जलवायु परिवर्तन: जीवाश्म ईंधन में और ज़्यादा निवेश स्पष्टतः भ्रान्तिमय
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को आगाह करते हुए कहा है कि देशों की सरकारों द्वारा जीवाश्म ईंधन की खोज या उत्पादन के लिये धन की नवीन उपलब्धता, स्पष्टतः भ्रान्तिमय है, और इससे युद्ध की विभीषिका, प्रदूषण और जलवायु आपदाओं की आग्नियों को और ज़्यादा ईंधन मिलेगा.
एंतोनियो गुटेरेश ने, जलवायु संकट पर छठे ऑस्ट्रियाई विश्व सम्मेलन में ये बात कही, जिसका आयोजन ऑस्ट्रेलिया सरकार और अमेरिका के कैलीफ़ोर्निया प्रान्त के पूर्व गवर्नर व हॉलीवुड फ़िल्म अभिनेता और जलवायु कार्यकर्ता अरनॉल्ड श्वार्ज़ेनेगेर ने किया.
यूएन महासचिव ने दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के समूह जी20 से कोयला ढाँचे को ख़त्म करने का फिर आग्रह किया, जिसके तहत 2030 तक इसका पूर्ण ख़ात्मा हो जाए, अन्य देशों के लिये ये समय सीमा 2040 रखी जा रही है.
अक्षय ऊर्जा विकल्प: 21वीं सदी की शान्ति योजना
The energy crisis exacerbated by the war in Ukraine has seen a perilous doubling down on fossil fuels by the major economies.New funding for fossil fuels is delusional.It will only further feed the scourge of war, pollution & climate catastrophe. https://t.co/ppM3pOaqna
antonioguterres
उन्होंने कहा कि अक्षय ऊर्जा, “21वीं सदी के लिये एक शान्ति योजना है” और जीवाश्म ईंधन के लिये धन की उपलब्धता - हरित विकल्प के समर्थन में पूरी तरह से ख़त्म करने की भी पुकार लगाई.
यूएन प्रमुख ने कहा, “ऊर्जा सुरक्षा, स्थाई ऊर्जा क़ीमतों, समृद्धि और रहने योग्य ग्रह के लिये एक मात्र रास्ता, प्रदूषक जीवाश्म ईंधन विशेष रूप से कोयले का प्रयोग बन्द करने और अक्षय ऊर्जा के विकल्पों की तरफ़ बदलाव करने में ही है.”
एंतोनियो गुटेरेश ने आगाह करते हुए कहा कि जलवायु संकट के बहुत ख़राब प्रभावों की रोकथाम के लिये अवसर निकला जा रहा है, और वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य को पहुँच के भीतर रखने के लिये, उत्सर्जनों में 2030 तक 45 प्रतिशत की कमी करनी होगी और 2050 तक शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना होगा.
उन्होंने कहा, “मगर देशों के मौजूदा संकल्पों से, इस दशक में लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि का रास्ता निकलेगा” उधर गत वर्ष ऊर्जा सम्बन्धी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई, “जबकि उनमें गिरावट होनी चाहिये.”
पर्याप्त नहीं
मैं बेबाक तौर पर कहता हूँ: ज़्यादातर जलवायु संकल्प साधारण रूप में पर्याप्त नहीं हैं. ये केवल मेरा पक्ष नहीं है. विज्ञान व जनमत, कायर जलवायु नीतियों को विफलता का एक विशाल चिन्ह दे रहे हैं.
“हम एक ऐतिहासिक व ख़तरनाक अन्तर देख रहे हैं – विज्ञान व नागरिक गण, महत्वाकांक्षी व रूपान्तरकारी जलवायु कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. जबकि बहुत से देशों की सरकारें अपने पैर फँसाए हुए हैं.”
बिखराव
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में, जबकि सभी को अपनी ज़िन्दगियों की लड़ाई में एकजुट होना चाहिये, मूर्खतापूर्ण युद्ध हमें बिखेर रहे हैं. “यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा क़ीमतों में आए उछाल के हालात में भी, विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों ने जीवाश्म ईंधन का प्रयोग और ज़्यादा बढ़ा दिया है. युद्ध ने एक कटु सबक़ सिखाया है: हमारा ऊर्जा मिश्रण बिखर चुका है.”
उन्होंने कहा कि जबकि इसके उलट सस्ते, सुलभ व ज़्यादा भरोसेमन्द ऊर्जा विकल्प, जल्द और त्वरित विकसित होने चाहिये थे, जिनमें पवन और सौर विकल्प शामिल हैं.
“अगर हमने अतीत में अक्षय ऊर्जा में व्यापक संसाधन निवेश किये होते तो, हम इस समय जीवाश्म ईंधन बाज़ारों की अस्थिरता की दया पर इतने नाटकीय रूप में नर्भर नहीं होते.”
सौर ऊर्जा व बैटरियों की क़ीमतों में, पिछले एक दशक के दौरान 85 प्रतिशत की कमी हुई है, जबकि पवन ऊर्जा भी 55 प्रतिशत सस्ती हुई है.
यूएन महासचिव ने दलील देते हुए कहा, “दूसरी तरफ़ तेल और गैस की क़ीमतें रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच गए हैं. और अक्षय ऊर्जा साधनों में संसाधन निवेश करने से, जीवाश्म ईंधन की तुलना में, तीन गुना ज़्यादा रोज़गार व कामकाज सृजित होते हैं.”
मौजूदा समाधान
उन्होंने आज के नए आर्थिक झटकों का सामना करने के लिये, अक्षय ऊर्जा पर कार्रवाई के लिये अपनी पाँच सूत्री योजना दोहराई.
प्रथम, अक्षय ऊर्जा टैक्नॉलॉजी को एक वैश्विक सामान्य भलाई बनाना, जिसमें प्रौद्योगिकी को साझा करने में आने वाली बौद्धिक सम्पदा बाधाओं को दूर करना.
दूसरा, अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकीय घटकों और कच्ची सामग्रियों की आपूर्ति श्रृंखलाओं तक, वैश्विक पहुँच को बेहतर बनाना.
तीसरा, लालफ़ीताशाही में सुधार करना, जिसने अक्षय उत्पादन क्रान्ति को आगे बढ़ने से रोका हुआ है.
चौथा, ऊर्जा सब्सिडी जीवाश्म ईंधनों से हटाकर अक्षय ऊर्जा की तरफ़ मोड़ना, जबकि बेहद कमज़ोर परिस्थितियों वाले लोगों के लिये सम्भावित परिणामों के भी समाधान निकाले जाएँ.
और पाँचवा, अक्षय ऊर्जा साधनों में निवेश को तीन गुना करना.