यूएन जलवायु सम्मेलन - कॉप27 की ज़मीन तैयार करने के लिये बॉन में बैठक
संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप27) की मिस्र के शर्म अल-शेख़ में होने वाली बैठक के लिये, सफल वार्ता की ज़मीन तैयार करने के इरादे से, सोमवार को जर्मनी के बॉन शहर में बैठक शुरू हुई है. जलवायु परिवर्तन मामलों के लिये यूएन संस्था की कार्यकारी सचिव ने अपने सम्बोधन में जलवायु चुनौती से निपटने के लिये पेरिस समझौते के अनुरूप महत्वाकांक्षी कार्रवाई का आहवान किया है.
स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में पिछले वर्ष, जलवायु परिवर्तन पर यूएन फ़्रेमवर्क सन्धि (UNFCCC) के सम्बद्ध पक्षों (Conference of the Parties/COP) के 26वें सम्मेलन (कॉप26) के समापन के बाद यह पहली बार है, जब देशों की सरकारें मिल रही हैं.
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UNFCCC
ग्लासगो सम्मेलन के दौरान, पैरिस जलवायु समझौते के तहत किये जाने वाले प्रयासों का खाका तैयार किया गया, जिससे समझौते को लागू किये जाने के लिये एक नया दौर आरम्भ हुआ.
बॉन में, देशों की सरकारों का ध्यान कार्बन उत्सर्जन में कटौती लाने, अनुकूलन प्रयासों, और हानि व क्षति के लिये विकासशील देशों को वित्त पोषण मुहैया कराये जाने जैसे अहम क्षेत्रों पर केन्द्रित होगा.
जलवायु परिवर्तन मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र की अग्रणी संस्था (UNFCCC) की कार्यकारी सचिव पैट्रिशिया ऐस्पिनोसा ने इन सभी क्षेत्रों में राजनैतिक स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप व निर्णय लिये जाने की अहमियत को रेखांकित किया है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बॉन सत्र आरम्भ होने पर प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इससे समझौते के अनुरूप एक सन्तुलित पैकेज तैयार करने में मदद मिलेगी.
“ऐसा किये जाने से दुनिया को एक स्पष्ट सन्देश जाएगा कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. चूँकि शर्म अल-शेख़ में विश्व के पास एक प्रश्न ज़रूर होगा: ग्लासगो के बाद से अब तक कितनी प्रगति दर्ज की गई है?”
उन्होंने आगाह किया कि जलवायु परिवर्तन तेज़ गति से जारी है और फ़िलहाल दुनिया इस सदी के अन्त तक, वैश्विक तापमान में वृद्धि के 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य से दोगुना बढ़ोत्तरी की ओर अग्रसर है.
यूएन एजेंसी की शीर्ष अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन के बदतरीन दुष्प्रभावों से बचने के लिये महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई की दरकार है, जिसके लिये बॉन में तत्काल उपाय और प्रगति महत्वपूर्ण हैं.
“हमें इन वार्ताओं को तेज़ी से आगे बढ़ाना होगा. विश्व को इसकी अपेक्षा है. वे जानते हैं कि राष्ट्रों ने पैरिस समझौते के 1.5 डिग्री सेल्सियस लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया है, उस संकल्प के लिये त्वरित कार्रवाई के साथ जलवायु महत्वाकाँक्षा बढ़ानी होगी.”
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि यह कहना अस्वीकार्य है कि हम चुनौतीपूर्ण दौर में हैं, चूँकि जलवायु परिवर्तन एक ऐसा एजेण्डा है, जिससे वैश्विक समय सारिणी में पीछे धकेले जाने का जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता.
पैरिस समझौते के अनुरूप उपाय
मिस्र में वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉप27 के दौरान पैरिस समझौते की शर्तों को लागू करने के उपायों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.
इस क्रम में, देशों द्वारा यह दर्शाये जाने की अपेक्षा है कि सभी न्यायिक अधिकार क्षेत्रों व सैक्टरों में, क़ानून, नीतियों और कार्यक्रमों के ज़रिये घरेलू स्तर पर समझौते को वास्तविकता के धरातल पर उतारा जाएगा.
पैट्रिशिया ऐस्पिनोसा ने अपने भावुक सम्बोधन में यूएन जलवायु परिवर्तन सचिवालय में अपने छह-वर्षीय कार्यकाल की अवधि समाप्त होने की भी घोषणा की.
उन्होंने प्रतिनिधियों से सचिवालय के कामकाज और समावेशी बहुपक्षवाद के लिये समर्थन जारी रखने की पुकार लगाई, जिसके ज़रिये सभी हितधारक जलवायु परिवर्तन से निपटने के, एक साझा लक्ष्य के लिये प्रयासरत हैं.
कार्यकारी सचिव ने कहा कि यह ध्यान करने की ज़रूरत है कि पिछले छह वर्षों में क्या कुछ हासिल किया गया है. या फिर पिछले 30 वर्षों में क्या प्राप्त हुआ है.
उनके अनुसार दुनिया जलवायु परिवर्तन से निपटने में अब भी काफ़ी पीछे है, मगर यूएन जलवायु संस्था, क्योतो प्रोटोकॉल, पैरिस समझौते के कारण पहले से बेहतर स्थिति में है.
उन्होंने इसकी वजह रचनात्मक सहयोग, और देशों द्वारा किये जा रहे प्रयास बताई, और कहा कि बेहतर किये जाने की ज़रूरत है और इसे करना ही होगा.