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यूएन दिवस समारोह: चार्टर मिशन ‘पहले से कहीं ज़्यादा अहम’

संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ पर महासभा हॉल में कार्यक्रम आयोजित हुआ.
UN Photo/Eskinder Debebe
संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगाँठ पर महासभा हॉल में कार्यक्रम आयोजित हुआ.

यूएन दिवस समारोह: चार्टर मिशन ‘पहले से कहीं ज़्यादा अहम’

यूएन मामले

सात दशकों से भी ज़्यादा समय पहले विश्व नेता वैश्विक शान्ति और प्रगति को पारस्परिक सहयोग के ज़रिये बढ़ावा देने के लिये एकजुट हुए थे, और उनके प्रयासों के फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की नींव तैयार हुई. यूएन की स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के प्रतिनिधियों ने यूएन महासभा हॉल में उसी वादे के प्रति अपना संकल्प फिर पुष्ट किया है. 
 

सोमवार को 75वें यूएन दिवस समारोहों के हिस्से के रूप में आयोजित आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान एक मिनट का मौन रखा गया.  

कोरोनावायरस संकट काल में हुए इस आयोजन के दौरान ऐहतियाती उपायों का ख़याल रखा गया और समारोह में उपस्थित प्रतिनिधियों ने मास्क पहनने के साथ-साथ शारीरिक दूरी भी बरती. 

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यूएन चार्टर पर 26 जून 1945 को सैन फ्रांसिस्को शहर में हस्ताक्षर किये गए थे और 24 अक्टूबर 1945 को यह चार्टर लागू हुआ. 

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने महासभा हॉल में एकत्र राजनियकों को सम्बोधित करते हुए संस्थापाना दस्तावेज़ और बहुपक्षवाद के सतत सामर्थ्य की अहमियत को रेखांकित किया.  

“संयुक्त राष्ट्र अपने जन्म के समय, वैश्विक एकता का एक प्रतीक था. आज यह मुख्य केन्द्र है.”

“हमारा मिशन पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है.”

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि एक साथ मिलकर ही संघर्ष की रोकथाम करने, टिकाऊ विकास को बढ़ावा देने, मानवाधिकारों की रक्षा करने और पर्यावरण संरक्षा की महत्वाकाँक्षाओं को पूरा किया जा सकता है.

“कोविड-19 महामारी, जलवायु संकट, बढ़ती विषमता और नफ़रत के प्रसार को हराने का एकमात्र रास्ता अन्तरराष्ट्रीय सहयोग है.” 

विकट हालात में कार्यरत कर्मचारी

संयुक्त राष्ट्र महासभा प्रमुख वोल्कान बोज़किर ने अपने सम्बोधन मे कहा कि यूएन दिवस, संयुक्त राष्ट्र और उसके लोगों के मूल्य को पहचानने का एक अवसर है.
“मैं स्वयं, शरणार्थी शिविरों से लेकर शान्तिरक्षा अभियानों तक, बेहद कठिन परिस्थितियों में भी उनके उत्साह और उपलब्धियों का प्रत्यक्षदर्शी रहा हूँ” 

“वे वस्तुत: लोगों के हाथों में खाना रख रहे हैं, कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दे रहे हैं, ज़रूरतमन्द बच्चों को स्कूल के लिये सामग्री दे रहे हैं, समुद्री जल स्तर में हो रही बढ़ोत्तरी को माप रहे हैं, और हिंसक संघर्ष से प्रभावित देशों में शान्ति क़ायम रखने में मदद दे रहे हैं.” 

मोयस बालो ने 15 वर्षों से भी ज़्यादा समय संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ मध्य अफ़्रीका में बिताया है. 

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वो उन चार यूएन कर्मचारियों में शामिल हैं जिन्होंने ज़मीनी स्तर पर कार्य करने के अपने अनुभव समारोह में साझा किये और बताया कि उन्हें बेहद कठिन हालात में भी, किन कारणों से कार्य जारी रखने का प्रोत्साहन व प्रेरणा मिलती है. 

यूएन खाद्य एजेंसी को हाल ही में वर्ष 2020 के नोबेल शान्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जिसे मोयस बालो ने एक साझा सम्मान बताया और स्थानीय साझीदार संगठनों के समर्थन को रेखांकित किया. 

वहीं एडम वोसोरनू ने लगभग दो दशक पहले 11 सितम्बर 2001 को, न्यूयॉर्क सिटी में वर्ल्ड ट्रेड टॉवर्स पर हुए हमलों के बाद, लन्दन में क़ानून के क्षेत्र में अपना करियर छोड़कर संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहत मामलों के विभाग में काम करना शुरू किया. अब तक वह सूडान में दारफ़ूर और नाइजीरिया में माइडुगुरी में अपनी सेवाएँ प्रदान कर चुकी हैं. 

उन्होंने कहा कि इतने सालों से जो बात उन्हें काम जारी रखने और आगे बढ़ते जाने के लिये प्रेरित करती रही, वो है लोगों का निरन्तर प्रयासरत रहना.

उनके मुताबिक हिंसक संघर्ष, प्राकृतिक आपदा, युद्ध के बीच लोगों की गरिमा को देखना अदभुत है और इस बात ने, हमेशा, मेरे दिल को छुआ है. 

“आप उन कठिन परिस्थितियों को भूल जाते हैं जिनमें आप काम कर रहे हैं. आप वहाँ सिर्फ़ लोगो की सहायता करने के लिये होते हैं.”