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यूएन क्या कर सकता है? 5 अहम सवालों के जवाब

यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में एक क्षतिग्रस्त इमारत.
© UNICEF/Anton Skyba for The Globe and Mail
यूक्रेन की राजधानी कीयेफ़ में एक क्षतिग्रस्त इमारत.

यूएन क्या कर सकता है? 5 अहम सवालों के जवाब

यूएन मामले

यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध ने संयुक्त राष्ट्र के बारे में अनेक सवाल उछाल दिये हैं, विशेष रूप में सुरक्षा परिषद, महासभा और महासचिव की भूमिका के बारे में.

यूएन न्यूज़ ने ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब प्रस्तुत करने के प्रयासों के तहत, यूएन चार्टर में गहरी डुबकी लगाई है.

क्या सुरक्षा परिषद किसी युद्ध को रोक सकती है?

सबसे पहले सुरक्षा परिषद के मिशन के बारे में बात करते हैं.

सुरक्षा परिषद के कार्य और शक्तियाँ, यूएन चार्टर में वर्णित हैं जोकि संयुक्त राष्ट्र का संस्थापना दस्तावेज़ है. यूएन चार्टर पर 26 जून, 1945 को सैन फ्रांसिस्को में, ‘अन्तरराष्ट्रीय संगठनों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ के समापन पर हस्ताक्षर किये गए थे. यूएन चार्टर 24 अक्टूबर 1945 को लागू हुआ.

सुरक्षा परिषद 15 सदस्यों को मिलाकर बनती है जिनमें पाँच स्थाई सदस्य हैं – चीन, फ्रांस, रूसी महासंघ, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका. परिषद की 10 अस्थाई सीटों के लिये अन्य सदस्य देशों में से बारी-बारी से दो साल के लिये सदस्य चुने जाते हैं. सुरक्षा परिषद एक ऐसी संस्था है जिस पर अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा क़ायम रखने की मुख्य ज़िम्मेदारी है. सुरक्षा परिषद ही शान्ति के लिये किसी जोखिम की मौजूदगी, शान्ति भंग या किसी आक्रामक कार्रवाई को निर्धारित करने में अग्रणी भूमिका निभाती है.

यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि 1965 तक, सरक्षा परिषद में कुल 11 सदस्य होते थे, जिनमें से छह अस्थाई थे. 1965 में यूएन महासभा के प्रस्ताव A/RES/1991(XVIII के माध्यम से यूएन चार्टर के अनुच्छेद 23(1) में संशोधन करके, सुरक्षा परिषद की सदस्य संख्या 15 की गई. 1965 के बाद से सुरक्षा परिषद का यही ढाँचा रहा है – पाँच स्थाई और दस अस्थाई सदस्य.

अलबत्ता, अब भी लगभग 60 देश ऐसे हैं जिन्हें अभी तक एक बार भी सुरक्षा परिषद की सदस्यता नहीं मिली है, हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के सभी देश, यूएन चार्टर के अनुच्छेद 25 के तहत, परिषद के निर्णयों को स्वीकार और उन्हें लागू करने के लिये सहमत होते हैं. अन्य शब्दों कहें तो सुरक्षा परिषद द्वारा लिये गए निर्णय, संयुक्त राष्ट्र के तमाम सदस्य देशों पर बाध्य होते हैं.

संकटों से निपटने के लिये सुरक्षा परिषद, यूएन चार्टर से निर्देशित होते हुए, अनेक क़दम उठा सकती है.

यूक्रेन स्थिति पर, यूएन सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक, 27 फ़रवरी 2022
UN Photo/Loey Felipe
यूक्रेन स्थिति पर, यूएन सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक, 27 फ़रवरी 2022

सुरक्षा परिषद यूएन चार्टर के अध्याय - 6 के तहत काम करते हुए, किसी विवाद के पक्षों से विवाद को शान्तिपूर्ण तरीक़ों से निबटाने का आहवान कर सकती है और विवाद निबटारे की शर्तें या समायोजन की प्रक्रियाओं की सिफ़ारिश कर सकती है. सुरक्षा परिषद विवादों को, अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) को भी भेज सकती है जिसे विश्व न्यायालय के रूप में जाना जाता है. यह संयुक्त राष्ट्र का प्रधान न्यायिक अंग भी है जिसका मुख्यालय नैदरलैण्ड के हेग शहर में स्थित है.

