अफ़ग़ानिस्तान: काबुल मस्जिद में घातक हमले की निन्दा, अनेक हताहत

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) ने राजधानी काबुल में गुरूवार को हुए एक घातक हमले की निन्दा की है.
देश में यूएन सहायता मिशन ने एक ट्वीट सन्देश में कहा है कि, “हम कल काबुल मस्जिद में हुए हमले की निन्दा करते हैं, ये हमला भी बम विस्फोटों की श्रंखला में ताज़ा घटना है जिनसे देश में हाल के सप्ताहों के दौरान 250 से अधिक लोग हताहत हुए हैं.”
मिशन ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान आम लोगों के हताहत होने की ये सबसे बड़ी मासिक संख्या है.
समाचार मीडिया ने बुधवार को पुलिस के हवाले से ख़र दी थी कि काबुल मस्जित में शाम की नमाज़ के दौरान एक भीषण बम विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 33 लोगों की मौत हो गई और 21 अन्य घायल हो गए.
हताहतों में मस्जिद के इमान आमिर मोहम्मद काबुली भी हैं.
राजधानी में इस विस्फोट स्थल को सीलबन्द कर दिया गया है, मगर अभी ये जानकारी नहीं मिली है कि उस हमले के पीछे कौन हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में लगातार बदतर होते हालात के मद्देनज़र, सत्तारूढ़ तालेबान अधिकारियों से देश में आतंकवाद के सभी रूपों को रूपने के लिये तत्काल ठोस क़दम उठाने की पुकार लगाई है.
यूएन मिशन का कहना है, “निर्बल हालात वाले समुदायों को अतिरिक्त सहायता मुहैया कराई जानी चाहिये और अपराधियों को न्याय के कटघरे में अवश्य लाया जाना चाहिये.”
मिशन ने कहा कि हम इस भीषण विस्फोट में मारे गए लोगों के परिवारों के साथ अपनी गहन सम्वेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं.”
काबुल में बुधवार को हुए बम विस्फोट से कुछ ही दिन पहले एक आत्मघाती बम विस्फोट में तालेबान के एक प्रबल समर्थक एक मौलवी रहीमुल्लाह हक़्क़ानी की मौत हो गई थी. वो मौलवी महिलाओं की शिक्षा के हिमायती थे.
आतंकवादी नैटवर्क – दाएश ने उस हमले की ज़िम्मेदारी स्वीकार की थी.
इस बीच समाचार एजेंसियों ने ख़बर दी है कि तालेबान के वरिष्ठ अधिकारीगण, कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिये, गुरूवार को देश के दूसरे सबसे बड़े शहर – कन्दाहार में बैठक कर रहे हैं जिसमें 2,000 से ज़्यादा क़बायली और धार्मिक नेता शिरकत करेंगे.
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों के एक समूह ने, गत सप्ताह वैश्विक समुदाय से आग्रह किया था कि वो देश में सत्तारूढ़ अधिकारियों को, मानवाधिकारों के बुनियादी सिद्धान्तों का पालन करने को प्रोत्साहित करने के लिये अपने प्रयास बढ़ाएँ.
मानवाधिकार विशेषज्ञों के इस समूह ने शुक्रवार, 12 अगस्त को एक वक्तव्य जारी करके कहा कि अगर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने तालेबान को अपने तरीक़ों में बदलाव सुनिश्चित करने और उसकी मानवाधिकार ज़िम्मेदारियों का पालन करने के लिये और ज़्यादा कार्रवाई नहीं की तो अफ़ग़ान लोगों के लिये भविष्य बहुत स्याह नज़र आ रहा है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने याद दिलाया कि उन्होंने अगस्त 2021 में तालेबान द्वारा सत्ता पर नियंत्रण जमाने के बाद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, अफ़ग़ान लोगों को मानवाधिकार हनन से बचाने के लिये कड़ी कार्रवाई करने की अपील की है.
इन हनन मामलों में बन्दीकरण, आनन-फानन में मृत्यु दण्ड दिया जाना, आन्तरिक विस्थापन, और लोगों के मानवाधिकारों पर अवैध पाबन्दियाँ लगाया जाना शामिल है.