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अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस: ‘युद्ध विष’ से बचने और ‘शान्ति पुकार’ बुलन्द करने का आग्रह

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, 16 सितम्बर को अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर पर, यूएन मुख्यालय में एक समारोह के दौरान, शान्ति घंटी को बजाते हुए.
UN Photo/Mark Garten
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, 16 सितम्बर को अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर पर, यूएन मुख्यालय में एक समारोह के दौरान, शान्ति घंटी को बजाते हुए.

अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस: ‘युद्ध विष’ से बचने और ‘शान्ति पुकार’ बुलन्द करने का आग्रह

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस के अवसर पर, शुक्रवार को यूएन मुख्यालय में स्थित शान्ति घंटी को बजाते हुए, “युद्ध विष” से बचने और शान्ति की पुकार बुलन्द करने का आहवान किया है.

इस अवसर पर मुख्यालय में शान्ति उपवन में एक मिनट का मौन भी रखा गया.

यूएन महासचिव ने शान्ति पुकार की आवाज़ में शामिल होने वालों का शुक्रिया भी अदा किया, और याद दिलाया कि आज शान्ति, हमले की चपेट में है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि युद्ध का विष, हमारी दुनिया को संक्रमित कर रहा है – जिससे लाखों-करोड़ों ज़िन्दगियाँ जोखिम में पड़ रही हैं, लोग आपस में ही एक दूसरे के दुश्मन बन रहे हैं, देश भी एक दूसरे के सामने तन रहे हैं, सुरक्षा और बेहतर रहन-सहन में गिरावट आ रही है, विकास पलट रहा है.

“यह भविष्य के लिये हमारे साझा लक्ष्यों को भी दूर - ज़्यादा दूर धकेल रहा है.”

यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि मानवता को लड़ाई में संलिप्त होने के बजाय, साझा चुनौतियों से निपटने के लिये एकजुट होना चाहिये.

इन चुनौतियों में निर्धनता, भुखमरी और विषमता; जलवायु परिवर्तन व जैव विविधता हानि; ज़िन्दगियों और अर्थव्यवस्थाओं को अब भी तबाह करने वाली कोविड-19 महामारी – और नस्लवाद प्रमुख हैं.
इस वर्ष के अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस का मुख्य विषय नस्लवाद मुद्दा ही है.

शान्ति को प्रोत्साहन

उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि वैसे तो शान्ति को आगे बढ़ाना संयुक्त राष्ट्र का मुख्य मिशन है, मगर “शान्ति निर्माण का कार्य, सभी के कन्धों पर है”.

उन्होंने आग्रह करते हुए कहा, “एकजुट होकर, आइये, हम शान्ति को आगे बढ़ाएँ.”

“हमारे ग्रह के लिये शान्ति...विकासशील देशों के लिये, जोकि गहराई से पक्षपाती वैश्विक वित्तीय व्यवस्था के शिकार बन रहे हैं... और सभी के लिये समानता के नाम पर शान्ति – भेदभाव, नस्लभेद और ‘हेट स्पीच’ के तमाम रूपों का ख़ात्मा करके.”

यूएन प्रमुख ने युवजन के लिये भी शान्ति की हिमायत की, जिन्हें आज की ज़िम्मेदारी पीढ़ी के निर्णयों या निर्णय लेने में नाकामी के परिणामों का सामना करना पड़ेगा. 

“और सबसे ज़्यादा अहम – आज दुनिया के ऐसे करोड़ों लोगों के शान्ति, जिन्हें युद्ध की विभीषिकाओं में जीवन जीना पड़ रहा है.”

वैश्विक एकजुटता बिल्कुल अभी

यूएन महासचिव ने वैश्विक एकजुटता, सामूहिक कार्रवाई, समर्पण, और परस्पर विश्वास की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए कहा, “अतीत से कहीं अधिक अभी”.

