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अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान प्रशासन के साथ सम्वाद जारी रखने की अहमियत रेखांकित

अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविर में बच्चे.
© UNICEF/Omid Fazel
अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापितों के लिये बनाए गए शिविर में बच्चे.

अफ़ग़ानिस्तान: तालेबान प्रशासन के साथ सम्वाद जारी रखने की अहमियत रेखांकित

शान्ति और सुरक्षा

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) की प्रमुख और यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि रोज़ा ओटुनबायेवा ने सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों से आग्रह किया कि मत-भिन्नताओं के बावजूद, देश में लोगों की भलाई के लिये यूएन मिशन और तालेबान प्रशासन के बीच सम्वाद को जारी रखना होगा.

यूएन मिशन प्रमुख रोज़ा ओटुनबायेवा ने मंगलवार को प्रतिनिधियों को, वर्ष 2021 में सत्ता पर तालेबान के नियंत्रण के बाद देश में राजनैतिक व मानवाधिकार हालात और कुछ मामलों में हुई सकारात्मक प्रगति से अवगत कराया.

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उन्होंने कहा कि तालेबान के साथ उनकी कई मुद्दों पर असहमति है, मगर इस समय उनका ध्यान, अफ़ग़ानिस्तान के बेहतर भविष्य के लिये सम्वाद बनाए रखना है, ताकि हर कोई, गरिमा व समानता के साथ जीवन जी सके.

विशेष प्रतिनिधि ने इस वर्ष सितम्बर महीने में अपने कार्यकाल की शुरुआत की है, और उसके बाद से अफ़ग़ानिस्तान के अनेक इलाक़ों का दौरा किया है.

उन्होंने कहा, “मुझे जिस बात ने सबसे हैरान किया, वो यह है कि इतनी बड़ी संख्या में अफ़ग़ान नागरिक कठिनाई , विशाल निर्धनता और अनिश्चितता में जीवन गुज़ार रहे हैं.”

“अनेक लोगों ने मुझे देश में विभिन्न इलाक़ों की यात्रा के दौरान बताया कि वे बस किसी तरह जीवन व्यापन कर रहे हैं.”

यूएन मिशन प्रमुख के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान का नियंत्रण है, मगर वे वहाँ सक्रिय आतंकी गुटों से उपजने वाले ख़तरों का सामना करने में असमर्थ हैं.  

हाल के समय में, इस्लामिक स्टेट – खेरसॉन प्रान्त ने देश में रूसी और पाकिस्तानी दूतावासों पर हमले किये हैं, और एक ऐसे होटल को भी निशाना बनाया, जहाँ बड़ी संख्या में चीनी नागरिक ठहरे हुए थे.

उन्होंने कहा कि तालेबान को घरेलू स्तर पर ज़्यादा विरोध का सामना नहीं करना पड़ रहा है, और इसलिये अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न धड़ों के बीच सम्वाद की आवश्यकता को ख़ारिज कर दिया गया है, जबकि यूएन ने व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के लिये प्रयास जारी रखे हैं.

महिलाओं पर कड़ी पाबन्दी

अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान प्रशासन ने कठोर सामाजिक नीतियों को लागू किया है, जिनसे महिला अधिकारों को विशेष रूप से ठेस पहुँची है, और राजनैतिक व सामाजिक जीवन में उन पर पाबन्दियाँ लगी हैं.

“माध्यमिक शिक्षा पर रोक का अर्थ होगा कि अगले दो सालों के भीतर, कोई भी लड़की विश्वविद्यालय में प्रवेश नहीं करेगी. यह निर्णय अफ़ग़ानों में, और यहाँ तक कि तालेबान में भी बेहद अलोकप्रिय है.”

पिछले महीने, तालेबान नेता हैबतुल्लाह अख़ूनज़ादा ने अफ़ग़ान न्यायाधीशों को शरिया क़ानून के अनुसार मृत्युदंड समेत अन्य सज़ा सुनाए जाने का आदेश दिया था.

सत्ता पर तालेबान के नियंत्रण के बाद से अनेक लोगों को सज़ा सुनाई गई है, लेकिन पहली बार सार्वजनिक रूप से एक व्यक्ति को 7 दिसम्बर को मौत की सज़ा दी गई, और इस दौरान तालेबान के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.