कुछ मामलों में सुरक्षा परिषद यूएन चार्टर के अध्याय - 7 के अन्तर्गत कार्य करते हुए प्रतिबन्ध लगा सकती है. जब किसी विवाद को हल करने के शान्तिपूर्ण उपाय नाकाम हो जाते हैं तो अन्तिम उपाय के रूप में सदस्य देशों, देशों के गठबन्धन द्वारा बल प्रयोग की अनुमति भी दे सकती है, या अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा बहाल करने और क़ायम रखने के लिये संयुक्त राष्ट्र के शान्तिरक्षा अभियानों को मंज़ूरी दे सकती है.

ये भी जानना महत्वपूर्ण है कि अन्तरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाए रखने के लिये सुरक्षा परिषद के निर्णयों को लागू करने के लिये ज़रूरी कार्रवाई, संयुक्त राष्ट्र के सभी या कुछ सदस्य करेंगे, और इसका निर्धारण भी सुरक्षा परिषद ही, अध्याय – 7 के अन्तर्गत कर सकती है.

सुरक्षा परिषद ने पहली बार बल प्रयोग की अनुमति 1950 में दी थी जिसका उद्देश्य दक्षिण कोरिया गणराज्य से उत्तर कोरिया की सेनाओं की वापसी सुनिश्चित करना था. 

वीटो शक्ति क्या है और इसका किस तरह प्रयोग किया जा सकता है?

सुरक्षा परिषद में मतदान प्रक्रिया यूएन चार्टर के अनुच्छेद 27 से निर्देशित होती है जिसमें वर्णित है कि परिषद के हर एक सदस्य को एक मत हासिल है.

किसी प्रक्रियात्मक मामले पर किसी निर्णय के पारित होने के लिये, 9 मत पक्ष में पड़ने की ज़रूरत है. अन्य सभी मामलों में नौ सदस्यों के समर्थन मत आवश्यक हैं जिनमें पाँच स्थाई सदस्यों के भी समर्थन वोट शामिल हों.

यूक्रेन की सीमा पार करके परिवारों ने पोलैण्ड में शरण ली है.
© UNICEF/Tom Remp
यूक्रेन की सीमा पार करके परिवारों ने पोलैण्ड में शरण ली है.

अन्य शब्दों में, पाँच स्थाई सदस्यों – चीन, फ्रांस, रूसी महासंघ, ब्रिटेन और अमेरिका, में से किसी एक का भी विरोध मत, सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव प्रारूप को पारित होकर पूर्ण प्रस्ताव बनने से रोक देता है.

1946 के बाद से, P5 के नाम से लोकप्रिय पाँच स्थाई सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर अपने वीटो अधिकार का प्रयोग किया है. अभी तक लगभग 49 प्रतिशत वीटो शक्ति का प्रयोग सोवियत यूनियन (USSR) और 1991 के बाद उसका स्थान लेने वाले रूसी महासंघ ने किया है. (सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में USSR की सदस्यता रूसी महासंघ को मिली है.) उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने 29 प्रतिशत, ब्रिटेन ने 10 प्रतिशत और चीन व फ्रांस ने लगभग छह-छह प्रतिशत प्रयोग किया है.

1946 से सुरक्षा परिषद में वीटो अधिकार के बारे में और ज़्यादा जानकारी यहाँ उपलब्ध है.

किसी युद्ध को रोकने में सुरक्षा परिषद के असमर्थ रहने पर क्या महासभा दख़ल दे सकती है?

यूएन महासभा के प्रस्ताव 377A(5) के अनुसार, अगर सुरक्षा परिषद किसी मामले पर वीटो शक्ति के कारण, इसके स्थाई सदस्यों के बीच सहमति के अभाव में कोई कार्रवाई करने में नाकाम रहती है तो, यूएन महासभा को, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा की बहाली या क़ायम रखने के लिये, संयुक्त राष्ट्र की वृहत्तर सदस्यता से, सामूहिक उपाय करने की सिफ़ारिश करने का अधिकार है. इस प्रस्ताव को ‘Uniting for Peace’ के नाम से भी जाना जाता है.

