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युद्ध प्रभावित देशों में स्वच्छ जल की क़िल्लत, हिंसा से ज़्यादा घातक

पश्चिमोत्तर सीरिया में विस्थापितों के लिये बनाये गए शिविर में, एक बच्ची टैण्कर से जल भर रही है.
© UNICEF/Khaled Akacha
पश्चिमोत्तर सीरिया में विस्थापितों के लिये बनाये गए शिविर में, एक बच्ची टैण्कर से जल भर रही है.

युद्ध प्रभावित देशों में स्वच्छ जल की क़िल्लत, हिंसा से ज़्यादा घातक

एसडीजी

हिंसक संघर्ष से प्रभावित इलाक़ों में, जल आपूर्ति व साफ़-सफ़ाई सेवा केंद्रों पर हमलों और उससे जल सुलभता प्रभावित होने के कारण लाखों बच्चों के जीवन के लिये संकट पैदा हो रहा है. यह ख़तरा इन इलाक़ों में जारी हिंसा व लड़ाई से कहीं अधिक गम्भीर है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने मंगलवार को जारी एक नई रिपोर्ट में कड़े शब्दों में कहा है कि जल आपूर्ति पर हमला, बच्चों पर हमला है.

Water Under Fire Volume 3, नामक रिपोर्ट में उन नौ देशों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जो हिंसा और टकराव से व्यापक तौर पर प्रभावित हैं, साथ ही इससे बच्चों पर होने वाले असर की पड़ताल की गई है.

बताया गया है कि निम्न देशों में चार करोड़ 80 लाख लोगों को सुरक्षित जल व साफ़-सफ़ाई सेवाओं की आवश्यकता है: मध्य अफ़्रीकी गणराज्य, इराक़, लीबिया, फ़लस्तीन, पाकिस्तान, सूडान, सीरिया, यूक्रेन और यमन.

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रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षित, भरोसेमन्द और साफ़-सफ़ाई सेवाओं की उपलब्धता व सुरक्षा, लाखों बच्चों की जान बचाने में एक महत्वपूर्ण कारक है.

नाज़ुक हालात से जूझ रहे देशों में, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की, हिंसा की तुलना में हैज़ा सम्बन्धी बीमारियों से मौत होने की आशंका 20 गुना ज़्यादा है.  

यूएन एजेंसी में आपात कार्यक्रमों के निदेशक मैनुएल फ़ोन्टेन ने बताया, “जल की सुलभता, जीवित रहने का एक ज़रिया है जिसे युद्ध के औज़ार के रूप में कभी भी इस्तेमाल में नहीं लाया जाना चाहिए.”

“जल और साफ़-सफ़ाई सम्बन्धी बुनियादी ढाँचों पर हमले, बच्चों पर हमले हैं.”

उन्होंने कहा कि जब जल का प्रवाह रुकता है, तो हैज़ा और दस्त जैसे रोग, जंगल में आग की तरह फैल सकते हैं, जिसके अक्सर घातक दुष्परिणाम होते हैं. यूएन अधिकारी के मुताबिक अस्पतालों में कामकाज नहीं हो सकता, और कुपोषण की दर बढ़ रही है.

“बच्चों और परिवारों को अक्सर पानी की तलाश में बाहर जाना पड़ता है, जहाँ उनके, विशेषकर लड़कियों के, अनिष्ट व हिंसा का शिकार होने की आशंका बढ़ जाती है.”

रिपोर्ट में जल आपूर्ति के बुनियादी ढाँचे पर भयावह हमलों का विवरण भी दिया गया है. उदाहरणस्वरूप, पूर्वी यूक्रेन में 32 लाख लोगों को जल व साफ़-सफ़ाई सेवाओं की आवश्यकता है, और वहाँ वर्ष 2017 से अब तक 380 हमले दर्ज किये जा चुके हैं.

बुनियादी सेवाओं पर असर

फ़लस्तीन में वर्ष 2019 से अब तक जल और साफ़-सफ़ाई केंद्रों पर 95 हमले हुए हैं, जिनकी वजह से 16 लाख लोगों को इन बुनियादी सेवाओं से वंचित होना पड़ा है.

यमन में छह साल से जारी युद्ध में 122 हवाई कार्रवाई हुई हैं. हैज़ा फैलने से हर सप्ताह हज़ारों बच्चे बीमार होते हैं और लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को सुरक्षित जल व साफ़-सफ़ाई की आवश्यकता है.

यूएन एजेंसी ने उन उपायों को भी पेश किया गया है जिनके ज़रिये हिंसक संघर्ष प्रभावित इलाक़ों में बच्चों की रक्षा और सुरक्षित व पर्याप्त जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकती है.

बताया गया है कि युद्धरत पक्षों को जल व साफ़-सफ़ाई सम्बन्धी ढाँचे व कर्मियों पर तत्काल हमले रोकने होंगे और हिंसक संघर्ष के दौरान बच्चों की रक्षा के दायित्व का निर्वहन करना होगा.

रिपोर्ट में सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से, इन हमलों के दोषियों की जवाबदेही तय करने की पुकार लगाई गई है.

साथ ही दानदाताओं से हिंसक संघर्ष प्रभावित इलाक़ों में, जल व साफ़-सफ़ाई सेवाओं में निवेश करने का आग्रह किया गया है.