लेबनान में हैज़ा संक्रमण का प्रकोप, WHO ने किया सावधान

लेबनान में पिछले तीन दशकों में पहली बार हैज़ा का प्रकोप सामने आया है और ये बीमारी तेज़ी से पूरे देश में फैल रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन - WHO) ने मंगलवार को आगाह किया है कि देश में अब तक एक हज़ार 400 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है और 17 लोगों की मौत हुई है.
लेबनान के सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को पहले मामले की सूचना 6 अक्टूबर को दी थी, और अब तक प्रयोगशाला में 381 मामलों की पुष्टि की जा चुकी है.
लेबनान में यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, हैज़ा का प्रकोप पहले केवल उत्तरी इलाक़ों तक सीमित था, मगर अब इसका दायरा तेज़ी से बढ़ रहा है.
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देश के सभी आठ गवर्नरेट और 26 में से 18 ज़िलों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनकी लैब में पुष्टि हो चुकी है.
बताया गया है कि लेबनान और सीरिया में लोगों को अपनी चपेट में लेने वाले हैज़ा का प्रकार एक जैसा ही है.
लेबनान में स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉक्टर अब्देनासिर अबूबकर ने कहा, “हैज़ा जानलेवा है, मगर इसकी वैक्सीन और सुरक्षित जल व साफ़-सफ़ाई से रोकथाम की जा सकती है.”
उन्होंने बताया कि समय पर पानी की कमी को पूरा करके या फिर गम्भीर मामलों में एंटीबायोटिक दवाओं से इसका आसानी से उपचार सम्भव है.
“लेबनान में हालात नाज़ुक हैं, चूँकि देश अभी अन्य संकटों से जूझ रहा है, जोकि लम्बे समय से जारी राजनैतिक व आर्थिक बदहाली के कारण और ज़्यादा गहरे हुए हैं.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अन्य साझेदार संगठनों के साथ मिलकर, सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर बीमारी पर नियंत्रण पाने के लिये अपने प्रयास तेज़ किये हैं.
इस क्रम में, राष्ट्रीय स्तर पर हैज़ा से निपटने और जवाबी कार्रवाई योजना का ख़ाका तैयार किया गया है, जिसमें सबसे आवश्यक उपाय पेश किये गए हैं, और सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में निगरानी बढ़ाने और सक्रियता से मामलों का पता लगाने पर बल दिया है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने देश में स्वास्थ्यकर्मियों और चिकित्सा सामान की कमी को देखते हुए, हैज़ा का उपचार मुहैया कराने के लिये, दो प्रयोगशालाओं, 12 अस्पतालों, निदान व उपचार किटों समेत अन्य ज़रूरी सामान की व्यवस्था की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में बढ़ती ज़रूरतों के अनुसार, क्षमता बढ़ाकर नर्स और डॉक्टर भी तैनात किये हैं.
हैज़ा की रोकथाम व उपचार के लिये अतिरिक्त सामग्री का भी प्रबंध किया जा रहा है.
इसके अलावा, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी उपयुक्त क्लीनिक प्रबंधन तौर-तरीक़ों, संक्रमण रोकथाम व नियंत्रण, और हैज़ा परीक्षण प्रोटोकॉल को सुनिश्चित करने के लिये प्रयासरत है ताकि हैज़ा मामलों की बढ़ती संख्या के अनुरूप कार्रवाई की जा सके.
पिछले कुछ हफ़्तों में, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने देश भर में सिलसिलेवार ढंग से प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये हैं, ताकि समय रहते मामलों का पता लगाने और संदिग्ध मामलों की जाँच को मज़बूती दी जा सके.
इसके अलावा, सार्वजनिक स्तर पर और अग्रिम मोर्चे पर डटे स्वास्थ्यकर्मियों में जागरूकता बढ़ाने के भी प्रयास किये जा रहे हैं.
हैज़ा वैक्सीन की वैश्विक क़िल्लत के कारण, WHO ने लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय को सर्वाधिक जोखिम का सामना कर रहे लोगों के लिये छह लाख ख़ुराकों का प्रबंधन करने के लिये समर्थन दिया है.
इनमें अग्रिम मोर्चे पर कर्मचारी, बंदी, शरणार्थी और उनके मेज़बान समुदाय हैं.
लेबनान में लम्बे समय से जारी गम्भीर आर्थिक संकट, स्वच्छ पेयजल की सीमित सुलभता और साफ़-सफ़ाई की उपयुक्त व्यवस्था ना होने के कारण आमजन विकट हालात में जीवन गुज़ार रहे हैं.
स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के प्रवासन, आपूर्ति श्रृंखला में आए व्यवधान और ऊर्जा आपूर्ति क़ीमतों के पहुँच से बाहर हो जाने के कारण, अस्पतालों व प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों की क्षमता पर भीषण असर हुआ है.
डॉक्टर अबूबकर ने कहा कि हैज़ा संक्रमण की रोकथाम करने के लिये आम लोगों में जागरूकता का प्रसार करना होगा, ताकि अस्पतालों पर बोझ कम किया जा सके.
इसके लिये स्वच्छ जल और उपयुक्त साफ़-सफ़ाई व्यवस्था बेहद अहम होगी, और दीर्घकाल में हैज़ा के प्रकोप की रोकथाम के लिये वैक्सीन उपलब्धता भी बढ़ाई जानी होगी.