उदाहरण. ज़्यादातर मामलों में सुरक्षा परिषद ये निर्धारित करती है कि संयुक्त राष्ट्र का कोई शान्ति अभियान कब और कहाँ तैनात किया जाना चाहिये, मगर ऐतिहासिक रूप में जब सुरक्षा परिषद कोई निर्णय लेने में असमर्थ रही है तो महासभा ने ये काम किया है. उदाहरण के लिये 1956 में, यूएन महासभा ने मध्य पूर्व में प्रथम यूएन आपदा बल (UNEF-1) का गठन किया था.

इसके अतिरिक्त अगर सुरक्षा परिषद के नौ सदस्य अनुरोध करें या महासभा के सदस्यों की बहुसंख्या अनुरोध करे तो महासभा अपना ‘आपात विशेष सत्र’ आयोजित कर सकती है.

यूएन महासभा में, यूक्रेन पर रूसी महासंघ के आक्रमण की निन्दा करने वाले प्रस्ताव पर मतदान के ज़रिये प्रस्ताव पारित होते हुए.
UN Photo/Loey Felipe
यूएन महासभा में, यूक्रेन पर रूसी महासंघ के आक्रमण की निन्दा करने वाले प्रस्ताव पर मतदान के ज़रिये प्रस्ताव पारित होते हुए.

अभी तक, यूएन महासभा ने 11 ‘आपात विशेष सत्र’ आयोजित किये हैं, जिनमें से 8 सत्रों के लिये सुरक्षा परिषद ने अनुरोध किया था.
बिल्कुल हाल में, सुरक्षा परिषद ने 27 फ़रवरी 2022 को, अन्तरराष्ट्रीय शान्ति व सुरक्षा क़ायम रखने की मुख्य ज़िम्मेदारी निभाने में, स्थाई सदस्यों के बीच असहमति के कारण असमर्थता की स्थिति में, महासभा के प्रस्ताव 2623 (2022) के तहत इसका ‘आपात विशेष सत्र’ बुलाने का निर्णय लिया था.

इसके परिणामस्वरूप 28 फ़रवरी 2022 को, महासभा ने अपना ‘आपात विशेष सत्र’ आयोजित किया. इस सत्र में 1 मार्च 2022 को एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें, “यूक्रेन के विरुद्ध रूसी महासंघ के आक्रमण को यूएन चार्टर के अनुच्छेद 2 (4) का उल्लंघन क़रार देते हुए” इसकी निन्दा की गई और यह मांग की गई कि रूसी महासंघ, यूक्रेन के ख़िलाफ़ अपना बल प्रयोग तत्काल बन्द करे; और अपनी तमाम सेनाएँ बिना किसी शर्त के यूक्रेन की अन्तरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सीमाओं के क्षेत्र से तत्काल हटाए.

अलबत्ता, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों की तरह, महासभा के प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं हैं, इसका अर्थ ये है कि सदस्य देश, महासभा के प्रस्तावों को मानने या लागू करने के लिये बाध्य नहीं हैं.

क्या किसी देश की यूएन सदस्यता समाप्त की जा सकती है?

यूएन चार्टर के अनुच्छेद 6 में वर्णित है:

संयुक्त राष्ट्र के किसी सदस्य ने यूएन चार्टर में वर्णित सिद्धान्तों का अगर लगातार उल्लंघन किया है तो उसे सुरक्षा परिषद की सिफ़ारिश पर, यूएन महासभा इस विश्व संगठन से बर्ख़ास्त कर सकती है. हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है.

अनुच्छेद 5 में किसी सदस्य देश की सदस्यता के निष्कासन के प्रावधान दिये गए हैं:

सुरक्षा परिषद ने अगर किसी सदस्य देश के विरुद्ध निषेधात्मक और कार्यकारी कार्रवाई की है तो उस देश को, सुरक्षा परिषद की सिफ़ारिश पर, यूएन महासभा अपने अधिकारों और सदस्यता से सम्बन्धित विशेषाधिकारों का प्रयोग करने से बर्ख़ास्त कर सकती है. सुरक्षा परिषद, इन अधिकारों और विशेषाधिकारों को बहाल भी कर सकती है.

