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'जीवाश्म ईंधन की लत' से छुटकारे और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने पर बल

भूटान में एक महिला छत पर सौर ऊर्जा पैनल को स्थापित कर रही है.
© ADB
भूटान में एक महिला छत पर सौर ऊर्जा पैनल को स्थापित कर रही है.

'जीवाश्म ईंधन की लत' से छुटकारे और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने पर बल

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार को ‘वैश्विक कॉम्पैक्ट बोर्ड’ की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग की दिशा में न्यायसंगत व समतापूर्ण परिवर्तन, मौजूदा विश्व के समक्ष सबसे विशाल चुनौतियों में से एक है.

यूएन प्रमुख के अनुसार जलवायु आपदाओं और ईंधन की आसमान छूती क़ीमतों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल की लत का अन्त करना होगा.

इसके बजाय, नवीकरणीय ऊर्जा में संसाधन निवेश, सहनक्षमता निर्माण और जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देना अहम होगा.

महासचिव ने कहा कि वास्तविक ऊर्जा सुरक्षा प्राप्ति, बिजली क़ीमतों में स्थिरता और सतत रोज़गार अवसरों के लिये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत ही एकमात्र विश्वसनीय मार्ग है.

उनका मानना है कि वैश्विक बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर, 2030 तक 60 प्रतिशत और 2050 तक 90 फ़ीसदी तक ले जाना होगा.

यूएन प्रमुख ने कहा कि व्यवसायों और सरकारों को, नवीकरणीय ऊर्जा के प्रयोग को, सुदूर भविष्य की परियोजना के रूप में सोचना बन्द करना होगा.

“नवीनीकृत ऊर्जा के बिना, कोई भविष्य नहीं हो सकता.”

इस क्रम में, यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में क़दम बढ़ाने के लिये अपनी पाँच-सूत्री ऊर्जा योजना प्रस्तुत की.

रोमानिया सहित कई अन्य देश, निम्न कार्बन आधारित विकास के लिये हरित ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
World Bank/Jutta Benzenberg
रोमानिया सहित कई अन्य देश, निम्न कार्बन आधारित विकास के लिये हरित ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

अहम ऊर्जा प्राथमिकताएँ

पहला, वैश्विक सार्वजनिक भलाई के रूप में इन प्रौद्योगिकियों को निशुल्क उपलब्ध कराना होगा.

“ऐसे पेटेंट की शिनाख़्त करनी होगी, जिन्हें निशुल्क उपलब्ध कराया जा सके, विशेष रूप से बैटरी और भंडारण क्षमता सम्बन्धी, जोकि त्वरित व निष्पक्ष ऊर्जा परिवर्तन के लिये ज़रूरी हैं.”

दूसरा, उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी के लिये आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने, उन्हें सुरक्षित व वैविध्यपूर्ण बनाने पर बल दिया.

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि पुर्ज़ों और कच्चे माल के लिये आपूर्ति श्रृंखला फ़िलहाल चुनिन्दा देशों में ही उपलब्ध हैं.

तीसरा, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सभी के लिये समान अवसर उपलब्ध कराने होंगे.

“हमारे पास प्रौद्योगिकी, क्षमता और धनराशि मौजूद है, लेकिन हमें तत्काल नीतियाँ व फ़्रेमवर्क लागू करने की आवश्यकता है, ताकि निवेश को प्रोत्साहन मिले और लालफीताशाही, परमिट व ग्रिड कनेक्शन की वजह से पैदा होने वाली मुश्किलों को दूर किया जा सके.”

चौथा, जीवाश्म ईंधन को मिलने वाले अनुदान का अन्त करके, उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा के लिये मुहैया कराना होगा.

उन्होंने बताया कि हर वर्ष, देशों की सरकारें जीवाश्म ईंधन की क़ीमतों को कम रखने के लिये, 500 अरब डॉलर की रक़म ख़र्च करती हैं, और यह रक़म, नवीकरणीय ऊर्जा को मिलने वाली राशि की तीन गुना से भी अधिक है.

पाँचवा, नवीकरणीय ऊर्जा में सार्वजनिक व निजी निवेश को तीन गुना वृद्धि करते हुए, प्रतिवर्ष चार हज़ार अरब डॉलर से अधिक तक ले जाना होगा.

मैडागास्कर में सौर ऊर्जा संयंत्र, जिसके ज़रिये हज़ारों लोगों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है.
© UNICEF/Safidy Andriananten
मैडागास्कर में सौर ऊर्जा संयंत्र, जिसके ज़रिये हज़ारों लोगों की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है.

सबके हित में

इसके लिये यह ज़रूरी है कि वित्त पोषण सर्वाधिक ज़रूरतमन्द लोगों तक पहुँचाया जाए, जोखिम फ़्रेमवर्क में आवश्यकता अनुरूप बदलाव लाया जाए, और विकासशील देशों के लिये क़ीमतों में कमी लाई जाए.

यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि नवीकरणीय ऊर्जा भविष्य की दिशा में न्यायोचित परिवर्तन से, हर किसी का भला होगा, मगर ठोस उपायों की आवश्यकता है.  

“केवल खानापूर्ति से काम नहीं चलेगा. हमें विश्वसनीय कार्रवाई और जवाबदेही की आवश्यकता है.”

हर व्यवसाय और निवेशक, हर शहर व देश को नैट-शून्य उत्सर्जन के वादे को पूरा करने के लिये क़दम उठाने होंगे, ताकि पैरिस समझौते के लक्ष्य हासिल किये जा सकें.

महासचिव ने भरोसा दिलाया कि यूएन वैश्विक कॉम्पैक्ट इस अहम प्रयास में सहायता करने के लिये तैयार है, ताकि उद्योगों और क्षेत्रों में नवीकरणीय क्रान्ति शुरू की जा सके.