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रोगाणुरोधी प्रतिरोध की 'मौन महामारी' से निपटने के लिये अधिक टीके विकसित करने की ज़रूरत: WHO

मायकोबैक्टीरियम टीबी बैक्टीरिया का एक कल्पना चित्र. इस बैक्टीरिया पर एंटीबॉयोटिक दवाओं का असर नहीं होता.
CDC/Alissa Eckert, James Archer
मायकोबैक्टीरियम टीबी बैक्टीरिया का एक कल्पना चित्र. इस बैक्टीरिया पर एंटीबॉयोटिक दवाओं का असर नहीं होता.

रोगाणुरोधी प्रतिरोध की 'मौन महामारी' से निपटने के लिये अधिक टीके विकसित करने की ज़रूरत: WHO

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंगलवार को कहा है कि एण्टीमाइक्रोबियल-प्रतिरोधक रोगजनक बैक्टीरिया (AMR) से निपटने के लिये अधिक टीके विकसित किये जाने चाहिये और साथ ही, सभी देशों को उपलब्ध टीकों का बेहतर इस्तेमाल करने की ज़रूरत है. 

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने वर्तमान में विकसित किये जा रहे टीकों पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी की है, जो आगे के निवेश और अनुसंधान का मार्गदर्शन करने के लिये तैयार है.

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रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ रूप बदलते हैं और उनपर दवाओं का असर होना बन्द हो जाता है, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है एवं बीमारी फैलने, गम्भीर रोग व मृत्यु का ख़तरा बढ़ जाता है.

लाखों मौतें

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि यह "मौन महामारी" एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिन्ता है, जो बढ़ती जा रही है.

प्रतिरोधी जीवाणु संक्रमण, सालाना लगभग 50 लाख मौतों से जुड़ा है, और 12 लाख से अधिक मौतों के लिये सीधे तौर पर एएमआर को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है.

रिपोर्ट में 61 वैक्सीन उम्मीदवारों की पहचान की गई है, जिनमें अनेक ऐसी हैं जो विकास के अन्तिम चरण में हैं, हालाँकि इनमें से अधिकतर अभी शीघ्र ही उपलब्ध नहीं होंगी.

रोगाणुरोधी प्रतिरोध के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहायक महानिदेशक, डॉक्टर हनान बाल्ख़ी ने कहा कि टीकाकरण के ज़रिये संक्रमण की रोकथाम करने से, एण्टीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कम हो जाता है, जो एएमआर के मुख्य चालकों में से एक है.

समान पहुँच

हालाँकि, एएमआर के कारण होने वाली मौतों के लिये ज़िम्मेदार शीर्ष छह जीवाणु रोगजनकों में से केवल एक - न्यूमोकोकल रोग - के लिये ही अभी टीका उपलब्ध है.
 
उन्होंने कहा, "जीवन बचाने और एएमआर की रोकथाम के लिये, न्यूमोकोकस के जीवन रक्षक टीके जैसे टीकों तक सस्ती और न्यायसंगत पहुँच हासिल करने की तत्काल आवश्यकता है." 

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने पहले से मौजूद टीकों के लिये समान और वैश्विक पहुँच उपलब्ध करवाने का भी आहवान किया है, ख़ासतौर पर चार प्राथमिक जीवाणु रोगजनकों के ख़िलाफ़, जिनमें न्यूमोकोकल रोग, तपेदिक और टायफ़ाइड बुख़ार शामिल हैं.

महामारी से सीख

एजेंसी के एएमआर वैश्विक समन्वय विभाग के निदेशक, डॉक्टर हैलेयसस गेटाहुन ने कहा, “विकसित किये जा रहे इन टीकों को समर्थन देने और उनके विकास में तेज़ी लाने के लिये बाधक तरीक़ों की आवश्यकता है. कोविड-19 वैक्सीन और एमआरएनए टीके के विकसित करने के दौरान मिले सबक, बैक्टीरिया के ख़िलाफ़ टीके विकसित करने के अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं.”
 
रिपोर्ट में वैक्सीन नवाचार और विकास के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है, जिनमें अस्पताल से मिले संक्रमणों से जुड़े रोगजनकों की समस्या भी शामिल है.

उल्लेखित मुद्दों में, अस्पताल में भर्ती सभी रोगियों के बीच लक्षित आबादी को परिभाषित करने में कठिनाई, वैक्सीन प्रभावकारिता परीक्षणों की लागत और जटिलता, व संक्रमण के ख़िलाफ़ टीकों के लिये नियामक या नीतिगत उदाहरणों की कमी शामिल है.

WHO की टीकाकरण और जैविक विभाग की निदेशक, डॉक्टर केट ओ'ब्रायन ने कहा, "वैक्सीन विकास महंगी प्रक्रिया है, और अक्सर उच्च विफलता दर, और सफल उम्मीदवारों के लिये जटिल नियामक व विनिर्माण आवश्यकताओं के कारण, अधिक समय की आवश्यकता की वजह से, वैज्ञानिक रूप से चुनौतीपूर्ण है."

"हमें कोविड वैक्सीन के विकास के दौरान मिले सबकों से लाभ उठाना चाहिये और AMR से निपटने के लिये टीकों की खोज में तेज़ी लानी होगी.”