मैडागास्कर: 13 लाख लोग गम्भीर भुखमरी के कगार पर, दुनिया नज़रें नहीं फेर सकती
मैडागास्कर में संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष सहायता अधिकारी इस्सा सनोगो ने कहा है कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को देश की मदद करने के लिये प्रयास तेज़ करने होंगे जहाँ 10 लाख से भी ज़्यादा लोग अत्यन्त गम्भीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं.
उन्होंने कहा है कि देश में पिछले 40 वर्षों में पड़े सबसे भीषण सूखे, रेतीले तूफ़ानों और कीटों के प्रकोप ने, अनेक हिस्सों में लोगों के लिये, खाद्य उत्पादन लगभग असम्भव बना दिया है, और ऐसा क़रीब तीन वर्षों से हो रहा है.
“दुनिया अपनी नज़रें नहीं फेर सकती. मैडागास्कर के लोगों को हमारी मदद की अभी ज़रूरत है, और भविष्य के लिये भी होगी.”
धन की अभी ज़रूरत
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने हाल ही में चेतावनी देते हुए कहा था कि मैडागास्कर के दक्षिणी हिस्से में स्थिति, जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न बिल्कुल पहले अकाल की स्थिति का रूप भी ले सकती है.
संयुक्त राष्ट्र और उसके साझीदार संगठनों ने, मैडागास्कर में अपने सहायता अभियान, मई 2022 तक जारी रखने के लिये, 23 करोड़ 10 लाख डॉलर की रक़म जुटाने की अपील जारी की हुई है.
इस अपील के जवाब में अभी तक लगभग 12 करोड़ डॉलर की रक़म प्राप्त हो चुकी है, मगर यूएन मानवीय सहायता मामलों की एजेंसी OCHA का कहना है कि आने वाले महीनों के दौरान भोजन, पानी, स्वास्थ्य सेवाएँ और जीवन रक्षक पोषण उपचार मुहैया कराने के लिये, और ज़्यादा धन की तुरन्त आवश्यकता है.
कैक्टस और टिड्डियाँ खाकर गुज़ारा
सूखा के कारण, 13 लाख से ज़्यादा लोग, गम्भीर भुखमरी का सामना कर रहे हैं जिनमें लगभग 30 हज़ार लोग ऐसे भी हैं जो जीवन को ही ख़तरे में डालने वाले अकाल जैसे हालात से दो-चार हैं.
सहायता अधिकारी इस्सा सनोगो ने कहा, “महिलाओं, बच्चों और परिवारों को, जीवित रहने के लिये, कैक्टस और टिड्डियाँ खाकर गुज़ारा करना पड़ रहा है, और पाँच लाख से ज़्यादा बच्चे गम्भीर कुपोषण का शिकार हैं.”
“ये सब एक ऐसे देश और क्षेत्र में हो रहा है, जो जलवायु परिवर्तन के लिये बहुत कम ज़िम्मेदार है.”
इस संकट के कारण बहुत से परिवारों को अपने बच्चों को स्कूली शिक्षा से रोकना पड़ा है, ताकि वो खाद्य सामग्री और पानी का इन्तेज़ाम करने के कार्यों में मदद कर सकें.
लिंग आधारित हिंसा और बाल दुर्व्यवहार भी बढ़े हैं और बहुत से लोग अपने लिये बेहतर हालात व सेवाओं की खोज में, ग्रामीण इलाक़ों से विस्थापित हो कर शहरी इलाक़ों में पहुँचे हैं.