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दुनिया की प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक, महबूबा सेराज, काबुल में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन के साथ, मानवीय संकट के लिये महिला-केन्द्रित कार्रवाई लागू करने के मुद्दे पर आयोजित एक बैठक में भाग लेते हुए.

आपबीती: 'हम ही उम्मीद हैं, और हम ही अफ़ग़ानिस्तान को एकजुट रखने वाली शक्ति हैं’

UN Women/Olguta Anghel
दुनिया की प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक, महबूबा सेराज, काबुल में संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन के साथ, मानवीय संकट के लिये महिला-केन्द्रित कार्रवाई लागू करने के मुद्दे पर आयोजित एक बैठक में भाग लेते हुए.

आपबीती: 'हम ही उम्मीद हैं, और हम ही अफ़ग़ानिस्तान को एकजुट रखने वाली शक्ति हैं’

महिलाएँ

विश्व की प्रमुख महिला अधिकार कार्यकर्ताओं में से एक महबूबा सेराज ने अफ़ग़ानिस्तान में अगस्त 2021 में तालेबान के अधिग्रहण के बाद, देश के हालात पर नज़र रखने व समाज कल्याण के लिये काम करने हेतु, देश में बसे रहने का फ़ैसला किया.

“शुरुआती रातें और दिन विशेष रूप से भयानक थे. अफ़ग़ानिस्तान में अफ़रा-तफ़री मची थी — लोग इधर-उधर भाग रहे थे; कार्यालय बन्द हो रहे थे. यह सब मेरी आँखों के सामने हो रहा था.

जिस लोकतंत्र के लिये हमने 20 साल से अधिक समय तक काम किया था, वो, 24 घण्टे में ही चरमरा गया. मेरे दिल में सबसे पहले यही ख़याल आया कि अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं का अब क्या होगा? हम क्या करेंगे? 15 अगस्त वह दिन था जब अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं को इनसान समझना बन्द कर दिया गया,  वो दिन, जब हमें स्पष्ट हो गया कि अब देश में कहीं भी महिलाधिकारों के लिये कोई जगह नहीं है.

मुझे अपने जीवन में एक बार,1978 में, अपना देश छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा था. उस समय मेरी कम थी, मेरे अन्दर बहुत ऊर्जा थी और मैं अफ़ग़ानिस्तान में रहना चाहती थी; लेकिन सत्ता की ताक़तों के कारण मुझे घर छोड़ना पड़ा. इस बार, अलग हालात थे - अब, मैं एक अफ़ग़ान अमेरिकी नागरिक हूँ. मुझे लगा कि यह अफ़ग़ानिस्तान से चले जाने, अपनी बहनों को बेसहारा छोड़ने, उन सभी को छोड़ने का समय नहीं है जिन्हें मैं प्यार करती हूँ, जिनकी मैं परवाह करती हूँ. मुझे पता था कि उनके पास और कुछ नहीं है. मैंने सोचा था कि मेरी मौजूदगी से उन्हें ताक़त मिलेगी—इसलिये मैंने यहीं रुकने का फ़ैसला किया; मैंने फ़ैसला किया कि दोबारा विस्थापित नहीं होंगी.

'यह दौर भी गुज़र जाएगा'

अपने जीवन में, मैं हमेशा साक्षी बनना चाहती थी - अफ़ग़ानिस्तान का बहुत सारा इतिहास मेरी आँखों के सामने बना. मैं 74 वर्ष की हूँ; मैंने सौन्दर्य व आपदाएँ, उपलब्धियाँ एवं विनाश, और इन सबके बीच सब कुछ देखा है. मैं यहाँ रहकर सभी को याद दिलाना चाहती थी कि इतिहास के हर क्षण की तरह यह समय भी बीत जाएगा.

अफ़ग़ान महिलाओं की ज़िन्दगियों में 180 डिग्री का बदलाव आया है. जिस लोकतंत्र के लिये हमने कड़ी मेहनत की थी, वह ग़ायब हो गया. साथ ही, अपने देश के लिये अफ़ग़ान महिलाओं के रूप में हमने जो काम किया, वह भी ग़ायब हो गया. अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं का अस्तित्व ही ख़त्म हो गया - वो समाज के हिस्से के रूप में, कामकाज में, जीवन के हर पहलू का हिस्सा बनने से वंचित हो गईं – डॉक्टर, न्यायाधीश, नर्स, इंजीनियर, कार्यालयों का संचालन करने वाली महिलाओं का वजूद ही समाप्त कर दिया गया. उनके पास जो कुछ भी था, यहाँ तक कि हाई स्कूल में दाख़िला लेने का बुनियादी अधिकार भी उनसे छीन लिया गया. इससे मुझे तो यही संकेत मिलता है कि वे चाहते ही नहीं कि हमारा वजूद रहे. हमारे भाई हमारी मदद नहीं कर रहे हैं; हम अकेले रह गए हैं और हो यह रहा है कि हम विलुप्त होते जा रहे हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में, मौजूदा मानवीय संकट से, महिलाएँ व बच्चे, सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.
UNAMA/Shamsuddin Hamedi
अफ़ग़ानिस्तान में, मौजूदा मानवीय संकट से, महिलाएँ व बच्चे, सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं.

'हमारा अस्तित्व है, और हम यहाँ मौजूद हैं'

अफ़ग़ान महिलाएँ, दुनिया की सबसे अधिक साधन सम्पन्न और मज़बूत महिलाएँ हैं: उनकी सहनसक्षमता अटूट है. लेकिन बहुत काम किया जाता है, और फिर हर बार हमें फिर शून्य से शुरू करना पड़ता है- और इससे हम पूरी तरह पस्त हो चुके हैं. लेकिन जो ज़रूरी है वो तो करना ही होगा, और हम वो करेंगे.

