मध्य पूर्व: बढ़ती हिंसा से अनेक फ़लस्तीनी और इसराइली लोग हताहत
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड ने सोमवार को सुरक्षा परिषद को बताया है कि क्षेत्र में उच्च स्तर की हिंसा के कारण, अनेक फ़लस्तीनी और इसराइली लोग हताहत हुए हैं और केवल यथास्थिति बनाए रखने से, एक टिकाऊ समाधान की तलाश के रास्ते में कोई मदद नहीं मिल रही है.
टॉर वैनेसलैण्ड ने येरूशेलम से वीडियो कान्फ्रेंस के ज़रिये बात करते हुए, लगातार जारी प्रदर्शनों और झड़पों, फ़लस्तीनी क्षेत्रों में बसाई गई यहूदी बस्तियों में रहने वाले लोगों से सम्बन्धित हिंसा; और ग़ाज़ा से इसराइल में रॉकेट दागे जाने पर चिन्ता व्यक्त की, जोकि कई महीनों में पहली बार दागे गए हैं; और इसे उन्होंने फ़लस्तीनी पक्ष में भंगुरता का चिन्ताजनक संकेत क़रार दिया.
"Managing the conflict in perpetuity is not a viable option. There is no substitute for a legitimate political process that will resolve the core issues driving the conflict," #UN Envoy @TWennesland to members of the #SecurityCouncilFull briefing: https://t.co/fDYmFECEcc
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उन्होंने कहा, “बढ़ती हिंसा को और ज़्यादा ईंधन, उकसाने वाले क़दमों और भड़काऊ बयानबाज़ी से मिला है जिससे उसमें तेज़ी आई है.”
उन्होंने तनाव कम करने और ऐसे नकारात्मक रुझानों को पलटने के लिये तत्काल क़दम उठाए जाने की पुकार लगाई, जिनसे संघर्ष के एक शान्तिपूर्ण – दो देशों के रूप में समाधान की सम्भावनाएँ कमज़ोर होती हैं.
वरिष्ठ दूत ने कुछ विशिष्ट घटनाओं का भी ज़िक्र किया जिनमें दो फ़लस्तीनी लोगों, 16 वर्षीय लड़के और फ़लस्तीनी क्षेत्रों में बसी यहूदी बस्तियों में रहने वाले एक इसराइली व्यक्ति की मौत के मामले शामिल थे.
प्रमुख बिन्दु
विशेष दूत टॉर वैनेसलैण्ड ने राजदूतों को फ़लस्तीनी इलाक़ों में यहूदी बस्तियों में हो रही गतिविधियों और फ़लस्तीनी लोगों के घरों व इमारतों को इसराइली अधिकारियों द्वारा क़ब्ज़े में लिये जाने के साथ-साथ, अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषित मानवीय सहायता परियोजनाओं के बारे में ताज़ा जानकारी मुहैया कराई.
उन्होंने याद दिलाया कि इसराइल सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन किया है और देश से, घरों, इमारतों को क़ब्ज़े में लिये जाने व उन्हें ध्वस्त किये जाने की गतिविधियों को रोकने की पुकार भी लगाई.
विशेष दूत ने कहा कि वो आम लोगों के ख़िलाफ़ जारी हिंसा पर गम्भीर रूप से चिन्तित हैं, और उन्होंने इसे तुरन्त रोके जाने और ज़िम्मेदार तत्वों की जवाबदेही निर्धारित किये जाने का आग्रह भी किया.
उन्होंने हाल ही में, फ़लस्तीनियों व अरब-इसराइलियों द्वारा इसराइल में आम लोगों पर किये गए अनुचित हमलों को, “हाल के वर्षों में बेहद घातक” क़रार देते हुए ज़ोर दिया कि उन हमलों को सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप में रद्द किया जाना चाहिये.
टॉर बैनेसलैण्ड ने कहा, “मैं इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा फ़लस्तीनी लोगों की मौतों की भी निन्दा करता हूँ जिनमें बच्चे भी हैं, विशेष रूप से तब जब वो लोग किसी के जीवन को कोई तत्काल ख़तरा पेश नहीं कर रहे थे.”
उन्होंने बताया कि इस वर्ष पश्चिमी तट में 15 फ़लस्तीनी बच्चे मारे गए हैं, जबकि वर्ष 2021 में इसी अवधि में 9 बच्चों की मौत हुई थी.
