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खाद्य असुरक्षा का संकट समाप्त करने के लिये 'एकजुट व तत्काल कार्रवाई' की पुकार

अपने बच्चों को ज्वार का दलिया देती एक माँ. दक्षिण सूडान के उत्तरी बहर अल ग़ज़ल और वार्रप में, ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें प्रतिदिन केवल एक ही भोजन उपलब्ध है.
FAO/Stefanie Glinski
अपने बच्चों को ज्वार का दलिया देती एक माँ. दक्षिण सूडान के उत्तरी बहर अल ग़ज़ल और वार्रप में, ऐसे बच्चों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें प्रतिदिन केवल एक ही भोजन उपलब्ध है.

खाद्य असुरक्षा का संकट समाप्त करने के लिये 'एकजुट व तत्काल कार्रवाई' की पुकार

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने वैश्विक खाद्य असुरक्षा में हुई बढ़ोत्तरी से निपटने के लिये कार्रवाई का आहवान करते हुए कहा कि दुनिया भर में भुखमरी का स्तर "एक नए शीर्ष" पर पहुँच गया है.

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने बुधवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में वैश्विक भुखमरी में बढ़ोत्तरी पर एक मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान कहा कि केवल दो वर्षों में, गम्भीर रूप से खाद्य असुरक्षा से पीड़ित लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है.

यानि महामारी से पूर्व के साढ़े 13 करोड़ की संख्या से बढ़कर वर्तमान में 27 करोड़ 60 लाख से अधिक – मतलब यह कि 2016 के बाद से 500 प्रतिशत से ज़्यादा की वृद्धि. इनमें से लगभग 50 लाख लोग अकाल की स्थिति का सामना कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, "ये भयावह आँकड़े, संघर्ष से अटूट रूप से जुड़े हुए हैं और उसका कारण व असर, दोनों दर्शाते हैं. अगर हम लोगों को भोजन नहीं दे पाते हैं, तो हम संघर्ष को जन्म देते हैं."

भुखमरी के अहम कारक 

उन्होंने कहा कि जलवायु आपातस्थिति भी वैश्विक भुखमरी का एक कारक है. उन्होंने ध्यान दिलाया कि पिछले एक दशक में चरम मौसम और जलवायु सम्बन्धी आपदाओं से एक अरब 70 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं.

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इसके अलावा, कोविड-19 से लगे आर्थिक झटके ने आमदनी कम करके और आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करके, खाद्य असुरक्षा को बढ़ा दिया है, जिससे आर्थिक पुनबर्हाली असमान रही है. वित्तीय बाज़ारों तक पहुँच प्रतिबन्धित हो गई है, और अनेक विकासशील देश अब ऋण न चुका पाने के कगार पर हैं.

यूएन महासचिव ने कहा, "अब यूक्रेन में युद्ध से, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19, और असमानता जैसे सभी कारक और तेज़ी से बढ़ रहे हैं." 

यूक्रेन युद्ध का असर 

यूक्रेन और रूस मिलकर, दुनिया के कुल गेहूँ और जौ में से लगभग एक तिहाई और सूरजमुखी के तेल का, लगभग आधा उत्पादन करते हैं. रूस और बेलारूस, उर्वरक के एक प्रमुख घटक पोटाश के उत्पादन में दुनिया के नम्बर दो और तीन उत्पादक हैं.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने चेतावनी दी कि इस युद्ध से "लाखों लोग, खाद्य असुरक्षा के कारण,  कुपोषण, बड़े पैमाने पर भुखमरी और अकाल के सालों-साल चलने वाले संकट में धकेले जा सकते हैं."

"पिछले एक साल में, वैश्विक खाद्य क़ीमतों में लगभग एक तिहाई, उर्वरकों की क़ीमत में आधे से अधिक और तेल की क़ीमतों में लगभग दो-तिहाई की वृद्धि हुई है."

विनाशकारी प्रभाव  

वहीं, इस भारी वृद्धि के प्रहार को सहने के लिये अधिकांश विकासशील देशों के पास वित्तीय क्षेत्र की कमी है. इनमें से कई ऋण लेने में असमर्थ हैं क्योंकि ऋण बाज़ार के दरवाज़े उनके लिये बन्द हो चुके हैं.

उन्होंने विस्तार से बताया, "अगर उच्च उर्वरक की क़ीमतें जारी रहती हैं, तो अनाज और खाना पकाने के तेल का वर्तमान संकट, चावल सहित कई अन्य खाद्य पदार्थों को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे एशिया और अमेरिका में अरबों लोगों पर असर पड़ेगा. " 

इसके अतिरिक्त, बच्चों का विकास न होने पर बौनेपन का ख़तरा मण्डरा रहा है; लाखों महिलाएँ और बच्चे कुपोषित हो सकते हैं; लड़कियों को स्कूल से निकालकर, काम करने या शादी करने के लिये मजबूर किया जाएगा; और परिवार, जीवित रहने के लिये, दूसरे महाद्वीपों पर ख़तरनाक रास्तों से पलायन करने के लिये मजबूर हो जाएंगे.”