केवल इसलिये कि वो नहीं चाहते कि हमारा अस्तित्व रहे, क्या हम रुक जाएंगे, क्योंकि हम हैं, और हम यहीं हैं. जो कुछ भी हमसे हो सकेगा, हम करेंगे. पूरा विश्व हमारे समर्थन में खड़ा है - दुनिया ने अभी हमारा साथ नहीं छोड़ा है. हमें मदद मिल रही है: उदाहरण के लिये, संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन, काबुल में एक केन्द्र चलाने के लिये हमारी मदद कर रही है. प्रवासी अफ़ग़ान महिलाएँ मदद के लिये आगे आ रही हैं; दुनिया भर से महिला मित्र हमारी मदद कर रही हैं.

अफ़ग़ानिस्तान में हर एक महिला कुछ असाधारण कर रही है— केवल जीवित रहकर, अपने परिवार का भरण पोषण करके और इस उम्मीद को बनाए रखकर कि शायद, एक दिन उनके लिये सब कुछ ठीक हो जाएगा. मैं हर एक अफ़ग़ान महिला से प्रभावित हूँ: वे जो देश के अन्दर हैं, और जो देश के बाहर हैं, जिनके दिल टूट गए हैं, और जो काम करते हुए दिन-रात रोती हैं कि जो कुछ उन्होंने बनाया, और जिस सबके लिये हम लड़े, वह दिन-ब-दिन ध्वस्त होता जा रहा है.

दुनिया को हमें अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के रूप में देखना चाहिये, न कि कहीं के दूसरे दर्जे की नागरिक के रूप में. हम एक ऐसे देश की महिलाएँ हैं जिनके साथ बहुत ग़लत किया गया है. दुनिया हमें जानती है. पिछले 20 सालों में हमने दुनिया के समाने साबित किया है कि हम कौन हैं. हमें दोबारा खड़े होने में मदद करें. हममें से जो अफ़ग़ानिस्तान में हैं, वो हमें अफ़ग़ानिस्तान में खड़े होने में मदद करें. हममें से जो अब अफ़ग़ानिस्तान में नहीं रह सकते, हमें बाहर निकलने में मदद करें, ताकि हम अपने देश के बाहर जाकर उसके लिये खड़े हो सकें. दुनिया को यह नहीं सोचना चाहिये कि हम उनके टुकड़ों पर पल रहे हैं - हमारे पीछे खड़े हों, हमारे साथ, और देखें कि हम क्या-कुछ कर सकते हैं.

हमें वो सम्मान दो जिसकी हम हक़दार हैं

हम उम्मीद हैं, हम अफ़ग़ानिस्तान को एकजुट रखने की शक्ति हैं. दुनिया को हमें वह सम्मान देना चाहिये जिसकी हम वास्तव में हक़दार हैं. हम अपना हाथ आगे बढ़ा रहे हैं और हम आपसे अपनी मदद करने की गुहार लगा रहे हैं.

एक समय था, जब दुनिया अंधकारमय व बुरी स्थिति में पहुँच गई थी, जब लगा था कि सूरज फिर कभी नहीं उगेगा. लेकिन तहे दिल से मेरा यह मानना है कि कुछ भी सदैव नहीं रहता. मैं अभी आशान्वित हूँ, होना भी चाहिये. मुझे उम्मीद है एक बेहतर अफ़ग़ानिस्तान की, एक ऐसा अफ़ग़ानिस्तान जो अपने लोगों का हो, हम सभी का हो.

एक बात है मैं बहुत स्पष्ट करना चाहती हूँ: अफ़ग़ानिस्तान की महिलाओं के साथ जो हो रहा है वह कहीं भी हो सकता है. अमेरिका के Roe v. Wade मामले में न्यायालय के हाल के निर्णय ने, महिलाओं का उनके शरीर पर अधिकार छीनकर, वर्षों की प्रगति को नष्ट कर दिया. महिलाओं के अधिकार उनसे हर जगह छीने जा रहे हैं और अगर हम नहीं संभले, तो यह दुनिया की सभी महिलाओं के साथ होगा.

एक दिन मैं दुनिया में नहीं रहूँगी, लेकिन मुझे उम्मीद है कि दुनिया भर की युवा बहादुर महिलाएँ मेरी कहानी सुनाएंगी और आने वाली कई सदियों तक, महिलाओं की ऐसी पीढ़ियों का निर्माण करेंगी, जो अपनी आवाज़ बुलन्द कर सकें, ठीक वैसे ही, जैसे मैंने की है.

अफ़ग़ानिस्तान में UNWOMEN

•    संयुक्त राष्ट्र महिला संस्था, यूएनवीमेन, अफ़ग़ानिस्तान में ज़मीन पर काम कर रही है, और हर दिन अफ़ग़ान महिलाओं और लड़कियों की मदद करने के लिये प्रयासरत है.
•    देश में एजेंसी की रणनीति, महिलाओं में निवेश के इर्द-गिर्द घूमती है — जिन प्रान्तों में उन्होंने पहले कभी काम नहीं किया, वहाँ हिंसा पीड़ित महिलाओं के लिये समर्थन बढ़ाने से लेकर, आवश्यक सेवाओं के वितरण में महिला मानवीय कार्यकर्ताओं की मदद करने और महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिये प्रारम्भिक पूंजी प्रदान करने तक.
•    अफ़ग़ान महिला आन्दोलन बहाल करने का लक्ष्य, एजेंसी के काम का केन्द्र बिन्दु रहा है.

अफ़ग़ानिस्तान में  UN Women की कार्रवाई और तालेबान के अधिग्रहण के एक साल बाद, देश में महिलाओं की स्थिति के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये यहाँ क्लिक करें.