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जलवायु अनुकूलन के लिये वित्त पोषण बढ़ाये जाने पर बल, UNEP की नई रिपोर्ट

पाकिस्तान में बाढ़ की चपेट में आए एक गांव में एक महिला अपने बच्चे के साथ सचल स्वास्थ्य केंद्र तक जा रही है.
© UNICEF/Shehzad Noorani
पाकिस्तान में बाढ़ की चपेट में आए एक गांव में एक महिला अपने बच्चे के साथ सचल स्वास्थ्य केंद्र तक जा रही है.

जलवायु अनुकूलन के लिये वित्त पोषण बढ़ाये जाने पर बल, UNEP की नई रिपोर्ट

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने गुरूवार को प्रकाशित अपनी नवीनतम रिपोर्ट में सचेत किया है कि जलवायु परिवर्तन के मौजूदा व भावी प्रभावों के अनुरूप ढलने के लिये, देशों को अपनी कार्रवाई में तेज़ी लानी होगी. यूएन एजेंसी की Adaptation Gap Report 2022 रिपोर्ट को मिस्र के शर्म अल-शेख़ में इस सप्ताहांत शुरू हो रहे वार्षिक जलवायु सम्मलेन (कॉप27) से ठीक पहले जारी किया गया है.

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अभी तक की गई जलवायु कार्रवाई बहुत कम है, और उसकी गति भी बेहद धीमी है.

यूएन एजेंसी ने जलवायु कार्रवाई के लिये निवेश बढ़ाने और कारगर उपायों को लागू किये जाने का आहवान किया है, ताकि बढ़ते जलवायु जोखिमों को ध्यान में रखते हुए निर्बल देशों व समुदायों को अनुकूलन प्रयासों में मदद प्रदान की जा सके.

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इस दशक के अंत तक, जलवायु अनुकूलन उपायों की वार्षिक आवश्यकता को 160 अरब डॉलर से 340 अरब डॉलर तक आंका गया है, और 2050 तक यह बढ़कर 565 अरब डॉलर पहुँच सकती है.

यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इंगर ऐण्डरसन ने कहा, “जलवायु परिवर्तन से मानवता को एक के बाद एक थपेड़े लग रहे हैं, जैसा कि हम 2022 में देखते रहे. सबसे कठोर ढँग से पाकिस्तान के अधिकाँश हिस्से को चपेट में लेने वाली बाढ़.”

उन्होंने दुनिया से तत्काल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती लाने की पुकार लगाई है ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीमित किया जा सके.

“मगर, हमें पहले से ही नज़र आ चुके और भावी प्रभावों के अनुसार ढलने के लिये प्रयासों को तत्काल बढ़ाना होगा.”

रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि अनुकूलन और कार्बन उत्सर्जन में कटौती को जलवायु संकट से निपटने के लिये वैश्विक प्रयासों के केंद्र में रखना होगा.

गहन हो रहे प्रभाव

वर्ष 2015 के ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते के तहत, देशों ने वैश्विक तापमान में वृद्धि को पूर्व औद्योगिक काल की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का संकल्प लिया है, लेकिन फ़िलहाल वे इस लक्ष्य से दूर हैं.

पाकिस्तान में बाढ़ और अन्य जलवायु प्रभाव, जैसेकि हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका में ऐतिहासिक सूखा, ऐसे समय में घटित हो रहे हैं जब वैश्विक तापमान में, पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में केवल 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है.

जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी आयोग (IPCC) के विश्लेषण के अनुसार, एक डिग्री के दसवें हिस्से की वृद्धि के साथ ही जलवायु जोखिमों में भी वृद्धि होती जाएगी.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सचेत किया कि रिपोर्ट बताती है कि दुनिया जलवायु परिवर्तन के उन प्रभावों से आमजन की रक्षा करने में विफल हो रही है, जिन्हें यहाँ, अभी देखा जा सकता है.

“सर्वाधिक निर्बल लोगों व समुदायों को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ रही है. यह अस्वीकार्य है.”

