शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव के लिये सम्मेलन: संकट ना रुका, तो पूरी पीढ़ी पर जोखिम
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने शुक्रवार को आगाह किया है कि विश्व भर में, 10-वर्षीय बच्चों में से केवल एक-तिहाई बच्चे ही एक सरल, लिखित कहानी को पढ़ या समझ सकते हैं. शिक्षा में रूपान्तरकारी परिवर्तन लाने पर केन्द्रित एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन से ठीक पहले जारी हुआ यह स्तब्धकारी आँकड़ा, वैश्विक महामारी से पूर्व व्यक्त किये गए अनुमान से 50 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है.
यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा, “अल्प-संसाधन प्राप्त स्कूल, अल्प-योग्यता और अल्प-वेतन में काम कर रहे शिक्षक, भीड़-भाड़ भरी कक्षाएँ और पुरातन पाठ्यक्रम, पूर्ण सम्भावना को साकार करने की हमारे बच्चों की क्षमता को कमज़ोर कर रही है.”
The #TransformingEducation Summit begins today with a Youth-led Mobilization Day focusing on the Youth Declaration 📣, fostering active participation of Ministers and Member States in meaningful dialogues with Youth: https://t.co/4MJZ3u0fz3 #LeadingSDG4 pic.twitter.com/6rmn3udNx9
TransformingEdu
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणालियों की दिशा, हमारे भविष्य की दिशा को निर्धारित करती है.
“हमें मौजूदा रुझानों की दिशा को पलटने की आवश्यकता है, नहीं तो एक पूरी पीढ़ी को शिक्षा में विफल होने के नतीजों का सामना करना पड़ेगा.”
“आज सीखने-समझने के निम्न स्तर का अर्थ है, कल कम अवसरों का होना.”
शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव लाने पर चर्चा के लिये न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आरम्भ हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, यूएन उपप्रमुख और महासभा अध्यक्ष द्वारा बैठक के दौरान, शिक्षा की कायापलट कर देने वाले बदलाव लिये वैश्विक एकजुटता का आहवान किया जाएगा.
शनिवार को समाधान दिवस क़रार दिया गया है, और सोमवार को यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश अन्य विश्व नेताओं के साथ जनरल असेम्बली सभागार में परिवर्तन उपायों का अपना ख़ाका प्रस्तुत करेंगे.
शिक्षा संकट
कोविड-19 महामारी के दौरान, लम्बे समय तक स्कूलों में तालाबन्दी रही और गुणवत्तापरक पढ़ाई-लिखाई की सुलभता प्रभावित हुई.
कोरोनावायरस के कारण, पढ़ाई-लिखाई में पहले से ही व्याप्त संकट और ज़्यादा गहरा हो गया, जिसकी वजह से लाखों स्कूली बच्चे बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक कौशल से वंचित हैं.
शिक्षा संकट पर ध्यान केन्द्रित करने और विश्व भर में पढ़ाई-लिखाई प्रक्रिया की कायापलट कर देने के इरादे से, यूनीसेफ़ ने ‘पढ़ाई-लिखाई संकट कक्षा’ स्थापित की है.
यह कक्षा का एक ऐसा मॉडल है, जोकि पढ़ाई-लिखाई में महत्वपूर्ण बुनियादी कौशल में विफल बच्चों के स्तर को दर्शाता है, और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय परिसर में 16-29 सितम्बर तक स्थापित किया गया है.
इस मॉडल के ज़रिये देशों की सरकारों, राष्ट्राध्यक्षों और आगन्तुकों को यह सन्देश देने का प्रयास किया जाएगा कि शिक्षा में विशाल स्तर पर वैश्विक निवेश की तत्काल आवश्यकता है.
मौजूदा दरार
इस मॉडल कक्षा में एक-तिहाई डेस्क को लकड़ी से बनाया गया है और उनका पूरी तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, जिन पर यूनीसेफ़ का बैकपैक और पीछे कुर्सी रखी है.
ये दुनिया भर में 10 वर्ष की उम्र के बच्चों को उस समूह को प्रदर्शित करता है, जोकि एक सरल, लिखित कहानी को पढ़ व समझ सकते हैं.
बाक़ी दो-तिहाई तिहाई डेस्क लगभग अदृश्य सी नज़र आती है और वे उन 64 फ़ीसदी बच्चों को दर्शाती हैं, जोकि 10 वर्ष की आयु में भी एक आसान, लिखित कहानी पढ़ने या समझने में सक्षम नहीं हैं.
