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अफ़ग़ानिस्तान: काबुल में शिक्षण केन्द्र पर 'भयावह' हमले की निन्दा

काबुल के दश्त-ऐ-बरछी इलाक़े में स्थित शिक्षण केन्द्र में लड़कियाँ पढ़ाई कर रही हैं.
© UNICEF/Shehzad Noorani
काबुल के दश्त-ऐ-बरछी इलाक़े में स्थित शिक्षण केन्द्र में लड़कियाँ पढ़ाई कर रही हैं.

अफ़ग़ानिस्तान: काबुल में शिक्षण केन्द्र पर 'भयावह' हमले की निन्दा

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में आत्मघाती बम हमले की निन्दा की है, जिसमें 20 से अधिक लोगों की मौत हुई है. नवीनतम समाचारों के अनुसार मृतकों में अधिकतर युवा महिलाएँ है, जो एक शिक्षण केन्द्र पर परीक्षाओं की तैयारियों में जुटी थीं.

राजधानी काबुल के पश्चिमी हिस्से में स्थित दश्त-ऐ-बरछी इलाक़े में काज ट्यूशन् केन्द्र पर हुए इस हमले में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (UNAMA) ने अपने एक ट्वीट सन्देश में बताया कि यह हज़ारा और शिया समुदाय बहुल इलाक़ा है.

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अभी तक किसी गुट ने इस हमले की ज़िम्मेदारी लेने का दावा नहीं किया है, मगर आतंकवादी संगठन आइसिल या दाएश, ने अक्सर अफ़ग़ानिस्तान में हज़ारा अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया है.

यूएन मिशन ने अपने ट्वीट सन्देश में कहा कि यूएन परिवार इस हमले की निन्दा और पीड़ितों के परिजनों के प्रति अपनी गहरी सम्वेदना व्यक्त करता है.

समाचार माध्यमों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, हमलावर ने शिक्षण केन्द्र के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर गोलियाँ चलाईं और फिर एक कक्षा में घुसते हुए बम धमाका कर दिया.

बताया गया है कि हमले के समय बड़ी संख्या में छात्र वहाँ मौजूद थे.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अपना एक वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि यूएन एजेंसी शुक्रवार सुबह हुए इस हमले से व्यथित है.

'जघन्य कृत्य'

यूएन बाल कोष ने कहा, “इस जघन्य कृत्य में बड़ी संख्या में किशोरवय लड़कियों व लड़कों की जानें गई हैं, और अनेक अन्य लोग गम्भीर रूप से घायल हुए हैं. ये पीड़ित, विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे थे.”

यूएन एजेंसी ने क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी शैक्षणिक माहौल में किसी भी प्रकार की हिंसा कभी भी स्वीकार्य नहीं है.

“ऐसे स्थल, शान्ति के शरणस्थल होने चाहिये, जहाँ बच्चे सीख सकें, मित्रों के साथ घुलमिल सकें, और भविष्य के लिये कौशल निर्माण करते समय सुरक्षित महसूस कर सकें.”

यूएन बाल कोष के अनुसार बच्चे और किशोर ना तो हिंसा का निशाना हैं, और ना ही उन्हें निशाना बनने देना होगा.

“यूनीसेफ़ फिर से अफ़ग़ानिस्तान में सभी पक्षों को ध्यान दिलाता है कि मानवाधिकारों का सम्मान व अनुपालन करना होगा, और सभी बच्चों व युवजन की सलामती व संरक्षण सुनिश्चित किया जाना होगा.”

यह हमला मुख्यत: एक शिया बहुल इलाक़े में हुआ है, जोकि अल्पसंख्यक हज़ारा समुदाय का गढ़ है. यह समुदाय अफ़ग़ानिस्तान में सर्वाधिक उत्पीड़न के शिकार समुदायों में से एक है.

अफ़ग़ानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर रिचर्ड बैनेट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि पिछले वर्ष अगस्त महीने में, देश की सत्ता पर तालेबान द्वारा क़ब्ज़ा किये जाने के बाद से दुर्व्यवहार की ये घटनाएँ नहीं रुकी हैं.

जोखिम वाले हालात

यूएन के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने 6 सितम्बर को मानवाधिकार परिषद के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि हज़ारा समुदाय को भेदभाव के विभिन्न रूपों से जूझना पड़ता है.

इसके कारण उनके आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व मानवाधिकारों पर नकारात्मक असर होता है.

विशेष रैपोर्टेयर ने कहा, “मनमाने ढंग से गिरफ़्तार किये जाने, यातना व अन्य प्रकार के बुरे बर्ताव, बिना सुनवाई के जान से मार दिये जाने और जबरन गुमशुदगी के मामलों की ख़बरें मिली हैं.”

इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ऑनलाइन माध्यमों पर और शुक्रवार की नमाज़ की दौरान मस्जिदों में भड़काऊ भाषणों में वृद्धि हुई है, जिनमें हज़ारा व्यक्तियों की हत्या की बात कही जाती है.

स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ ने बताया कि अफ़ग़ानिस्तान में तालेबान प्रशासन ने हज़ारा बहुल प्रान्तों में सरकारी तंत्रों में वरिष्ठ पदों पर पश्तून समुदाय के लोगों को नियुक्त किया है.   

इससे हज़ारा समुदाय को जबरन वहाँ से निकलने के लिये मजबूर होना पड़ा है और शिया सिद्धान्तों के विरुद्ध धार्मिक टैक्स भी थोपा गया है.