“विकासशील जगत की अनुकूलन आवश्यकताओं में 2030 तक उछाल आने और उनके प्रति वर्ष 340 अरब डॉलर तक पहुँच जाने की सम्भावना है.”

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत अनकूलन प्रयासों के लिये फ़िलहाल इसके 10 प्रतिशत से भी कम की दरकार है. मगर, फिर भी अनुकूलन प्रयासों की दिशा में प्रगति धीमी और बेअसर सी रही है.

बताया गया है कि 80 फ़ीसदी देशों के पास कम से कम एक राष्ट्रीय अनुकूलन योजना उपाय हैं. जलवायु परिवर्तन पर यूएन फ़्रेमवर्क सन्धि में शामिल 197 सरकारों में से एक-तिहाई ने मापे जाने योग्य और समय-सीमा के साथ अनुकूलन लक्ष्यों को शामिल किया है.

वित्त पोषण, एक बड़ी चिंता

इसके अलावा, क़रीब 90 प्रतिशत देशों के योजना उपायों में लैंगिक व वंचित समुदायों की आवश्यकताओं का ध्यान रखा गया है.

मगर, इन योजनाओं के लिये वित्त पोषण एक बड़ा मुद्दा है. आवश्यक अनुकूलन क़ीमतों का अनुमान, विकासशील देशों के लिये अन्तरराष्ट्रीय अनुकूलन वित्त पोषण से क़रीब पाँच से 10 गुना अधिक है, जोकि 2020 में 29 अरब डॉलर तक पहुँच गया.

 निकारागुआ में चक्रवाती तूफ़ान से हुई तबाही के बाद बच्चे अपना घर फिर से खड़ा करने के लिये लकड़ियां जुटा रहे हैं.
© UNICEF/Inti Ocon/AFP-Services
निकारागुआ में चक्रवाती तूफ़ान से हुई तबाही के बाद बच्चे अपना घर फिर से खड़ा करने के लिये लकड़ियां जुटा रहे हैं.

यूएन पर्यावरण एजेंसी का कहना है कि वर्ष 2019 के वित्त पोषण प्रवाह को 2025 तक दोगुना करने के लक्ष्य को साकार करने के लिये बड़े स्तर पर वृद्धि की ज़रूरत है, जिसका उल्लेख ग्लासगो में कॉप26 सम्मेलन के निष्कर्ष में भी किया गया था.  

रिपोर्ट के अनुसार, कृषि, जल, पारिस्थितिकी तंत्रों और अन्य क्षेत्रों में अनुकूलन कार्रवाई में वृद्धि हुई है, लेकिन फ़िलहाल यह जलवायु प्रभावों की गति से मेल नहीं खाती और जलवायु जोखिमों की तुलना में पिछड़ रही है

'बीता जा रहा है समय'

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने निवेश बढ़ाने और बेहतर नतीजे सुनिश्चित करने के लिये मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति पर बल दिया है.

उन्होंने कहा कि अनुकूलन प्रयासों के लिये, मौजूदा वास्तविकता और आवश्यकता के बीच की खाई को चार अहम तरीक़ों से पाटा जाना होगा:

- पहला, अनुकूलन आवश्यकतों के लिये वित्त पोषण की गुणवत्ता और मात्रा में नाटकीय ढँग से वृद्धि

- दूसरा, अनुकूलन प्राथमिकताओं को निवेश किये जाने योग्य परियोजनाओं में बदलने के लिये नए व्यावसायिक म़ॉडल का तत्काल विकास

- तीसरा, पहले से कहीं बेहतर जलवायु जोखिम आंकड़ों व जानकारी की व्यवस्था

- चौथा, पाँच वर्ष के भीतर समय पूर्व चेतावनी प्रणाली की सार्वभौमिक उपलब्धता व्यवस्था

महासचिव गुटेरेश ने कॉप27 सम्मेलन के दौरान, समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों के लिये विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाली कार्रवाई योजना के लिये वित्तीय व तकनीकी सहयोग सुनिश्चित किया जाना अहम होगा.