अदृश्य सी नज़र आने वालीं ये डेस्क, मौजूदा अल्पकालिक संकट को प्रदर्शित करती हैं, और ये भी कि छात्रों को फलने-फूलने देने के लिये तत्काल कार्रवाई के अभाव में, बेहतरी के अवसर ख़त्म हो जाएंगे.
गुणवत्तापरक शिक्षा में निवेश
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने शिक्षा के मुद्दे पर शिखर बैठक से ठीक पहले, देशों से सभी बच्चों तक गुणवत्तापरक शिक्षा पहुँचाने का संकल्प लेने की पुकार लगाई है.
यूएन एजेंसी का कहना है कि बच्चों का स्कूलों में पंजीकरण करने और उनकी उपस्थिति बनाए रखने के लिये नए सिरे से प्रयासों व निवेश की आवश्यकता होगी.
साथ ही, अधूरी छूट गई पढ़ाई को पूरा करने और नुक़सान की भरपाई करने के उपाय करने होंगे, शिक्षकों को समर्थन देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों के पास पढ़ाई-लिखाई और सीखने-समझने के लिये अनुकूल माहौल हो.
इस क्रम में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने ‘RAPID’ नामक एक पहल को बढ़ावा दिया है, जोकि अन्तरराष्ट्रीय समुदायों के उन प्रयासों को दर्शाती है, जिनके ज़रिये बेहतर शिक्षा को प्रोत्साहन देने और लाखों बच्चों के लिये नई सम्भावनाओं के द्वार खोलने पर केन्द्रित है.
संसाधनों व साहसिक उपायों की पुकार
विश्व भर के 100 से अधिक प्रमुख नेताओं ने एक पत्र लिखकर, वैश्विक शिक्षा संकट से निपटने के लिये, संसाधनों व साहसिक उपायों के लिये प्रतिबद्धता की पुकार लगाई है. इस पत्र में इतिहास में ऐसी पहली पीढ़ी तैयार करने का भी आहवान किया गया है जिसमें हर बच्चे को स्कूली शिक्षा उपलब्ध हो.
यह पत्र लिखने वालों में अनेक देशों के पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और अन्य प्रभावशाली हस्तियाँ शामिल हैं जिनमें कुछ नाम - नाइजीरिया के पूर्व राष्ट्रपति ओलुसगन ओबेसैंजो, यूएनडीपी की पूर्व प्रशासक हैलेन क्लार्क, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव बान की मून शामिल हैं.
इन विश्व हस्तियों ने इस पत्र में रूपान्तरकारी शिक्षा परिवर्तन सम्मेलन से कहा है, "वर्ष 2030 तक सार्वभौमिक शिक्षा उपलब्धता के लक्ष्य से हम इतनी दूर हैं कि अगर हम त्वरित और विशाल पैमाने पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो हम टिकाऊ विकास लक्ष्य -4 पर प्रगति में और पिछड़ जाएंगे..."
इस लक्ष्य में सभी के लिये समावेशी और समान गुणवत्ता शिक्षा सुनिश्चित करने और जीवन पर्यन्त शिक्षा जारी रखने को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है.
इस पत्र पर दस्तख़त करने वाली हस्तियों ने विकासशील देशों और विकसित देशों के दरम्यान एक ऐसे वैश्विक शिक्षा कॉम्पैक्ट का प्रस्ताव पेश किया है जिसमें दानदाताओं की सहायता की उपलब्धता हो. इसमें विकासशील देशों को अपने शिक्षा बजट को सार्वजनिक व्यय के 15 से 20 प्रतिशत और उनकी आय के 4-6 प्रतिशत तक वृद्धि करना शामिल है.
शिक्षा बजट में इस वृद्धि को, राष्ट्रीय कर प्रणालियों में सुधार जैसे घरेलू क़दमों से टिकाऊ सहारा दिया जाए, साथ ही बहुपक्षीय विकास बैंक भी अन्तरराष्ट्रीय विकास सहायता - शिक्षा के लिये 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ाएँ.
पत्र के अनुसार, इन उपायों से, अगले पाँच वर्षों के दौरान, लगभग 20 करोड़ बच्चों के लिये, क़रीब 15 अरब डॉलर की अतिरिक्त रक़म उपलब्ध हो सकेगी.