“इसकी शुरुआत यहाँ होती है – और बिल्कुल अभी. आइये, हम सर्वजन के लिये शान्ति से भरपूर एक दुनिया की पुकार बुलन्द करें.”

एकजुटता की दरकार

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यूएन महासभा के अध्यक्ष कसाबा कोरोसा ने याद दिलाया कि इस शान्ति घंटी का निर्माण, 1954 में 60 देशों द्वारा दान दिये गए सिक्कों से किया गया था.

उन्होंने कहा, “हमें आज उसी तरह की एकजुटता की आवश्यकता है ताकि यहाँ हमारा काम प्रासंगिक और प्रभावशाली बना रहे.”

यूएन महासभा के नए अध्यक्ष ने बयान किया कि आज वैश्विक शान्ति किस तरह गम्भीर ख़तरे में है क्योंकि आज पहले से कहीं ज़्यादा शरणार्थियों और विस्थापित लोगों को हिंसा से बचने के लिये भागना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में कभी ऐसा नहीं देखा गया है.

उन्होंने रेखांकित करते हुए कहा कि यूक्रेन युद्ध के परिणाम, क्षेत्र की सीमाओं से भी परे महसूस किये जा रहे हैं, और ये इस बात का कठोर अनुस्मरण है कि शान्ति के लिये सदैव ख़तरा मौजूद रहता है, और कोई भी देश इसे मामूली बात नहीं समझ सकता.

शिक्षा अति महत्वपूर्ण

कसाबा कोरोसी ने कहा कि इस वर्ष की थीम – “नस्लभेद की समाप्ति. शान्ति निर्माण”, हर किसी को ये याद रखने के लिये विवश करती है कि “नस्लभेद आज भी हमारी दुनिया में गहरी जड़ें जमाए हुए है.”

नस्लभेद से वैश्विक शान्ति ख़तरे में पड़ती है, सामाजिक सम्बन्ध कमज़ोर होते हैं, और यह देशों को, जलवायु परिवर्तन, लड़ाई-झगड़ों व अन्य संकटों के लिये कमज़ोर हालात में धकेलता है.

उन्होंने दलील देते हुए कहा, “नस्लभेद के पीछे छुपे अन्धविश्वास व दकियानूसी सोच को तोड़ने के लिये, शिक्षा और विज्ञान अति महत्वपूर्ण हैं.”

उन्होंने साथ ही कहा कि “विविध विचारों से रचनात्मकता को प्रेरणा मिलती है और नवाचार को प्रोत्साहन मिलता है” – जोकि हमारी शक्ति का स्रोत हैं.

उन्होंने सभी से, “हमेशा-हमेशा के लिये, नस्लभेद और भेदभाव के तमाम रूपों का ख़ात्मा करने का आग्रह किया.”

गुणवत्ता की बुलन्दी

कसाबा कोरोसी ने इस सन्दर्भ में – राष्ट्रीय, नस्लीय, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों से सम्बन्धित लोगों के अधिकारों पर घोषणा-पत्र की 30वीं वर्षगाँठ के अवसर पर 21 सितम्बर को आयोजित यूएन महासभा की उच्चस्तरीय बैठक की तरफ़ भी ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने इस बैठक को, सहिष्णुता की प्रथा, समावेश और जैव विविधता के सम्मान के लिये, पुनःसमर्पण के वास्ते, एक अवसर क़रार दिया.

यूएन महासभा अध्यक्ष ने मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा-पत्र का मसौदा तैयार करने वालों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की.

उन्होंने इस घंटी की आवाज़, हर जगह, हर किसी के लिये, स्वतंत्रता और समानता का सहारा बनने की प्रार्थना भी की.

अन्तरराष्ट्रीय शान्ति दिवस, हर वर्ष 21 सितम्बर को मनाया जाता है. ये दिवस तमाम देशों के दरम्यान, और तमाम लोगों के भीतर शान्ति के आदर्शों को मज़बूत करने के लिये समर्पित है.