भुखमरी प्रभावित इलाक़ों में अकाल की आशंका - तत्काल कार्रवाई का आग्रह

खाद्य असुरक्षा से गम्भीर रूप से पीड़ित (Hot spots) बुरकिना फ़ासो, पूर्वोत्तर नाइजीरिया, दक्षिण सूडान और यमन, में पीड़ितों तक तत्काल सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि उन्हें अकाल के गर्त में धँसने से बचाया जा सके. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने शुक्रवार को इस सम्बन्ध में अपनी चेतावनी ज़ाहिर करते हुए अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से त्वरित कार्रवाई का आहवान किया है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) में वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा सलाहकार क्लाउडिया अह पोए ने जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए इन देशों में हालात पर चिन्ता जताई.
“हमें चिन्ता है कि अगर आने वाले महीनों में हालात और बदतर हुए तो उन्हें अकाल का ख़तरा बढ़ने का सामना कर सकता है.”
⚠️UN Food Agencies @FAO and @WFP warn of rising levels of hunger with potential risk of famine in 4 hotspots:Burkina Faso, northeastern Nigeria, South Sudan and Yemen.⬇️New report issued today⬇️
WFP
विश्व खाद्य कार्यक्रम ने खाद्य एवँ कृषि संगठन के साथ एक साझा ऐलर्ट जारी करते हुए सचेत किया है कि 16 अन्य देशों में अगले तीन से छह महीनों के भीतर बड़े पैमाने पर खाद्य सुरक्षा के मामले में आपात हालात पैदा हो सकते हैं.
इन मानवीय संकटों की प्रमुख वजहें लम्बे समय से चला आ रहा हिंसक संघर्ष, समुदायों तक मदद ना पहुँचा पाना, जलवायु जनित चरम हालात और कोविड-19 से उपजी आर्थिक चुनौतियाँ बताई गई हैं.
जिन देशों पर संकट मँडरा रहा है उनमें अफ़ग़ानिस्तान, मध्य अफ़्रीका गणराज्य, काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य (डीआरसी), इथियोपिया, हेती और वेनेज़्वेला हैं. काँगो लोकतान्त्रिक गणराज्य में पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक है - वहाँ दो करोड़ लोगों के सामने हाल के समय में खाद्य असुरक्षा की चुनौती पैदा हुई है.
अकाल के जोखिम का सामना कर रहे चार में से तीन अफ़्रीकी देशों में ज़रूरत का स्तर बयाँ करते हुए यूएन खाद्य एजेंसी के प्रवक्ता टॉमसन फिरी ने बताया कि लोगों के लिये विकट हालात उत्तरी बुरकिना फ़ासो और पूर्वोत्तर नाइजीरिया में विद्रोहियों की वजह से भी है.
वर्षों से चले आ रहे हिंसक संघर्ष से दक्षिण सूडान में सम्वेदनशील परिस्थितियाँ क़ायम है और इस साल आई विनाशकारी बाढ़ ने इसे और भी बदतर बना दिया है.
“लोगों ने अपनी सम्पत्तियाँ खोई हैं, लोगों ने किसी भी प्रकार के झटकों को सहने करने की क्षमता खोई है.”
उन्होंने कहा कि इस वर्ष यहाँ अभूतपूर्व बाढ़ आई जिससे पूरे शहर डूब रहे थे, लोग संघर्ष कर रहे थे और फ़सलों को भी नुक़सान पहुँचा है.
मार्च से सितम्बर 2020 के आँकड़े दर्शाते हैं कि अनेक देशों में कोविड-19 सम्बन्धी पाबन्दियों को चरणबद्ध ढँग से हटाये जाने के बाद आर्थिक गतिविधियाँ फिर से शुरू हुई हैं.
लेकिन खाद्य असुरक्षा के हालात 27 देशों में बदतर हुए हैं और 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों को मदद की ज़रूरत है और यह संख्या आने वाले दिनों में और बढ़ने की आशंका है.
वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा सलाहकार क्लाउडिया अह पोए के मुताबिक साल की शुरुआत में किये गये विश्लेषण में अनुमान लगाया था कि जिन 80 देशों में यूएन खाद्य एजेंसी सक्रिय है वहाँ 12 करोड़ से ज़्यादा अतिरिक्त लोगों के खाद्य असुरक्षा का शिकार होने का जोखिम है.
रोम से वीडियो लिन्क के ज़रिये सम्बोधित करते हुए खाद्य एवँ कृषि संगठन में खाद्य संकट मामलों के वरिष्ठ विश्लेषख लुका रूसो ने बताया कि इस अलर्ट का मुख्य उद्देश्य विनाशकारी मानवीय आपदा को रोकना है.
इसके तहत उन कारकों की शिनाख़्त की जायेगी जो अकाल के लिये ज़िम्मेदार हैं, और फिर उन विशिष्ट उपायों की भी जिनकी मदद से निर्बलतम समुदायों तक मदद सुनिश्चित की जा सकती है.
वर्ष 2011 में दक्षिणी सोमालिया में अकाल की घोषणा कर दी गई थी लेकिन अधिकाँश लोगों की मौत मई महीने तक ही हो गई थी.
“जिस लम्हे आप अकाल की घोषणा करते हैं, तब तक कार्रवाई के लिये बहुत देर हो चुकी होती है. इस नज़रिये से, जैसाकि हमने अतीत में सोमालिया में देखा है, जब वहाँ अकाल की घोषणा की गई, दो लाख 60 हज़ार लोगों की मौत हो चुकी थी...इसलिये अकाल से पहले ही हम जल्द चेतावनी जारी करना चाहते हैं.”
अनेक संकटों के कारण पनपे हालात की गम्भीरता के मद्देनज़र यूएन विशेषज्ञों ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई का आहवान किया है.