
2022 पर एक नज़र: इबोला और हैज़ा का प्रकोप, एमपॉक्स से आपात स्थिति, कोविड महामारी का ‘अन्त नहीं’
संयुक्त राष्ट्र ने फिर से आगाह किया है कि कोविड-19 महामारी अब भी वैश्विक चिन्ता का कारण बनी हुई है. इसी साल हैज़ा, इबोला और मंकीपॉक्स (नया नाम - एमपॉक्स) के रूप में स्वास्थ्य चुनौतियाँ उभरी, जिस पर नियंत्रण पाने के और आमजन के जीवन की रक्षा के लिये स्वास्थ्य और सहायता कर्मियों ने समन्वित प्रयास किए. यूएन के अनुसार वर्ष 2030 तक एचआईवी/एड्स को पूर्ण रूप से ख़त्म करने के लक्ष्य पर जोखिम है, लेकिन एक नई वैक्सीन से मलेरिया का अन्त होने की उम्मीद जगी है.
कोविड-19 महामारी के कारण उपजी उथलपुथल से थक चुकी वैश्विक आबादी को वर्ष 2022 की शुरुआत में कोरोनावायरस के एक नए, पहले से कहीं अधिक संक्रामक, ओमिक्रॉन वैरीएण्ट का सामना करना पड़ा.
ओमिक्रॉन वैरीएंट का तेज़ फैलाव
यह नया वैरीएंट – ओमिक्रॉन, योरोपीय देशों में तेज़ी से फैल गया, जिससे साप्ताहिक मामलों में रिकॉर्ड उछाल दर्ज किया गया. हालांकि, पिछले वैरीएंट की तुलना में ओमिक्रॉन की वजह से कम संख्या में मौतें हुईं.
कई देशों ने तालाबन्दियों और अन्य पाबन्दियों में ढील देना शुरू कर दिया था, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सचेत किया कि ये बीमारी अभी भी एक ख़तरा है. इस वर्ष अगस्त 2022 तक, कोविड-19 की वजह से मृतक संख्या ने दस लाख का दुखद आँकड़ा पार किया.
मई 2022 में यूएन एजेंसी की विश्व स्वास्थ्य सभा, वर्ष 2019 के पूर्व-महामारी समय के बाद पहली बार व्यक्तिगत रूप से आयोजित किया गया सम्मेलन था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने देशों से सतर्कता बनाए रखने का आग्रह किया.
उन्होंने प्रतिनिधियों से कहा, “क्या कोविड-19 ख़त्म हो गया है? नहीं, यह निश्चित रूप से ख़त्म नहीं हुआ है. मुझे पता है कि यह वो सन्देश नहीं है जो आप सुनना चाहते हैं, और यह निश्चित रूप से वह सन्देश नहीं है जो मैं आपको सुनाना चाहता हूँ."

एक अरब कोवैक्स टीकों का वितरण
संयुक्त राष्ट्र समर्थित, कोवैक्स पहल, कोविड-19 से बचाव के लिये सर्वजन तक वैक्सीन की न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करने पर लक्षित बहुपक्षीय पहल है. इसके तहत, इस वर्ष यूएन एजेंसी ने एक अरब ख़ुराक़ें वितरित करने का रिकॉर्ड पूरा किया. यह उपलब्धि, जनवरी 2022 में रवाण्डा को, 11 लाख टीकों की आपूर्ति के साथ हासिल की गई थी.
कोवैक्स पल ने निसन्देह बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई है, लेकिन मार्च 2022 में, महानिदेशक घेबरेयेसस ने सचेत किया कि विश्व की एक तिहाई आबादी को कोविड-19 वैक्सीन की एक भी ख़ुराक नहीं मिल पाई है, और इनमें 83 प्रतिशत अफ़्रीकी हैं.
इस वर्ष नवम्बर महीने तक भी, न्यायसंगत वितरण का अभाव एक समस्या बनी रही. WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार निम्नतर आय वाले देश, आवश्यक टीकों तक पहुँच में लगातार संघर्ष कर रहे हैं, जिसकी एक बड़ी वजह धनी देशों में उनकी ज़्यादा मांग होना है.
स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुखिया डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा, “यह मुझे स्वीकार्य नहीं है, और यह किसी को भी स्वीकार्य नहीं होना चाहिए.”
“अगर विश्व में धनी उच्च वैक्सीन कवरेज का लाभ उठा रहे हैं, तो दुनिया के निर्धन क्यों नहीं? क्या कुछ जीवन दूसरों की तुलना में अधिक मूल्यवान हैं?

