वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

जलवायु कार्रवाई है ‘एक शीर्ष वैश्विक प्राथमिकता’, कॉप27 से पहले यूएन प्रमुख की पुकार

मेडागास्कर में, मरुस्थलीकरण की चुनौतियों के बावजूद, समुदाय, खेतीबाड़ी करना जारी रखे हुए हैं.
OCHA/Viviane Rakotoarivony
मेडागास्कर में, मरुस्थलीकरण की चुनौतियों के बावजूद, समुदाय, खेतीबाड़ी करना जारी रखे हुए हैं.

जलवायु कार्रवाई है ‘एक शीर्ष वैश्विक प्राथमिकता’, कॉप27 से पहले यूएन प्रमुख की पुकार

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र का अगला जलवायु सम्मेलन कॉप27, मिस्र के शर्म-अल-शेख़ में होने वाला है, जिसके ऐजेण्डा को आकार देने की तैयारियों के सिलसिले में, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किंशासा में एक बैठक (प्री-कॉप) हो रही है. इसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों से कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने का कार्य भी, विश्व भर में जलवायु प्रभावों जितना ही विशाल है.  

 

महासचिव गुटेरेश ने यूएन मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा, “पाकिस्तान का एक-तिहाई हिस्सा बाढ़ प्रभावित है. योरोप में हाल के समय में, 500 वर्षों में सर्वाधिक गर्मी रही है. फ़िलिपीन्स पर भीषण असर हुआ है. पूरे क्यूबा में अंधेरा है.”

“और यहाँ अमेरिका में, चक्रवाती तूफ़ान इयन ने बर्बर ढंग से ध्यान दिलाया है कि कोई भी देश और कोई भी अर्थव्यवस्था, जलवायु संकट से अछूती नहीं है.”

उन्होंने सचेत किया कि जलवायु अराजकता जहाँ कुलाँचे भरते हुए आगे बढ़ रही है, वहीं जलवायु कार्रवाई ठहर गई है.

Tweet URL

संयुक्त राष्ट्र के शीर्षतम अधिकारी ने जलवायु सम्मेलन कॉप27 की अहमियत को रेखांकित करते हुए आगाह भी किया कि अग्रणी औद्योगिक देशों के जी20 समूह के सामूहिक सकंल्प, बहुत देर से आए हैं, और वे बहुत थोड़े हैं.

“सबसे सम्पन्न विकसित व उभरती अर्थव्यवस्थाओं की कार्रवाई खरी नहीं उतरती है.”

उन्होंने ध्यान दिलाया कि मौजूदा संकल्प और नीतियाँ, वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सिसय तो क्या, 2 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य हासिल करने के लिये भी दरवाज़ा बन्द कर रही हैं.

महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा कि यह आज हमारी सुरक्षा और कल जीवित बचे रहने के लिये, जीवन-या-मरण का संघर्ष है.

उनके अनुसार, यह एक दूसरे पर आरोप मढ़ने या हाथ मलने का समय नहीं है, बल्कि पुख़्ता कार्रवाई के लिये विकसित व उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में सहमति का एक रास्ता निकाला जाना होगा.

“दुनिया अब प्रतीक्षा नहीं कर सकती. उत्सर्जन अपने उच्चतम स्तर पर हैं और बढ़ते जा रहे हैं.”

मौजूदा प्रगति को धक्का

यूएन प्रमुख ने कहा कि एक ऐसे समय जब पृथ्वी जल रही हो, यूक्रेन में युद्ध से उपजी चिन्ताओं ने जलवायु कार्रवाई को पीछे धकेल दिया है.

वहीं, व्यवसाय जगत में मुख्य जलवायु पक्षकार, पुराने हो चुके नियामक फ़्रेमवर्क, लालफ़ीताशाही और नुक़सानदेह अनुदान से अवरोधों का सामना कर रहे हैं, जोकि एक नकारात्मक संकेत देते हैं.

