचकर भाग रहे लोगों के पास बहुत कम विकल्प हैं.”

उन्होंने कहा कि दीवारें या बाड़ें लगाने से कोई सार्थक हल नहीं निकलने वाला है, बल्कि इनके कारण और ज़्यादा तकलीफ़ें बढ़ेंगी, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिये.

यूएन शरणार्थी उच्चायुक्त ने एजेंसी के कामकाज में, योरोपीय देशों के समर्थन को रेखांकित किया और कहा कि विदेशों में वित्तीय व क्षमता सहायता के बदले में, देश अपनी सीमाओं के भीतर शरणार्थियों को आने देने के बारे में अपनी ज़िम्मेदारियों से नहीं बच सकते हैं.

उन्होंने तमाम देशों से जीवन और शरण पाने के अधिकार सहित, बुनियादी मानवाधिकारों का सम्मान करने और इनके लिये अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की पुकार भी लगाई.