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यूएन दिवस: 'चार्टर के मूल्यों व सिद्धान्तों की 'पहले से कहीं अधिक' आवश्यकता, यूएन प्रमुख

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त के, करतापुर गाँव में, कुछ बच्चों से मिलते हुए.
UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, पाकिस्तानी पंजाब प्रान्त के, करतापुर गाँव में, कुछ बच्चों से मिलते हुए.

यूएन दिवस: 'चार्टर के मूल्यों व सिद्धान्तों की 'पहले से कहीं अधिक' आवश्यकता, यूएन प्रमुख

यूएन मामले

प्रति वर्ष 24 अक्टूबर को, संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया जाता है और इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र स्थापना की 77वीं वर्षगाँठ है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस दिवस पर अपने वीडियो सन्देश में ध्यान दिलाया है कि यूएन चार्टर के मूल्यों और सिद्धान्तों को दुनिया के हर हिस्से में लागू करने की, अब पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरत है.

ग़ौरतलब है कि जून 1945 में 50 देशों के प्रतिनिधियों ने यूएन चार्टर तैयार करके, सैन फ्रांसिस्को में हुए संयुक्त राष्ट्रों के अन्तरराष्ट्रीय संगठनों पर सम्मेलन में एकत्र होकर, उस चार्टर पर हस्ताक्षर किये थे.

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सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों और अन्य अधिकतर देशों की मंज़ूरी के बाद, संयुक्त राष्ट्र चार्टर 24 अक्टूबर 1945 को लागू हुआ था, और उसके ज़रिये संयुक्त राष्ट्र की औपचारिक स्थापना हुई थी.

1948 के बाद से, हर वर्ष 24 अक्टूबर को “संयुक्त राष्ट्र दिवस” मनाया जाता रहा है. यूएन महासभा ने वर्ष 1971 में सदस्य देशों से, इस दिवस पर सार्वजनिक अवकाश रखने की सिफ़ारिश की थी.

गुटेरेश: अभूतपूर्व इम्तेहान

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने अपने वीडियो सन्देश में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र का जन्म उम्मीद की कोख़ से हुआ था जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, वैश्विक संघर्षों और लड़ाई-झगड़ों को ख़त्म करने के लिये, वैश्विक सहयोग का सहारा लेने का विश्वास नज़र आता है.

अलबत्ता, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 77 वर्ष बाद भी आज, दुनिया चुनौतियों से भरी हुई नज़र आती है: कोविड-19 महामारी लम्बी खिंच रही है और बार-बार सिर उठा रही है, अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा स्थिति लगातार बदतर हो रही है, वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली नाज़ुक और जटिल है, और अन्य विभिन्न जोखिम व संकट एक के बाद एक करके उभर रहे हैं.

एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “आज, ये संगठन ऐसी परीक्षा से गुज़र रहा है जैसा पहले कभी नहीं हुआ. मगर संयुक्त राष्ट्र ऐसी ही परिस्थितियों के लिए बना है.”

“आज हमें, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धान्तों एवं मूल्यों को, दुनिया के हर हिस्से में साकार करने की, पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा कि इसके लिये शान्ति को अवसर देना होगा और जीवन, भविष्य एवं वैश्विक प्रगति के लिये हानिकारक संघर्षों को समाप्त करना होगा.

“अत्यन्त निर्धनता का उन्मूलन करना होगा, असमानताएँ घटानी होंगी और सतत् विकास लक्ष्यों को बचाने की दिशा में काम करना होगा.

यूएन प्रमुख ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के उपयोग पर निर्भरता समाप्त करनी होगी और अक्षय ऊर्जा क्रान्ति शुरू करने सहित, अपनी पृथ्वी की रक्षा करनी होगी.

“और अन्ततः महिलाओं व लड़कियों के हित में, अवसरों व स्वतंत्रता की तराज़ू को सन्तुलित करनी होगी, और सबके लिये मानव अधिकार सुनिश्चित करने होंगे.”

एंतोनियो गुटेरेश ज़ोर देकर कहा कि इन सब लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये संघर्षों और युद्धों का अन्त करने के लिये, शान्ति को मौक़ा देना होगा क्योंकि युद्धों से ज़िन्दगियाँ ख़तरे में पड़ती हैं, भविष्य जोखिम में पड़ता है, और वैश्विक प्रगति ख़तरे में पड़ती है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सर्वजन का आहवान करते हुए कहा,  “इस संयुक्त राष्ट्र दिवस पर, आइये, हम अपनी आशा और इस विश्वास को पुनः जागृत करें कि जब मानव समुदाय वैश्विक एकजुटता के साथ, एक होकर काम करता है तो क्या कुछ हासिल किया जा सकता है.” 

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में कुछ स्कूली बच्चे.
© UNICEF/Josue Mulala
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में कुछ स्कूली बच्चे.

देशों को आपसी भरोसा बहाल करना होगा

यूएन महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने भी यूएन दिवस पर अपने सन्देश में ध्यान दिलाया है कि संयुक्त राष्ट्र के सामने इस समय दो तात्कालिक और समकालीन कार्य दरपेश हैं: संकटों का प्रबन्धन और बदलाव को प्रोत्साहन. इसके लिये संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था और सभी सदस्य देशों को एक साथ मिलकर काम करना होगा.

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में, मानवता को बहुकोणीय वैश्विक संकटों का सामना करना पड़ा है. “हम एक युद्ध काल में जीवन जी रहे हैं. और प्राकृतिक संकटों की बढ़ती संख्या भी दिखाती है कि हमारे पास और ज़्यादा समय नहीं है, और हमें टिकाऊ विकास के रास्ते पर आगे बढ़ना ही होगा.”

महासभा अध्यक्ष ने कहा, “दुर्भाग्य से, बुनियादी मूल्यों पर दैनिक जीवन में और सशस्त्र संघर्षों के दौरान सवाल खड़े किये जा रहे हैं. हमें संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव डैग हैमरशहॉल्ड के शब्दों को याद रखना होगा: ‘संयुक्त राष्ट्र का जन्म मानवता को स्वर्ग तक ले जाने के लिये नहीं हुआ था. बल्कि मानवता को नरक से बचाने के लिये हुआ था’.”

कसाबा कोरोसी ने ज़ोर देकर कहा कि आगे बढ़ने के लिये, सदस्य देशों के बीच आपसी भरोसा बहाल करना बहुत ज़रूरी है.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने अपने सन्देश के अन्त में कहा कि 77 वर्षीय संयुक्त राष्ट्र संगठन, भविष्य में शान्ति और सहयोग के लिये और ज़्यादा कार्रवाई कर सकता है. उससे भी ज़्यादा, संयुक्त राष्ट्र, विश्व के 8 अरब नागरिकों के लिये ज़्यादा सुरक्षा, अपने मानवाधिकारों का स्वतंत्रता के साथ पूर्ण आनन्द लेने, और जीवन-यापन की बेहतर परिस्थितियाँ मुहैया कराने में मदद कर सकता है.