संगठन से किसी सदस्य देश का स्थगन या निष्कासन, सुरक्षा परिषद की सिफ़ारिश पर, महासभा करती है. ऐसी किसी सिफ़ारिश के लिये सुरक्षा परिषद के सभी स्थाई सदस्यों का भी मत हासिल होना चाहिये, यानि किसी स्थाई सदस्य या सदस्यों का वीटो मत प्रयोग नहीं होना चाहिये.

अगर सुरक्षा परिषद का कोई स्थाई सदस्य अपनी बर्ख़ास्तगी या निष्कासन के लिये ख़ुद ही राज़ी ना हो तो, किसी स्थाई सदस्य को केवल यूएन चार्टर में संशोधन के ज़रिये ही हटाया जा सकता है, जैसाकि अध्याय 18 में वर्णित है.

संयुक्त राष्ट्र ने हालाँकि प्रमुख अन्यायों को रोकने की ख़ातिर कुछ निश्चित देशों के विरुद्ध क़दम उठाए हैं. एक उदाहरण दक्षिण अफ़्रीका और रंगभेद (Apartheid) के ख़िलाफ़ वैश्विक संघर्ष में इस विश्व संगठन के योगदान का है. इसके तहत रंगभेद व्यवस्था की अमानवीयता की तरफ़ दुनिया का ध्यान खींचना, लोकप्रिय प्रतिरोध को वैधता देना, सरकारों और ग़ैर-सरकारी संगठनों की रंगभेद विरोधी गतिविधियों को बढावा देना, हथियारों पर प्रतिबन्ध लागू करना, और तेल प्रतिबन्ध का समर्थन करना व अन्य अनेक क्षेत्रों में रंगभेद का बहिष्कार करना शामिल रहा है.

रंगभेद को समाप्त करने के रास्ते पर सुरक्षा परिषद ने 1963 में, दक्षिण अफ़्रीका के ख़िलाफ़ स्वैच्छिक हथियार प्रतिबन्ध शुरू किया था, और महासभा ने 1970 से 1974 के बीच देश के पहचान या साख़ दस्तावेज़ स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. इस प्रतिबन्ध के बाद, दक्षिण अफ़्रीका ने 1994 तक महासभा की कार्रवाइयों में शिरकत नहीं की, जब तक कि रंगभेद का ख़ात्मा नहीं हो गया.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, यूक्रेन में युद्ध पर पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए
UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, यूक्रेन में युद्ध पर पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए

महासचिव का कार्यालय क्या है?

यूएन महासचिव की भूमिका एक शान्ति निर्माण हस्ती के रूप में, काफ़ी सघन मेहनत की बदौलत विकसित हुई है. महासचिव की गतिविधियों में, संयुक्त राष्ट्र के दफ़्तरों का संचालन, मध्यस्थता, संवाद प्रक्रियाओं में सहायता और कुछ हद तक कुछ विवादों का निबटारा भी शामिल हैं.

अभी तक सभी नौ महासचिव पुरुष रहे हैं.

महासचिव की अनेक भूमिकाओं में से सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है - अपने कार्यालयों का प्रयोग करना है जिनमें सार्वजनिक व निजी रूप में प्रयोग करने के साथ-साथ, इनकी स्वतंत्रता, निष्पक्षता और सत्यनिष्ठा शामिल हैं. साथ ही अन्तरराष्ट्रीय विवादों के उत्पन्न होने, उनके गहराने या विस्तार को रोकने में ख़ामोश कूटनीति की ताक़त भी शामिल है.

धरातल पर इसका मतलब है कि यूएन प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों व अन्य अधिकारियों के साथ मुलाक़ातें करने और संघर्ष के पक्षों के बीच विवाद निबटाने के लिये बातचीत में, अपनी हैसियत, वैधता और अपनी वरिष्ठ टीम की कूटनैतिक विशेषज्ञता का इस्तेमाल कर सकते हैं.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मार्च 2022 के अन्त में, अपने निहित अधिकारों का प्रयोग करते हुए, अवर महासचिव और यूएन आपदा राहत संयोजक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स से, रूस और यूक्रेन के दरम्यान एक मानवीय युद्धविराम की सम्भावना तलाश करने के लिये कहा. युद्ध का शान्तिपूर्ण समाधान चाहने वाले अन्य देशों से भी ऐसा ही करने को कहा गया. 

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