महासचिव ने ध्यान दिलाया कि हानि व क्षति और जलवायु कार्रवाई के लिये वित्त पोषण के विषय में निर्णय अभी लिया जाना होगा, चूँकि कार्रवाई में विफलता से भरोसे में कमी आएगी और यह अधिक जलवायु बर्बादी की भी वजह होगी.

उन्होंने इसे एक ऐसी नैतिक अनिवार्यता क़रार दिया है, जिसे नज़रअन्दाज़ नहीं किया जा सकता है.

लिटमस परीक्षण

यूएन का वार्षिक जलवायु सम्मेलन, कॉप27, को एक ऐसा लिटमस परीक्षण बताया गया है, जोकि दर्शाता है कि निर्बल देशों पर जलवायु परिवर्तन की विशाल चुनौती का सामना करने के लिये सरकारें कितनी गम्भीर हैं.

इस सप्ताह, कॉप27 की तैयारियों के सिलसिले किंशासा में एक बैठक होनी है, जिससे यह निर्धारित हो सकता है कि शर्म-अल-शेख़ में जलवायु सम्मेलन में इस मुद्दे पर कितनी प्रगति होगी.

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में जलवायु कार्रवाई के लिये 100 अरब डॉलर की वित्तीय सहायता के संकल्प के सिलसिले में दुनिया को विकसित देशों से स्पष्टता की आवश्यकता है.

यूएन प्रमुख के अनुसार जलवायु अनुकूलन और सहनक्षमता निर्माण के लिये, कुल वित्त पोषण की आधी राशि आबण्टित की जानी होगी.

बहुपक्षीय विकास बैंकों को अपने प्रयास मज़बूत करने होंगे और नवीकरणीय ऊर्जा व सहनक्षमता निर्माण में उभरती अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन की दरकार है.

यूएन प्रमुख के मुताबिक़, अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का सहनक्षमता व सततता ट्रस्ट, एक अच्छी पहल है, मगर बड़े बहुपक्षीय विकास बैंकों के हितधारकों को, रूपान्तरकारी बदलाव के लिये अग्रणी भूमिका निभानी होगी.

“हर जलवायु मोर्चे पर, एकजुटता और निर्णायक कार्रवाई ही एकमात्र समाधान है.”

यूएन प्रमुख ने कहा कि शर्म-अल-शेख़ में कॉप27 में मौजूदगी के ज़रिये, जी20 की अगुवाई में सभी देश यह दिखा सकते हैं कि जलवायु कार्रवाई ही शीर्ष वैश्विक प्राथमिकता है, जैसाकि उसे होना चाहिये.

जलवायु अनुकूलन समर्थन

इस बीच, यूएन उपमहासचिव आमिना मोहम्मद ने पर्यावरण मंत्रियों को सचेत किया कि जलवायु संकट के बदतरीन दुष्प्रभावों की रोकथाम करने के लिये समय बीता जा रहा है.

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि विकासशील देशों में जलवायु अनुकूलन के लिये और अधिक समर्थन की दरकार है, और इसे एक वैश्विक प्राथमिकता बनाया जाना होगा, विशेष रूप से अनुकूलन वित्त पोषण को.

यूएन उपप्रमुख ने ध्यान दिलाया कि ग्लासगो में कॉप26 सम्मेलन के दौरान, विकसित देशों ने अनुकूलन समर्थन को वर्ष 2025 तक बढ़ाकर प्रतिवर्ष 40 अरब डॉलर करने का वादा किया था.

उन्होंने कहा कि इस क्रम में एक स्पष्ट रोडमैप साझा किये जाने की आवश्यकता है कि यह धनराशि किस प्रकार से वितरित की जाएगी.

उन्होंने कहा कि दुनिया को फ़िलहाल आशा व प्रगति की बहुत आवश्यकता है, ताकि यह दर्शाया जा सके कि नेताओं को यह भलीभांति मालूम है कि दुनिया किन आपात परिस्थितियों का सामना कर रही है.

उनके अनुसार यह सन्देश दिया जाना होगा कि कॉप सम्मेलन एक ऐसा आयोजन है जहाँ विश्व नेता उपस्थित होकर अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं और साथ मिलकर समस्याओं का समाधान तलाश करते हैं.