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UNESCO: 24.4 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित, शिक्षा में बदलाव की पुकार

एक 12 वर्षीय लड़का अफ़ग़ानिस्तान के एक पश्चिमी प्रान्त - उरुज़गान में केले बेचते हुए.
© UNICEF
एक 12 वर्षीय लड़का अफ़ग़ानिस्तान के एक पश्चिमी प्रान्त - उरुज़गान में केले बेचते हुए.

UNESCO: 24.4 करोड़ बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित, शिक्षा में बदलाव की पुकार

संस्कृति और शिक्षा

संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृति संगठन – UNESCO ने गुरूवार को कहा है कि अनेक देशों में स्कूली शिक्षा का नया वर्ष शुरू हो रहा है, मगर शिक्षा की उपलब्धता में मौजूद विषमताएँ, लगभग 24 करोड़ 40 लाख बच्चों को, स्कूली शिक्षा से वंचित रख रही हैं.

यूएन एजेंसी द्वारा गुरूवार को प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार सब सहारा, अब भी ऐसा क्षेत्र बना हुआ है जहाँ, लगभग 9 करोड़ 80 लाख बच्चे, स्कूली शिक्षा से दूर हैं, और यही ऐसा क्षेत्र भी जहाँ स्कूली शिक्षा से बाहर बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

एशिया के मध्य व दक्षिणी क्षेत्र में, स्कूली शिक्षा से बाहर रहने के मजबूर बच्चों की संख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है जहाँ ऐसे बच्चों की संख्या साढ़े 8 करोड़ है.

शैक्षिक लक्ष्य ख़तरे में

यूनेस्को की महानिदेशिका ऑड्रे अज़ूले ने हर बच्चे के शिक्षा प्राप्ति के अधिकार का सम्मान किये जाने की ज़रूरत को रेखांकित करते हुए कहा है, “किसी को भी ये स्थिति स्वीकार्य नहीं हो सकती.”

उन्होंने आगाह करते हुए कहा, “इन परिणामों को देखा जाए तो, संयुक्त राष्ट्र ने सभी के लिये 2030 तक गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्ति का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसे हासिल करने की सम्भावनाओं पर जोखिम मंडरा रहा है.”

“हमें शिक्षा को अन्तरराष्ट्रीय एडेंडा की शीर्ष प्राथमिकता पर रखने के लिये वैश्विक सक्रियता की आवश्यकता है.”

ऑड्री अज़ूले, अपनी ये पुकार, 19 सितम्बर को, यूएन मुख्यालय में होने वाले अति महत्वपूर्ण शिक्षा परिवर्तन सम्मेलन में भी दोहराएंगी.

कैमेरून के दोउआला के एक यूनीसेफ़ समर्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में, शिक्षा हासिल करते कुछ बच्चे.
© UNICEF/Tanya Bindra
कैमेरून के दोउआला के एक यूनीसेफ़ समर्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल में, शिक्षा हासिल करते कुछ बच्चे.

लैंगिक खाई को पाटना

यूनेस्को द्वारा प्रकाशित आँकड़ों में ये सकारात्मक पुष्टि भी की गई है कि दुनिया भर में स्कूली शिक्षा से बाहर रहने वाले लड़कियों और लड़कों के बीच अन्तर समाप्त हो गया है.

वर्ष 2000 में, प्राइमरी स्कूली शिक्षा की उम्र के बच्चों में ये अन्तर 2.5 प्रतिशत था, और सैकंडरी स्कूली शिक्षा के बच्चों में ये अन्तर 3.9 प्रतिशत था.

अब ये अन्तर समाप्त होकर शून्य पर रह गया है, अलबत्ता क्षेत्रीय स्तर पर कुछ अन्तर अब भी मौजूद है.

यूक्रेनी बच्चों पर अब भी अनिश्चितता

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशिका कैथरीन रसैल ने भी गुरूवार को कहा है कि यूक्रेन में इस समय लगभग 40 लाख बच्चों को, एक अनिश्चितता से भरा स्कूली वर्ष शुरू करना पड़ रहा है.

कैथरीन रसैल ने ही में यूक्रेन की तीन दिन की यात्रा पूरी की है, जिस दौरान उन्होंने छात्रों, अभिभावकों और अध्यापकों के साथ भेंट की, जो युद्ध से डरे हुए हैं. ये युद्ध अब सातवें महीने में चल रहा है.

कैथरीन रसैल का कहना था, “बच्चे, अपनी स्कूली शिक्षा के लिये वापसी तो कर रहे हैं – मगर उनमें से बहुत से बच्चे युद्ध से त्रस्त हैं – जहाँ तबाही की दास्तानें फैली हुई हैं, इस बारे में भी अनिश्चितता है कि उनके अध्यापक और मित्र छात्र, क्या उनका स्वागत करने के लिये वहाँ मौजूद होंगे."

"बहुत से माता-पिता और अभिभावक, अपने बच्चों को स्कूल भेजने में झिझक रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा के बारे में ठोस जानकारी नहीं है.”

यूक्रेन में युद्ध से हज़ारों स्कूल युद्ध में तमाब हो गए हैं या फिर क्षतिग्रस्त हुए हैं. देश के कुल स्कूलों में से 60 प्रतिशत से भी कम को, शिक्षा के लिये फिर से खोलने के लिये उपयुक्त समझा गया है.

यूक्रेन के ख़ारकीयेव शहर में, एक 12 वर्षीय लड़की, अपने स्कूल के सामने, जो युद्ध में तबाह हो गया. ये लड़की अब अपनी शिक्षा ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त करती है.
© UNICEF/Ashley Gilbertson
यूक्रेन के ख़ारकीयेव शहर में, एक 12 वर्षीय लड़की, अपने स्कूल के सामने, जो युद्ध में तबाह हो गया. ये लड़की अब अपनी शिक्षा ऑनलाइन माध्यमों से प्राप्त करती है.