एड्स उन्मूलन के लक्ष्य से दूर हुई दुनिया
वर्ष 2021 में, एचआईवी संक्रमण के 15 लाख नए मामले दर्ज किये गए और एड्स सम्बन्धी वजहों से 6 लाख 50 हज़ार लोगों की मौत हुई. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने वर्ष 2021 में यूएन महासभा में एक राजनैतिक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साथ, इस दशक के अन्त तक वायरस का अन्त करने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की. लेकिन इस वर्ष यह स्पष्ट हो गया इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये तेज़ी से कार्रवाई आगे बढ़ाने की आवश्यकता होगी.
जुलाई महीने में प्रकाशित एक रिपोर्ट में दर्शाया गया कि एचआईवी संक्रमण मामलों में गिरावट की रफ़्तार धीमी हो रही है. यह दर वर्ष 2020 और 2021 के बीच 3.6 प्रतिशत तक रही, जोकि 2016 के बाद से नए वार्षिक एचआईवी संक्रमणों में सबसे कम स्तर पर गिरावट थी. कोविड-19 महामारी और अन्य वैश्विक स्वास्थ्य संकटों के कारण एचआईवी कार्यक्रमों पर असर हुआ है.
इस वर्ष नवम्बर महीने में, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व एड्स दिवस पर अपने सन्देश में स्पष्ट किया कि विश्व ने वर्ष 2030 तक एड्स उन्मूलन का लक्ष्य स्थापित किया है, मगर दुनिया उस रास्ते से भटक गई है.
उन्होंने कहा कि एड्स का अन्त करने के लिए, हमें उन भेदभावों, कथित कलंक और बहिष्करण को दूर करना होगा, जिनका सामना एचआईवी की अवस्था में रह रहे लोगों को करना पड़ता है, और जिनसे प्रगति अवरुद्ध होती है.
इस वर्ष दवाओं से उपचार उपायों में उत्साहजनक विकास देखा गया. मार्च 2022 में, दैनिक दवा के विकल्प के रूप में एचआईवी के विरुद्ध लम्बे समय तक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला इंजेक्शन, दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील में शुरू किया गया था.

WHO ने एचआईवी संक्रमण से अधिक जोखिम का सामना करने वाले लोगों के लिए Cabotegravir नामक दवा के इस्तेमाल की सिफ़रिश की, जिसे इंजेक्शन के रूप में एक साल में केवल छह बार लेने की आवश्यकता होती है.
जुलाई में, संयुक्त राष्ट्र ने यह दवा विकसित करने वाली कम्पनी के साथ एक समझौता किया, ताकि कम-विकसित देशों में कम-लागत पर इसका उत्पादन किया जा सके. इस समझौते को एक ऐसा क़दम बताया गया है जिससे अनेक लोगों के जीवन की रक्षा की जा सकती है.
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य और युगांडा में इबोला का प्रकोप
अप्रैल 2022 में, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में घातक इबोला वायरस के फैलाव से उपजी स्थिति के मद्देनज़र, स्वास्थ्यकर्मियों ने वहाँ उपचार व रोकथाम के लिये अपने प्रयास तेज़ किए. पिछले चार वर्षों में यह छठी बार हुआ है.
अफ़्रीका के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्टर मातशिदिसो मोएती ने कहा, “काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में स्वास्थ्य प्रशासन के पास, इबोला फैलाव पर तत्काल क़ाबू पाने का अनुभव अपेक्षाकृत अधिक है, जिससे इस बीमारी की दिशा को पलटा जा सकता है.”
संगठन का कहना है कि अब इस बीमारी के लिये कारगर उपचार उपलब्ध है और यदि समय रहते स्वास्थ्य देखभाल की जाए तो जीवन पर जोखिम को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है.
पड़ोसी देश युगांडा में भी अगस्त महीने में, मुबेंडे ज़िले में छह लोगों की मौत हुई, जिसकी वजह के रूप में इबोला पर सन्देह जताया गया. यह सोने की ख़दानों वाला एक क्षेत्र है, जहाँ युगांडा के कई हिस्सों और अन्य देशों के श्रमिक काम की तलाश में पहुँचते हैं.