विशेष प्रतिनिधि ने बताया कि उन्होंने तालेबान प्रशासन को बताया था कि मृत्युदंड, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों के अनुरूप नहीं है.

“यह स्पष्ट है कि यूएन मिशन और [तालेबान] प्रशासन के बीच अनेक प्रकार के मुद्दों पर रुख़ में गहरा मतभेद है.”

आर्थिक मोर्चे पर प्रगति

रोज़ा ओटुनबायेवा ने अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक मोर्चे पर हुई सकारात्मक प्रगति का उल्लेख किया.

उनके अनुसार, पहले की लोकतांत्रिक सरकार के कार्यकाल की तुलना में भ्रष्टाचार के स्तर में कमी आई है, मगर निचले स्तर पर पिछले छह महीनों में छोटे-मोटे भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं.

तालेबान ने घोषणा की है कि वर्ष 2022 के पहले 10 महीनों में, अतीत के दो वर्षों की तुलना में, कहीं अधिक राजस्व एकत्र किया गया, जबकि 2021 में अर्थव्यवस्था 20 प्रतिशत सिकुड़ी थी.

रोज़ा ओटुनबायेवा के अनुसार, राजस्व में उछाल और सरकार चलाने की क़ीमतों में कटौती से, तालेबान ने कामकाज के लिये अपने बजट को सम्भाला है, और विकास परियोजनाओं के लिये संसाधन उपलब्ध होने का संकेत भी दिया है.

इसके समानान्तर, तालेबान ने इस वर्ष एक अरब 70 करोड़ डॉलर के निर्यात की घोषणा की है, जबकि यह आँकड़ा पहले 70 करोड़ डॉलर था.  

बताया गया है कि तालेबान प्रशासन, आत्म-निर्भरता पर केन्द्रित आर्थिक रणनीति पर काम कर रहा है, और कृषि, सिंचाई, बुनियादी ढाँचे, जल प्रबंधन, खनन समेत अन्य क्षेत्रों में निवेश किया गया है.

साथ ही, अफ़ीम व अन्य नशीले पदार्थों की खेती पर लगे इस वर्ष अप्रैल में प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे लागू किये जाने के साक्ष्य मिल रहे हैं, और पहले जिस भूमि पर बुआई की गई थी, उसे नष्ट किया गया है.

अफ़ग़ानिस्तान में, मौजूदा मानवीय संकट से, महिलाएँ व बच्चे, सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.
UNAMA/Shamsuddin Hamedi
अफ़ग़ानिस्तान में, मौजूदा मानवीय संकट से, महिलाएँ व बच्चे, सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.

अफ़ग़ान नागरिकों की चिन्ताएँ

रोज़ा ओटुनबायेवा ने सचेत किया कि सकारात्मक आर्थिक प्रगति के बावजूद, यदि अफ़ग़ान नागरिकों की चिन्ताओं का हल नहीं ढूँढा गया, तो यह टिकाऊ नहीं होगी.  

यूएन मिशन ने हाल के दिनों में 12 प्रान्तों में विभिन्न हितधारकों की बैठकें आयोजित की, जिनमें 189 महिलाओं और तालेबान के 80 प्रतिनिधियों समेत 500 लोगों ने हिस्सा लिया.

इन बैठकों में लोगों ने लड़कियों की शिक्षा पर पाबन्दी, स्वास्थ्य सुविधाओं की क़िल्लत, मानसिक स्वास्थ्य, निर्धनता, आर्थिक असुरक्षा और जातीय अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव जैसे मुद्दों को उठाया.

अफ़ग़ान जनता ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के तौर-तरीक़ों पर भी हताशा व्यक्त की है. उन्होंने दीर्घकालीन परियोजनाओं, काम के बदले नक़दी और भागीदारी व विचार-विमर्श आधारित, विकास केन्द्रित उपायों के लिये इच्छा ज़ाहिर की है.

मगर, फ़िलहाल अन्तरराष्ट्रीय दानदाताओं का ध्यान मानवीय सहायता के प्रावधान पर ही केन्द्रित है,

यूएन मिशन प्रमुख ने कहा कि जब तक लड़कियाँ स्कूल से बाहर रहेंगी, और तालेबान प्रशासन, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की चिन्ताओं को अनसुना करता रहेगा, यह गतिरोध बने रहने की आशंका है.