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तत्काल जलवायु कार्रवाई की ज़रूरत को रेखांकित करते नए आंकड़े

अफ़ग़ानिस्तान में सूखे से ज़मीन बंजर हो गई है जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ रहा है.
UNICEF/Adrak
अफ़ग़ानिस्तान में सूखे से ज़मीन बंजर हो गई है जिससे खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ रहा है.

तत्काल जलवायु कार्रवाई की ज़रूरत को रेखांकित करते नए आंकड़े

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान संस्था (WMO) की ओर से जारी नए आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले चार साल आधिकारिक रूप से अब तक के सबसे गर्म साल रहे हैं. इस जानकारी के सामने आने के बाद यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु कार्रवाई के लिए प्रयास तेज़ करने और महत्वाकांक्षा बढ़ाने की ओर ध्यान आकृष्ट किया है. सितंबर में वह इसी सिलसिले में जलवायु शिखर वार्ता भी आयोजित कर रहे हैं. 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि 2015, 2016, 2017 और 2018 अब तक के सबसे गर्म साल साबित हुए हैं. दुनिया भर में पांच अग्रणी अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से जुटाए गए आंकड़ों के विश्लेषण के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया है. विश्लेषण बताता है कि पूर्व औद्योगिक काल (1850-1900) की तुलना में 2018 में सतह पर औसत तापमान लगभग एक डिग्री अधिक है. 

संगठन के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा, "सबसे गर्म सालों की रैंकिग करने के बजाए तापमान के दीर्घकालीन रूझानों को देखना ज़्यादा अहम है और इस मामले में यह ऊपर जा रहा है. अब तक के सबसे गर्म 20 साल पिछले 22 सालों में ही देखने को मिले हैं. जिस तरह से तापमान भूमि और महासागर में पिछले चार सालों में बढ़ा है वह असाधारण है."

"तापमान कहानी का सिर्फ़ एक हिस्सा हैं. चरम मौसम वाली घटनाएं कईं देशों और लाखों लोगों को प्रभावित कर रही हैं और 2018 में अर्थव्यवस्थाओं और पारिस्थितिकी तंत्रों पर इसके कईं दुष्परिणाम सामने आए."

"चरम मौसम वाली घटनाएं जिस तरह से हो रही हैं वह बदलती जलवायु के अनुरूप ही है. इस सच्चाई का सामना हमें करना ही पड़ेगा. ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु अनुकूलन के प्रयास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए."

आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार साल अब तक के सबसे गर्म साल साबित हुए हैं.
Met Office
आंकड़े बताते हैं कि पिछले चार साल अब तक के सबसे गर्म साल साबित हुए हैं.

 

नए आंकड़ों पर चिंता जताते हुए यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि ये बताता है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए तेज़ी से प्रयास करने की आवश्यकता है. साथ ही जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी आयोग (IPCC) की अक्टूबर 2018 की रिपोर्ट में जो बातें कही गईं थी नए आंकड़े उन्हें पुख़्ता करते हैं. 

आईपीसीसी रिपोर्ट के मुताबिक़ वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए भूमि, ऊर्जा, उद्योग, इमारतों, परिवहन और अन्य क्षेत्रों में तत्काल और बहुआयामी प्रयास किए जाने होंगे ताकि 2030 में कार्बन उत्सर्जन में 2010 के स्तर की तुलना में 45 फ़ीसदी की कमी को हासिल किया जा सके.

वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से मुक़ाबले के प्रयासों में नए प्राण फूंकने के इरादे से यूएन महासचिव इस साल 23 सितंबर को न्यूयॉर्क में एक जलवायु शिखर वार्ता का आयोजन कर रहे हैं. सदस्य देशों और ग़ैर सदस्यीय पक्षकारों के साथ सहयोग के ज़रिए गुटेरेश एक मज़बूत संकेत देना चाहते हैं ताकि 2015 पेरिस समझौते में रखे गए लक्ष्यों को पाया जा सके.