उन्होंने दोहराते हुए कहा कि सुरक्षा बलों को अधिकतम संयम बरतना होगा, और घातक बल प्रयोग केवल ज़िन्दगी की हिफ़ाज़त के लिये ही किया जाए.
उन्होंने अल जज़ीरा की दिवंगत पत्रकार शिरीन अबू अकलेह की, घातक गोली लगने से हुई मौत का सन्दर्भ दिया और, शिरीन के अन्तिम संस्कार (जनाज़े में) कुछ इसराइली सुरक्षा बलों के व्यथित बर्ताव की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया, और वरिष्ठ पत्रकार की हत्या की एक स्वतंत्र व पारदर्शी जाँच कराने और ज़िम्मेदारों की जवाबदेही निर्धारित किये जाने की यूएन प्रमुख की पुकार दोहराई.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “पत्रकार कभी भी हिंसा का निशाना नहीं होने चाहिये.”
राजनैतिक भंगुरता
मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड ने आगाह करते हुए कहा कि संघर्ष के कारकों के लगातार जारी रहने और स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने के लिये राजनैतिक इच्छाशक्ति की अनुपस्थिति की वजह से, अतिवादी तत्व ताक़तवर हुए हैं और फ़लस्तीनियों व इसराइलियों के बीच इन अवधारणाओं को कमज़ोर कर रहे हैं कि कभी टिकाऊ शान्ति भी हासिल हो सकेगी!
उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में फ़लस्तीनी लोगों की ज़िन्दगियों को बेहतर बनाया जाना बेहद ज़रूरी है, साथ ही इसराइल को ग़ाज़ा पर लगाए गए प्रतिबन्धों को ढीला करना होगा व ज़्यादा आर्थिक गतिविधियों के लिये आसानी पैदा करनी होगी, मसलन ग़ाज़ा के श्रमिकों के लिये, इसराइली श्रम बाज़ार तक पहुँच सम्भव बनाना.
टॉर वैनेसलैण्ड ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि एक ऐसी वैध राजनैतिक प्रक्रिया का कोई विकल्प नहीं है जिसके ज़रिये, संघर्ष भड़काने वाले मूलभूत मुद्दों का कोई हल निकाला जा सके.
“मैं इसरालियों, फ़लस्तीनियों, क्षेत्रीय देशों और वृहत्तर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से ऐसे क़दम उठाने का आग्रह करता हूँ, जिनसे पक्षों को सार्थक बातचीत की तरफ़ जाने वाले रास्ता अपनाने के लिये आसानियाँ बनें, और अन्ततः शान्ति हासिल हो.”
धन चिन्ताएँ
विशेष संयोजक के अनुसार फ़लस्तीनी प्राधिकरण के वित्तीय संकट – जो इसराइली क़ब्ज़े की सीमितताओं के कारण और ज़्यादा जटिल हो गए हैं, गम्भीर फ़लस्तीनी सुधारों और दानदाताओं के समर्थन की अस्पष्ट सम्भावनाओं – पर तत्काल ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने बताया कि इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पूरे फ़लस्तीनी क्षेत्र में, उपभोक्ता वस्तुओं की क़ीमतें बढ़ने के साथ ही, मानवीय आवश्यकताएँ और लागतें भी बढ़ रही हैं. पश्चिमी तट में गेहूँ के दाम लगभग 20 प्रतिशत और ग़ाज़ा में 40 प्रतिशत बढ़ गए हैं, जबकि गत वर्ष परिवहन लागत में 25 प्रतिशत से भी ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई.
उन्होंने कहा कि इस वर्ष के अन्त तक तमाम फ़लस्तीनी क्षेत्रों में सहायता अभियान जारी रखने के लिये, बढ़ती क़ीमतों का मुक़ाबला करने के लिये, लगभग तीन करोड़ 60 लाख डॉलर की अतिरिक्त रक़म की आवश्यकता होगी.
मध्य पूर्व में फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिये यूएन एजेंसी – UNRWA भी अनेक तरह की बाधाओं का सामना कर रही है और उसके पास भी लगभग 10 करोड़ डॉलर की रक़म की क़िल्लत है.
विशेष संयोजक ने बढ़ती क़ीमतों का मुक़ाबला करने के लिये, दानदाताओं को आवश्यक वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के लिये प्रोत्साहित करते हुए तर्क दिया कि बुनियादी सेवाओं और मानवीय ज़रूरतें पूरी करने में मदद करना, ना केवल मानवीय अनिवार्यता है, बल्कि स्थिरता को आगे बढ़ाने के लिये बेहद ज़रूरी भी.