FAO: सूडान में किसानों को मदद में तेज़ी, पूर्वी अफ़्रीका में भुखमरी का जोखिम
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने सोमवार को कहा है कि वो सूडान में अपने सहायता अभियान तेज़ कर रहा है जहाँ लगभग एक करोड़ 9 लाख लोगों, यानि कुल आबादी के क़रीब 30 प्रतिशत हिस्से को, इस वर्ष जीवनरक्षक सहायता की ज़रूरत होगी. ये संख्या पिछले एक दशक में सबसे ज़्यादा है.
देश में सशस्त्र संघर्ष, सूखा, कोविड-19 महामारी, फ़सलों में कीड़े व बीमारियाँ लगने के कारण कम उपज, और आर्थिक उथल-पुथल के कारण, खाद्य असुरक्षा आसमान छू रही है.
.@UNCERF's largest allocation of funds to @FAO comes at a critical time.Thanks to this generous contribution, we will provide agricultural assistance to vulnerable farming and pastoral households affected by multiple shocks in the Sudan.#InvestInHumanity pic.twitter.com/yUrQmyFeUS
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यूक्रेन में संघर्ष के कारण भी सूडान में हालात और अधिक बदतर होने की आशंका है.
आवश्यकताओं की पूर्ति
एजेंसी ने देश की सर्वाधिक प्रभावित 14 प्रशासनिक इकाइयों में हज़ारों कृषि व ग्रामीण समुदायों के लिये, आपदा कृषि व मवेशियों की मदद मुहैया कराने वाली एक परियोजना के लिये, संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत कोष (CERF) से एक करोड़ 20 लाख डॉलर की मदद का स्वागत किया है.
यूएन खाद्य व कृषि संगठन के सूडान में प्रतिनिधि बाबागाना अहमदू का कहना है, “यूएन आपदा राहत कोष से इस उदार योगदान का मतलब है कि ये संगठन कमज़ोर कृषि हालात वाले परिवारों को, जून में मुख्य कृषि मौसम शुरू होने से पहले, खेतीबाड़ी की अहम सहायता मुहैया करा सकता है.”
“इससे ये सुनिश्चित होगा कि वो परिवार आने वाले महीनों में अपने लिये आवश्यकता अनुसार प्रचुर मात्रा में भोजन का प्रबन्ध कर सकेंगे.”
इस परियोजना के तहत एक लाख 80 हज़ार परिवारों तक मदद पहुँचाई जाएगी जिनमें लगभग नौ लाख लोग शामिल हैं और ये बेहद कमज़ोर हालात वाले कृषि व ग्रामीण समुदाय हैं, और इनमें देश के भीतर ही विस्थापित लोग, शरणार्थी और विस्थापन से वापिस लौटे लोग भी शामिल हैं.
सहायता पर निर्भरता कम करना
यूएन खाद्य व कृषि एजेंसी का कहना है कि सूडान की लगभग दो-तिहाई आबादी ग्रामीण इलाक़ों में बसती है इसलिये छोटे किसानों को कृषि सहायता उपलब्ध कराना, मानवीय सहायता कार्रवाई के लिये अहम है.
इस परियोजना में कृषि व मवेशी सहायता शामिल है, जिसका उद्देश्य आपात खाद्य सहायता पर निर्भरता को तेज़ी से कम करना और मध्यम व दीर्घकालीन पुनर्बहाली के लिये आधार मुहैया कराना है.
यूक्रेन युद्ध का प्रभाव
खाद्य व कृषि संगठन का कहना है कि सूडान में लाखों लोगों के लिये स्थिति बहुत स्याह नज़र आ रही है. यूक्रेन युद्ध के कारण, खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में और ज़्यादा उछाल हो रहा है, और देश काले सागर क्षेत्र से होने वाले गेहूँ आयात पर निर्भर है.
सूडान के लिये अनाज की आपूर्ति में व्यवधान होने से, गेहूँ का आयात करना और भी अधिक कठिन व महंगा हो जाएगा.
इसके अतिरिक्त, वैश्विक बाज़ार में उर्वरकों की उच्च क़ीमतों के कारण, आयात प्रभावित होंगे, और अन्ततः कृषि उत्पादन भी प्रभावित होगा.
पूर्वी अफ़्रीका में भुखमरी का जोखिम
इस बीच यूएन एजेंसियों और उनके साझीदारों ने पूर्वी अफ़्रीका में बारिश के चार मौसम सूखे रह जाने के कारण, भुखमरी के बढ़ते जोखिम का सामना करने के लिये, सहायता कार्रवाई तेज़ करने की पुकार लगाई है.
सोमालिया, केनया और इथियोपिया के अनेक इलाक़े सूखे से प्रभावित हैं और पिछले 40 वर्षों में सबसे बदतर हालात होने की आशंका है, और पूरी स्थिति बहुत ख़राब होने वाली है.
खाद्य और कृषि संगठन ने अपने 14 साझीदारों की तरफ़ से सोमवार को जारी एक वक्तव्य में ये चेतावनी दी है जिसमें मौसम विज्ञान एजेंसियाँ और मानवीय सहायता संगठन भी शामिल हैं.
इन एजेंसियों का कहना है कि इस क्षेत्र में इस समय, लगभग 1 करोड़ 67 लाख लोगों के सामने अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा दरपेश है और सितम्बर तक यह संख्या बढ़कर 2 करोड़ हो जाने की सम्भावना है.
विनाश और विस्थापन
इस वर्ष मार्च से मई के बीच रहने वाला बारिश का मौसम, रिकॉर्ड पर सबसे ज़्यादा सूखा रहने की सम्भावना है, जिसने आजीविकाएँ तबाह कर दी हैं और खाद्य, जल, व पोषण असुरक्षा में भी बढ़ोत्तरी कर दी है.
सोमालिया और इथियोपिया के दक्षिणी इलाक़ों में दस लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं, जबकि केनया व इथियोपिया मे अनुमानतः 36 लाख मवेशियों की मौत हो गई है.
इससे भी ज़्यादा सोमालिया के सर्वाधिक प्रभावित इलाक़ों में, 2021 के मध्य से, 3 में से 1 मवेशी लुप्त हो चुके हैं.
एजेंसियों का कहना है कि नवीनतम मौसमी अनुमानों से संकेत मिलते हैं कि अक्टूबर से दिसम्बर के बीच वाला बारिश का मौसम भी सूखा रह सकता है.
एजेंसियों के अनुसार, “अगर ये अनुमान सही साबित होते हैं तो क्षेत्र में पहले से ही गम्भीर मानवीय आपदा स्थिति, और भी बदतर होगी.”