इसके बाद, WHO ने वायरस के फैलाव को रोकने और युगांडा के अधिकारियों का समर्थन करने के लिए अपने प्रयासों को तेज़ करते हुए चिकित्सा आपूर्ति व रसद प्रदान की और कर्मचारियों को तैनात किया.
महीने के अन्त तक, 141 मामलों और 55 मौतों की पुष्टि की गई. संयुक्त राष्ट्र एजेंसी स्थानीय साझेदारों के साथ मिलकर, टीकों के त्वरित विकास और उनके वितरण में तेज़ी लाने के लिए प्रयासरत है.
हेती में लौटा हैज़ा
हेती में असुरक्षा के बीच, हैज़ा ने अक्टूबर 2022 में फिर से दस्तक दी, जिसकी वजह वहाँ ख़राब स्वच्छता व्यवस्था और पसरी अराजकता थी. इन हालात में पीड़ितों के लिए उपचार तक पहुँच और कठिन हो गई.
हेती में बदतर आर्थिक हालात, असुरक्षा और जानलेवा हैज़ा के प्रकोप के बीच, हथियारबन्द गुटों ने मुख्य ईंधन टर्मिनल तक जाने का रास्ता अवरुद्ध किया हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने नवम्बर में बताया कि हेती में लगभग 40 प्रतिशत मामलें युवाओं में पाए गए हैं, और इस बीमारी से जीवन बचाने के लिए 2 करोड़ 75 लाख डॉलर की आवश्यकता होगी.
एमपॉक्स (मंकीपॉक्स): स्वास्थ्य आपात स्थिति
वर्ष 2022 से पहले तक बहुत से लोग ‘मंकीपॉक्स’ शब्द से अपरिचित थे, हालांकि, यह बीमारी 1970 से मनुष्यों से जुड़ी हुई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने हाल ही में मंकीपॉक्स बीमारी का नाम बदल कर, एमपॉक्स (mpox) रखा है, और यह वायरस मुख्यत: मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में पाया जाता है.
लेकिन वर्ष 2022 में,दुनिया के अन्य हिस्सों में भी यह बीमारी उभरी. मई 2022 में, इस बीमारी के कारण कोविड-19 जैसे हालात उपजने की चिन्ता उभरी, मगर यूएन एजेंसी ने भरोसा दिलाया कि अधिकांश संक्रमित लोग बिना उपचार के, कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं.
इसके बावजूद, मंकीपॉक्स के संक्रमण मामले दुनिया भर में बढ़ते रहे, जिसके मद्देनज़र, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जुलाई महीने में एमपॉक्स को "अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य स्थिति" के रूप में परिभाषित कर दिया.

संगठन प्रमुख डॉक्टर टैड्रॉस ने ज़ोर देकर कहा कि, अधिकतर मंकीपॉक्स के मामले ऐसे पुरुषों में देखे जा रहे हैं जो पुरुषों के साथ सम्भोग करते हैं, विशेष रूप से एक से ज़्यादा यौन संगियों के साथ, और इसलिए इसके प्रकोप को "सही रणनीतियों के साथ" रोका जा सकता है.
अगस्त में, स्वास्थ्य एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि विकसित देशों में इस बीमारी के संक्रमणों के बढ़ने के बाद ही अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने एमपॉक्स को गम्भीरता से लेना शुरू किया.
आपात हालात के लिए यूएन एजेंसी में सहायक महानिदेशक, इब्राहिमा सोके ने अगस्त में कहा कि "हम कई वर्षों से अफ्रीका में एमपॉक्स पर काम कर रहे हैं, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया."
नवम्बर 2022 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपॉक्स बीमारी का नाम एमपॉक्स रखने की घोषणा की. यूएन एजेंसी ने इस बीमारी के नाम के इस्तेमाल से जुड़ी कथित नस्लवादी व कलंकित करने वाली भाषा से उभरी चिन्ताओं के बाद यह घोषणा की.
दिसम्बर महीने तक 110 देश इससे प्रभावित हुए हैं, 80 हज़ार से अधिक मामलों की पुष्टि हुई है, और 55 लोगों की मौत हुई है.
मलेरिया उन्मूलन दिशा की प्रगति
पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मौतों का मलेलिया सबसे बड़ा कारण है. वर्ष 2020 में, केवल अफ़्रीका में इस बीमारी के कारण, क़रीब पाँच लाख लड़के-लड़कियों की मौत हुई.
मलेरिया बीमारी का अन्त होने की उम्मीदों, अगस्त 2022 में बल मिला जब UNICEF ने औषधि निर्माण कम्पनी GSK को विश्व की पहली मलेरिया वैक्सीन के उत्पादन के लिये 17 करोड़ डॉलर का अनुबंध दिये जाने की घोषणा की.

यूनीसेफ़ में आपूर्ति प्रभाग की निदेशक ऐटलेवा कडिली ने कहा कि, "व्यापक स्तर पर मलेरिया की रोकथाम व नियंत्रण कार्यक्रमों के तहत, बच्चों के जीवन को बचाने और मलेरिया के बोझ को कम करने के लिए सामूहिक प्रयासों की दिशा में एक बड़ा क़दम है."
यूनीसेफ़ के अनुसार, उत्पादन बढ़ाने के लिए योजनाएँ पहले से ही चल रही हैं, जिनमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी शामिल है, ताकि जोखिम का सामना कर रहे हर बच्चे को इस घातक बीमारी से बचाव के लिये प्रतिरक्षण का अवसर मिल सके.