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, "भुखमरी की उच्च दर व्यक्तियों, परिवारों और समाजों पर विनाशकारी प्रभाव डालती है."

'पाँच ज़रूरी क़दम'

यूएन प्रमुख ने कहा कि हालाँकि, अगर हम एक साथ मिलकर कार्रवाई करते हैं, तो सभी के लिये पर्याप्त भोजन उपलब्ध है. "भुखमरी का अन्त करना, हमारे बस में है."

महासचिव ने, अल्पकालिक संकट को हल करने और दीर्घकालिक नुक़सान रोकने के लिये, पाँच ज़रूरी क़दमों की रूपरेखा दी, जिसमें सबसे पहले खाद्य आपूर्ति में वृद्धि करके, बाज़ार पर दबाव कम करने की सलाह दी गई है, जहाँ निर्यात पर कोई प्रतिबन्ध ना हो और सभी ज़रूरतमन्द लोगों के लिये अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध हो.

उन्होंने कहा, "लेकिन स्पष्ट रहे: युद्ध के बावजूद, यूक्रेन के खाद्य उत्पादन के साथ-साथ, रूस और बेलारूस द्वारा उत्पादित खाद्य व उर्वरक को वैश्विक बाज़ारों में पुन: एकीकृत किये बिना, खाद्य संकट का कोई प्रभावी समाधान नहीं हो सकता."

दूसरे, भोजन, नक़दी के साथ, सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों में सभी ज़रूरतमन्द लोगों को शामिल किया जाना चाहिये; एवं पानी, स्वच्छता, पोषण व आजीविका सहायता प्रदान की जानी चाहिये.

चौथा, सरकारों को कृषि उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिये और सहनसक्षम खाद्य प्रणालियों में निवेश करना चाहिये, जो छोटे खाद्य उत्पादकों की रक्षा करती हैं.

और अन्त में, अकाल को रोकने और भुखमरी कम करने के लिये मानवीय कार्रवाई को पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाना चाहिये.

"Global hunger levels are at a new high" - UN Chief at the Global Food Security Call to Action

एकजुटता से कार्य करें

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि खाद्य, ऊर्जा और वित्त पर वैश्विक संकट प्रतिक्रिया समूह (Global Crisis Response Group),सम्वेदनशील लोगों पर संकट के प्रभाव पर नज़र रख रहा है, और उनकी पहचान करके समाधानों को आगे बढ़ा रहा है.

उन्होंने कहा, "खाद्य संकट सीमाओं का सम्मान नहीं करता और कोई भी देश इसे अकेले दूर नहीं कर सकता है."

"लाखों लोगों को भुखमरी से बाहर निकालने का एकमात्र तरीक़ा है, एक साथ, तत्काल और एकजुटता के साथ कार्य करना."

'सदभावना' की ज़रूरत

इस बैठक की अध्यक्षता, अमेरिकी विदेश मंत्री, एंथनी ब्लिन्केन की, जिसमें क्षेत्र के लगभग 30 विविध देशों के विदेश मंत्रियों ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा, पोषण और सहनसक्षमता को सम्बोधित करने के उपायों पर चर्चा की.

एंथनी ब्लिन्केन ने वर्तमान स्थिति को "हमारे समय का सबसे बड़ा वैश्विक खाद्य असुरक्षा संकट" बताते हुए, संघर्ष, सूखे और प्राकृतिक आपदाओं के लिये, आपातस्थिति को ज़िम्मेदार ठहराया – जिसे यूक्रेन पर रूस के युद्ध ने बदतर बना दिया है.

हालाँकि उम्मीद जताते हुए उन्होंने यह भी कहा कि "अब भी इसके समाधान का रास्ता सम्भव है" और "जटिल सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय निहितार्थों के लिये, सभी दिशाओं में सदभावना की आवश्यकता है."

अमेरिकी विदेश मंत्री ने वैश्विक संकट से निपटने के लिये, 21.5 करोड़ डॉलर की मानवीय सहायता की घोषणा की.

बन्दरगाह तत्काल खोलने ज़रूरी

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रमुख, डेविड डेविड बीज़ली ने वर्षों के संघर्ष, महामारी और जलवायु ख़तरों से "बहुत कमज़ोर" हो रही दुनिया की ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया.

उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा वित्त पोषण की कमी, 40 लाख लोगों तक भोजन की पहुँच को बाधित कर सकती है.

डब्ल्यूएफ़पी के शीर्ष अधिकारी ने इसके अलावा बताया कि यूक्रेन और उसके बाहर "बन्दरगाहों को खोलने में विफलता" लोगों को भुखमरी के कगार पर धकेल देगी.

डेविड बीज़ली ने सरकारों से तुरन्त "क़दम बढ़ाने" का आग्रह करते हुए कहा कि हालाँकि "भण्डार भरे हुए हैं," लेकिन नाकाबन्दी और अन्य बाधाएँ उन तक पहुँच मुश्किल बना रही हैं.