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उजले वैश्विक भविष्य के लिए, नवीकरणीय ऊर्जा क्रान्ति का आहवान

चाड में, बार-बार चार्ज होने वाले और ऊर्जा किफ़ायती बल्बों से, छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद मिल रही है.
© UNICEF/Kim
चाड में, बार-बार चार्ज होने वाले और ऊर्जा किफ़ायती बल्बों से, छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखने में मदद मिल रही है.

उजले वैश्विक भविष्य के लिए, नवीकरणीय ऊर्जा क्रान्ति का आहवान

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि केवल नवीकरणीय ऊर्जा के ज़रिये ही ऊर्जा सुलभता की खाई को पाटना, क़ीमतों में स्थिरता लाना और ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित कर पाना सम्भव है. यूएन प्रमुख ने शनिवार को संयुक्त अरब अमीरात के आबू धाबी में अन्तरराष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) ऐसेम्बली के 13वें सत्र को सम्बोधित करते हुए, नवीकरणीय ऊर्जा क्रान्ति पर केन्द्रित अपनी पाँच-सूत्री योजना प्रस्तुत की है.

यूएन प्रमुख ने अपने वीडियो सन्देश में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए क्रान्ति शुरू करने का आहवान किया, ताकि जलवायु विनाश का टाला जा सके और सर्वजन के लिए एक उजला भविष्य सृजित किया जा सके.

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उन्होंने सचेत किया कि दुनिया को अब भी जीवाश्म ईंधन की लत है, और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य हाथ से फिसलता जा रहा है.

“मौजूदा नीतियों के तहत, हम इस सदी के अन्त तक वैश्विक तापमान में 2.8 डिग्री की वृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं, जिसके नतीजे विनाशकारी होंगे.”

“हमारे ग्रह के अनेक हिस्से रहने लायक नहीं रह जाएंगे. और बहुत से लोगों के लिए, यह मृत्यु दंड है.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ध्यान दिलाया कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत फ़िलहाल वैश्विक बिजली का क़रीब 30 प्रतिशत हैं.

उन्होंने कहा कि इसे वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 60 प्रतिशत और इस सदी के मध्य तक 90 प्रतिशत तक पहुँचना होगा.

सार्वजनिक भलाई

महासचिव ने कहा कि कारगर कार्रवाई के ज़रिये यह सम्भव है, और इस क्रम में उन्होंने अपनी पाँच-सूत्री ऊर्जा योजना प्रस्तुत की.

पहला, बौद्धिक सम्पदा अवरोधों को दूर हटाना होगा और महत्वपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा टैक्नॉलॉजी को सार्वजनिक भलाई की वस्तु के रूप में देखा जाना होगा.

दूसरा, पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाए बिना, नवीकरणीय टैक्नॉलॉजी के लिए कच्चे माल और पुर्ज़ों की सप्लाई चेन के लिए सुलभता बढ़ानी होगी.

तीसरा, निर्णय-निर्धारकों को लालफ़ीताशाही पर नियंत्रण पाना होगा, टिकाऊ परियोजनाओं के लिए स्वीकृति तेज़ी से दी जानी होगी, और बिजली ग्रिड का आधुनिकीकरण करना होगा.

चौथा, ऊर्जा सब्सिडी को जीवाश्म ईंधन से हटाकर, स्वच्छ व पहुँच के भीतर ऊर्जा स्रोतों पर केन्द्रित करना होगा. इस दिशा में न्यायोचित ढंग से आगे बढ़ने के लिए निर्बल समूहों को साथ लेकर चलना होगा.

पाँचवा, नवीकरणीय ऊर्जा में सार्वजनिक व निजी निवेश में तीन गुना वृद्धि करके उसे प्रति वर्ष कम से कम चार हज़ार अरब डॉलर तक पहुँचाना होगा.

थाईलैंड में एक सौर ऊर्जा संयंत्र में कर्मचारी.
© ADB
थाईलैंड में एक सौर ऊर्जा संयंत्र में कर्मचारी.

ऊर्जा सम्प्रभुता को मज़बूती

यूएन महासभा के प्रमुख कसाबा कोरोसी ने अपने सम्बोधन में कहा कि जलवायु चुनौती से रक्षा, स्वच्छ ऊर्जा की ओर न्यायसंगत प्रगति के ज़रिये ही सम्भव है.

उन्होंने कहा कि अल्पकाल में कुछ विफलताओं का सामना करना पड़ सकता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में भी सम्भवत: उछाल सम्भव है, मगर हरित ऊर्जा के दीर्घकालिक लाभ होंगे.

“सौर से लेकर पवन, तरंग और जियोथर्मल, हर जलवायु के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत उपलब्ध हैं. उनके इस्तेमाल में ऊर्जा सम्प्रभुता को मज़बूती मिलने की सम्भावना है.”

यूएन महासभा के 77वें सत्र के लिए अध्यक्ष कसाबा कोरोसी ने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा को वर्ष 2030 तक वैश्विक बिजली उत्पादन के 60 फ़ीसदी हिस्से तक पहुँचाना होगा.

इस क्रम में, उन्होंने मूल्यांकन के लिए वैज्ञानिक उपकरणों में निवेश करने, प्रगति के आकलन पर केन्द्रित व्यवस्था विकसित करने, बौद्धिक सम्पदा अवरोधों को दूर हटाने, और टिकाऊ ऊर्जा पहल के लिए साझेदारियों में स्फूर्ति भरने का आग्रह किया है.