शरणार्थी बच्चों की शिक्षा मुहिम को, फ़ार्मूला वन चैम्पियन सर लुईस हैमिल्टन का समर्थन

फ़ार्मूला वन रेस ड्राइवर सर लुईस हैमिल्टन ने सभी शरणार्थी बच्चों व युवजन को पूर्ण रूप से गुणवत्तापरक शिक्षा मुहैया कराए जाने की, संयुक्त राष्ट्र की पुकार को अपना समर्थन दिया है. सात बार के विश्व चैम्पियन ने यूएन शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) की एक प्रमुख रिपोर्ट को जारी करने में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिसमें शरणार्थी बच्चों के लिये अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है.
Nobody should be excluded from an education because of who they are or where they come from.Yet it's a heartbreaking reality for millions of young refugees. Thank you @LewisHamilton for taking a stand in our 2022 Education Report: https://t.co/050Z1VmOBT #RightToLearn pic.twitter.com/699ypUvBGf
Refugees
‘All Inclusive: The Campaign for Refugee Education’ नामक रिपोर्ट में 40 से अधिक देशों से आँकड़े जुटाए गए हैं, जोकि ग़ैर-शरणार्थियों की तुलना में शरणार्थियों को प्रदान की जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता में व्यथित कर देने वाली विसंगति को रेखांकित करती है.
रिपोर्ट के अनुसार, 2020-2021 अकादमिक वर्ष में, प्राथमिक स्कूलों में शरणार्थी बच्चों के पंजीकरण की औसत दर 68 प्रतिशत आँकी गई है.
मगर, माध्यमिक स्तर पर पंजीकरण दर घटकर 37 प्रतिशत तक रह जाती है, और इस स्तर पर अतीत में भी शरणार्थियों ने चुनौतियों का सामना किया है.
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के सम्बन्ध में बेहतर परिस्थितियाँ नज़र आई हैं, और पिछले कुछ वर्षों में शरणार्थियों के पंजीकरण में 5 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.
इसके मद्देनज़र, यूएन शरणार्थी एजेंसी को आशा बंधी है कि तृतीयक स्तर पर पंजीकरण को, वर्ष 2030 तक 15 फ़ीसदी पर ले जा पाना सम्भव होगा.
यूएन एजेंसी की वार्षिक शिक्षा रिपोर्ट एक ऐसे समय में प्रकाशित की गई है, जब विश्व नेता यूएन महासभा के सत्र के दौरान शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव के लिये शिखर बैठक में पढ़ाई-लिखाई के भविष्य पर चर्चा के लिये तैयार हो रहे हैं.
सर लुईस, शिक्षा और मोटर गाड़ी से जुड़े खेलों में ज़्यादा समानता, निष्पक्षता और विविधता के लिये प्रयासरत रहे हैं.
उन्होंने कहा कि शरणार्थी बच्चों और युवजन को राष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों में शामिल किये जाने की मुहिम में अपना समर्थन देने पर वह गौर्वान्वित महसूस कर रहे हैं.
सर लुईस ने रिपोर्ट में कहा, “शिक्षा ना केवल लोगों के क्षितिज में विस्तार करती है और उन्हें ऐसे अवसर प्रदान करती है, जिन्हें पाने का वो सपना भी नहीं देख सकते हैं. यह व्यवस्थागत अन्याय के क्षति पहुँचाने वाले प्रभावों से निपटती है.”
इस मुहिम में सूडान, यूक्रेन, केनया और म्याँमार के युवा शरणार्थियों की कहानियाँ साझा की गई हैं कि उन्होंने किस तरह तमाम व्यवधानों, जबरन विस्थापन और नए हालात में स्वयं को ढालने की चुनौतियों से जूझते हुए अपनी शिक्षा जारी रखी है.
शरणार्थी मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने रिपोर्ट में लिखा है कि अनेक देशों ने राष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों में शरणार्थियों को शामिल करने की दिशा में ठोस प्रगति दर्ज की है.
उन्होंने लाखों शरणार्थी बच्चों के लिये वास्तविकता को बयान करते हुए कहा कि प्रतिभा, सार्वभौमिक है मगर अवसर नहीं हैं, और इनके बीच की दूरी को पाटने की ज़रूरत है, और राष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों में शरणार्थियों के समावेशन का आग्रह किया है.
इस क्रम में, शिक्षकों के लिये प्रशिक्षण और वेतन, नए बुनियादी ढाँचे, पर्याप्त व प्रासंगिक पाठ्यक्रम सामग्री, स्कूल आने-जाने की सुविधा, परीक्षाओं व प्रमाण पत्र की सुलभता को सुनिश्चित किया जाना होगा.
साथ ही, डिजिटल खाई को भी दूर किया जाना होगा, जिससे आम तौर पर शरणार्थी अधिक प्रभावित होते हैं.