ग्रीस के द्वीपों पर शरणार्थियों की संख्या बढ़ने से चिंता

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने कहा है कि ग्रीस के द्वीपों पर शरणार्थियों और प्रवासियों के लिए बनाए गए केंद्रों पर ज़बरदस्त भीड़ है जिससे वहां हालात बिगड़ने का ख़तरा पैदा हो गया है. इन हालात के मद्देनज़र यूएन एजेंसी ने ग्रीस सरकार से अपील की है कि शरण मांग रहे लोगों की जल्द सुनवाई करते हुए उन्हें उन द्वीपों से तत्काल देश के अन्य हिस्सों में भेजा जाना चाहिए.
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर 2019 में समुद्री मार्ग से आने वाले लोगों की संख्या 10 हज़ार से ज़्यादा है जो वर्ष 2016 के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है.
Sea arrivals in September, mostly of Afghan and Syrian families, to Greek islands increased to 10,258 – the highest monthly level since 2016 – worsening conditions on the islands which now host 30,000 #asylum seekers. @Refugees spox provides an update to @UNGeneva press corps. pic.twitter.com/1esKIc2vzL
UNGeneva
इससे पहले रविवार को मोरिया केंद्र में अस्थाई शिविर के रूप में इस्तेमाल लाए जा रहे एक कंटेनर में आग लग गई जिसमें झुलस कर एक महिला की मौत हो गई. इस घटना के बाद क्रोधित लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किया.
जिनीवा में यूएन शरणार्थी एजेंसी की प्रवक्ता लिज़ थ्रोस्सेल ने पत्रकारों को बताया कि शरण की तलाश में आ रहे लोगों की संख्या बढ़ने से ग्रीस के द्वीपों पर बनाए गए केंद्रों पर जोखिम बढ़ रहा है और मुश्किल हालात पैदा हो गए हैं.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़ इन द्वीपों पर 30 हज़ार से ज़्यादा लोग शरण की तलाश में हैं और उनमें 4,400 से ज़्यादा अकेले यात्रा कर रहे बच्चे हैं. इनमें 500 किशोरों को वयस्कों के लिए बनाए गए शिविरों में रखा गया है.
इन्हीं हालात को देखते हुए ग्रीस सरकार से उनके मामलों की जल्द सुनवाई करने और शरणार्थियों को मुख्य भूमि योरोप में हस्तांतरित किए जाने की अपील की जा रही है.
लेसवोस में आधिकारिक केंद्र में 12 हज़ार 600 लोगों ने शरण ली है जो उसकी कुल क्षमता से पांच गुना अधिक है जबकि एक अन्य अस्थाई शिविर में 100 से ज़्यादा लोगों को एक ही शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ रहा है.
सामोस में, वाथी केंद्र में लगभग साढ़े पांच हज़ार लोग रहते हैं जो उसकी कुल क्षमता का आठ गुना है. वहीं कोस में महज़ 700 लोगों के लिए बनाए गए केंद्र में तीन हज़ार लोग रहने को मजबूर हैं.
शरण की तलाश कर रहे अधिकांश लोग अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया, इराक़ और कॉंगो लोकतांत्रिक गणराज्य से हैं.
एजेंसी की ओर से जारी बयान में ग्रीस सरकार के उन बयानों का स्वागत किया गया है जिनमें द्वीपों पर दबाव को कम करने और अकेले यात्रा कर रहे बच्चों की देखभाल करने की इच्छा ज़ाहिर की गई थी.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक़, इस साल भूमध्यसागर को पार करने वाले 77 हज़ार में से 44 हज़ार लोग ग्रीस में पहुंचे हैं – स्पेन, इटली, माल्टा और सायप्रस पहुंचने वाले लोगों की कुल संख्या से भी ज़्यादा है.
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन एजेंसी (IOM) के अनुसार यह लगातार छठा वर्ष है जब भूमध्यसागर जलमार्ग से जोखिम भरी यात्राएं कर रहे एक हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है.
सितंबर महीने में मोरक्को के तट के पास ऐसी ही एक दुर्घटना में 40 से ज़्यादा प्रवासियों की डूबने से मौत हो गई.
योरोप जाने वाले समुद्री मार्गों में हाल के समय में दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ी है जिससे मृतकों की संख्या भी बढ़ रही है.
पिछले छह सालों में योरोप पहुंचने के लिए जोखिम भरी यात्रा कर रहे कम से कम 15 हज़ार पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की जान जा चुकी है. इस स्थिति की तुलना संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने ‘समुद्र में संहार’ से की है.
प्रवासन एजेंसी के मुताबिक़ सबसे घातक यात्रा मार्ग उत्तर अफ़्रीका से इटली जाने के लिए भूमध्यसागर का रास्ता है जहां इस वर्ष अब तक 659 प्रवासियों और शरणार्थियों की मौत हो चुकी है.
उत्तर अफ़्रीका से स्पेन जाने की कोशिश कर रहे 270 लोगों की मौत हुई जबकि तुर्की, सीरिया और ग्रीस के जल क्षेत्र में 66 जानें गई.