जलवायु: दुनिया ने जीवाश्म ईंधन का जुआ खेला और हार देखी है, गुटेरेश की चेतावनी

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने शुक्रवार को चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि जीवाश्म ईंधनों जैसे सीमित मात्रा वाले संसाधनों के प्रयोग पर निर्भर, मौजूदा असीमित वृद्धि के वैश्विक आर्थिक रूप से, केवल मंहगाई, जलवायु अव्यवस्था और संघर्ष का तिहरा अभिशाप ही सामने आएगा.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में, शुक्रवार को ऊर्जा व जलवायु पर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के एक फ़ोरम को सम्बोधित करते हुए ये बात कही. इसका आयोजन देश के शीर्ष जलवायु दूत जॉन कैरी ने किया और उसकी मेज़बानी राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडेन ने की.
For decades, the fossil fuel industry has invested in pseudo-science & public relations, with a false narrative to minimize their responsibility for climate change & undermine ambitious climate policies.They exploited the same scandalous tactics as Big Tobacco decades before.
antonioguterres
अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय – व्हाइट हाउस के अनुसार, इस बैठक में ऐसे देशों ने शिरकत की जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP), जनसंख्या और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन के 80 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं.
यूएन महासचिव ने प्रतिभागियों को बताया कि वृद्धि समाधान स्पष्ट है: “जहाँ तक ऊर्जा ज़रूरतों का सवाल है तो हमारे पास असीमित संसाधन मौजूद हैं. पवन, सौर और लहरें जो कभी भी ख़त्म नहीं होते हैं."
"अगर हम सीमित व प्रदूषक जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर, अक्षय ऊर्जा संसाधनों का सफलतापूर्वक प्रयोग करने लगें तो, हम ऊर्जा सन्तुलन बेहतर बना सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि स्थिर क़ीमतें और टिकाऊ वृद्धि हासिल किये जाने के दायरे में हैं, बशर्ते कि अक्षय ऊर्जा स्रोतों को प्राथमिकता दी जाए. उससे भी ज़्यादा, ये स्रोत कार्बन उत्सर्जन को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा का समर्थन करने में मदद करते हैं.
एंतोनियो गुटेरेश ने कहा, “सट्टेबाज़ियों में समय बर्बाद करने का दौर ख़त्म हो गया है. दुनिया ने जीवाश्म ईंधन पर जुआ खेला और हार का सामना किया.”
यूएन प्रमुख ने कहा कि कोई अन्य परिस्थिति, आज के समय जीवाश्म ईंधन विस्तार के ख़तरे से ज़्यादा स्पष्ट नहीं हो सकती.
उन्होंने कहा, “यहाँ तक कि लघु अवधि के लिये भी, इसकी कोई राजनैतिक या आर्थिक तुक नहीं बनती. फिर भी हम एक ऐसी दुनिया में धँसे हुए नज़र आते हैं जहाँ जीवाश्म ईंधन उत्पादकों और वित्त पोषकों ने, इनसानियत को उसके गले से पकड़ रखा है.”
“जीवाश्म ईंधन उद्योग ने, दशकों तक, छदम-विज्ञान व जन सम्पर्क तरीक़ों में भारी निवेश किया है – जिसमें जलवायु परिवर्तन में उनकी ज़िम्मेदारी को कम दिखाने व महत्वकांक्षी जलवायु नीतियों की महत्ता कम करने के लिये, झूठी कहानियाँ फैलाई गई हैं.”
उन्होंने जीवाश्म ईंधन के भारी मुनाफ़े वाले उद्योग की तुलना, 20वीं सदी के मध्य के दौरान भारी-भरकम तम्बाकू उद्योग के प्रचलित लज्जाजनक तरीक़ों से की.
यूएन प्रमुख ने कहा, “तम्बाकू उद्योग के हितों की ही तरह, जीवाश्म ईंधन व उनके वित्तीय साझीदारों को, उनकी ज़िम्मेदारी से बचकर नहीं भागने दिया जा सकता. देशों के भीतर मौजूद समस्याओं से निपटने की दलील देकर, जलवायु कार्रवाई को दरकिनार करने का तर्क भी खोखला है.”
उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा संसाधनों में अगर काफ़ी पहले निवेश किया जाता तो, यूक्रेन पर रूस के हमले से शुरू हुई परेशानियों, और दुनिया भर में तेल व गैस की आसमान छूती क़ीमतों से बचा जा सकता था.
यूएन प्रमुख ने कहा कि आइये, हम सब ये सुनिश्चित करें कि यूक्रेन युद्ध का प्रयोग, उस निर्भरता को और ज़्यादा बढ़ाने के लिये ना किया जाए. आज की बहुत महत्वपूर्ण घरेलू समस्याएँ, जिनमें महंगाई और गैस की बढ़ती क़ीमतें भी शामिल हैं, वो ख़ुद भी जलवायु और जीवाश्म ईंधन समस्याएँ हैं.
उन्होंने इस सप्ताह किसी अन्तरराष्ट्रीय जलवायु कार्यक्रम में, दूसरी बार, अक्षय ऊर्जा क्रान्ति के लिये अपनी पाँच सूत्री योजना की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
उन्होंने देशों की सरकारों से जीवाश्म ईंधन के युग का ख़ात्मा करने का आग्रह करते हुए कहा, “जलवायु आपदा हमारी सर्वप्रथम आपदा है.”
उन्होंने निष्कर्षतः कहा, “अक्षय ऊर्जा की क्रान्ति अभी से शुरू होती है.”