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स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिये ठोस नीतियों की दरकार

रोमानिया सहित कई अन्य देश, निम्न कार्बन आधारित विकास के लिये हरित ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
World Bank/Jutta Benzenberg
रोमानिया सहित कई अन्य देश, निम्न कार्बन आधारित विकास के लिये हरित ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में बढ़ने के लिये ठोस नीतियों की दरकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि इस सदी के मध्य तक, नैट-शून्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने के लिये तत्काल जलवायु कार्रवाई की आवश्यकता है. यूएन प्रमुख ने बुधवार को, चिली के सैन्टियागो में स्वच्छ ऊर्जा पर एक मंत्रिस्तरीय बैठक के लिये अपने वीडियो सन्देश में आगाह किया कि सरकारों, व्यवसायों और वित्तीय संगठनों द्वारा लिये गए संकल्पों को ठोस नीतियों के ज़रिये, तयशुदा अवधि में पूरा किया जाना होगा.

यूएन महासचिव ने मंत्रिस्तरीय बैठक को वर्चुअल रूप से सम्बोधित करते हुए,  ‘मिशन इनोवेशन’ की छठी बैठक की मेज़बानी करने और ‘मिशन इनोवेशन 2.0’ की शुरुआत के लिये चिली सरकार का आभार जताया.

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उन्होंने कहा कि, जलवायु व्यवधान दूर करने के समाधानों में तेज़ी लाने में, मिशन इनोवेशन की महत्वपूर्ण भूमिका है.

यूएन प्रमुख ने वर्ष 2030 तक, वैश्विक उत्सर्जन में 2010 के स्तर की तुलना में, 45 प्रतिशत की कटौती और 2050 तक नैट-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिये तीन उपायों को साझा किया.

पहला, सदी के मध्य तक नैट-शून्य उत्सर्जन के लिये वैश्विक गठबंधन बनाना होगा, जिसमें हर देश, हर शहर और हर उद्योग को एकजुट होना होगा.

“दूसरा, प्रमुख उत्सर्जकों से शुरुआत करते हुए, सभी देशों को उत्सर्जन कटौती, अनुकूलन और वित्त पोषण के लिये, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित अधिक महत्वाकाँक्षी योगदान देने चाहियें.”

“तीसरा, इन योजनाओं को अगले 10 वर्षों के लिये ठोस कार्रवाई व नीतियों द्वारा समर्थन दिये जाने की ज़रूरत है, जो 2050 तक नैट-शून्य उत्सर्जन के अनुरूप हों.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पेरिस समझौते के तहत तय लक्ष्य, वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिये, कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीक़े से ख़त्म करना सबसे महत्वपूर्ण क़दम होगा.

उन्होंने घरेलू व अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले में निवेश के सम्बन्ध में जी-7 समूह के देशों के संकल्प की सराहना की है और जी-20 देशों को भी इसका अनुसरण करने का आहवान किया है.

“इस दशक के दौरान ही यह सुनिश्चित करना होगा कि नवीकरणीय ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन से आगे निकल जाए.”

ऊर्जा सैक्टर में बदलाव पर बल

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि देशों को जीवाश्म ईंधन को सब्सिडी देने के बजाय, अक्षय ऊर्जा को सब्सिडी दनी होगी.

साथ ही उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, वर्ष 2035 तक और वैश्विक स्तर पर 2040 तक, नैट-शून्य उत्सर्जन बिजली प्रणाली मानदण्ड बनाना होगा.

“प्रौद्योगिकी और अर्थशास्त्र हमारे पक्ष में हैं. लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिये, वित्त पोषण की आवश्यकता है.”

महासचिव ने सचेत किया कि “यदि जहाज़रानी सैक्टर कोई देश होता, तो यह दुनिया का छठा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक रहा होता.”

इसके मद्देनज़र, बताया गया है कि नैट-शून्य नवाचार के लिये जहाज़रानी मिशन की शुरुआत, रास्ता बदलने में सहायक साबित हो सकता है.

यूएन प्रमुख के मुताबिक वर्ष 2030 तक, शून्य-उत्सर्जन जहाज़ो को प्रतिस्पर्धी विकल्प बनना चाहिये, और वहाँ तक पहुँचने के लिये विश्वसनीय बाज़ार-आधारित उपायों की आवश्यकता होगी.

इसके अलावा, स्टील और सीमेंट जैसे सैक्टरों में, उन्होंने 2030 के लिये, सरकारों द्वारा संकल्पबद्ध परियोजनाओं और वैश्विक ख़रीद लक्ष्यों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है.

उन्होंने उद्योगों में बदलाव लाने हेतु, नेतृत्व समूह के साथ काम करने के लिये, भारत और स्वीडन की सराहना की है.