खाद्य असुरक्षा, समाजों में अस्थिरता व हिंसक संघर्षों के भड़कने की वजह
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने ध्यान दिलाया है कि विश्व में, अल्पपोषण से पीड़ित लगभग 60 फ़ीसदी आबादी, हिंसा प्रभावित इलाक़ों में रहती है और इससे कोई देश अछूता नहीं है. यूएन प्रमुख ने ‘हिंसक संघर्ष व खाद्य सुरक्षा’ के मुद्दे पर गुरूवार को सुरक्षा परिषद में आयोजित एक चर्चा को सम्बोधित करते हुए क्षोभ व्यक्त किया कि जब युद्ध होता है, तो लोगों को भूख की मार झेलनी पड़ती है.
पिछले वर्ष, भूख से पीड़ित 14 करोड़ लोगों में से अधिकांश केवल दस देशों में थे: अफ़ग़ानिस्तान, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, हेती, नाइजीरिया, पाकिस्तान, दक्षिण सूडान, सूडान, सीरिया और यमन.
इनमें से आठ देश सुरक्षा परिषद के कार्य एजेण्डा पर हैं.
In our world of plenty, I will never accept the death from hunger of a single human being.Today, I urged members of the Security Council to take action – now– to break the deadly dynamic of conflict and hunger. pic.twitter.com/kLf2nHAQAC
antonioguterres
महासचिव ने कहा, “कोई सन्देह नहीं रहना चाहिये: जब यह परिषद हिंसक संघर्ष पर चर्चा करती है, तो आप भूख पर चर्चा करते हैं.”
“जब आप शान्तिरक्षा और राजनैतिक मिशन पर निर्णय लेते हैं, तो आप भूख के बारे में फ़ैसले करते हैं. और जब आप आम सहमति पर पहुँचने में विफल रहते हैं, तो भूखे लोगों को इसकी एक बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ती है.”
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने बताया कि केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष से, निजेर, माली, चाड और बुरकिना फ़ासो में खाद्य सुरक्षा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये, तीन करोड़ डॉलर की धनराशि जारी की गई.
मगर, उन्होंने सचेत किया कि यह महासागर में एक बून्द के समान है.
यूएन प्रमुख ने हॉर्न ऑफ़ अफ़्रीका क्षेत्र में खाद्य असुरक्षा की परिस्थितियों पर चिन्ता जताई, जहाँ पिछले चार दशकों में सबसे लम्बी अवधि के सूखे का सामना करना पड़ रहा है, और जिससे एक करोड़ 80 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
और यह ऐसे समय में हो रहा है, जब इथियोपिया और सोमालिया में आम लोग हिंसक संघर्ष व असुरक्षा से भी त्रस्त हैं.
वैश्विक स्तर पर, 38 देशों में चार करोड़ 40 लाख लोग आपात स्तर पर भूख की मार झेल रहे हैं, जोकि अकाल से बस एक क़दम दूर है.
इथियोपिया, दक्षिण सूडान, यमन और मेडागास्कर में पाँच लाख से अधिक लोग पहल से ही विनाशकारी या अकाल परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं.
भयावह हालात
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने कहा कि यूक्रेन में युद्ध से वैश्विक स्तर पर भूख की चुनौती और विशाल हो गई है, जोकि भयावह है.
यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से खाद्य निर्यातों में गिरावट आई है और आवश्यक खाद्य वस्तुओं की क़ीमतों में 30 फ़ीसदी तक का उछाल आया है. अफ़्रीका और मध्य पूर्व क्षेत्र में स्थित देशों के लिये यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है.
सेनेगल, निजेर और नाइजीरिया के नेताओं ने वहाँ विकट हालात की पुष्टि करते हुए कहा है कि वे विनाश के कगार पर हैं.
संयुक्त राष्ट्र राहतकर्मी संकट से जूझ रहे देशों में ज़रूरतमन्द समुदायों तक सहायता पहुँचाने के लिये प्रयासरत हैं, मगर खाद्य क़ीमतों में आए उछाल से उनके लिये भी कठिनाई उत्पन्न हुई है.
उदाहरणस्वरूप, पूर्वी अफ़्रीका में पिछले वर्ष, खाद्य सहायता की क़ीमत में औसतन 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
जानलेवा स्थिति से निपटना
यूएन महासचिव ने हिंसक संघर्ष और भूख की घातक चुनौतियों से निपटने के लिये चार क्षेत्रों में कार्रवाई का ख़ाका पेश किया है.
- हिंसक संघर्षों का अन्त करने के लिये राजनैतिक समाधानों में निवेश, नए टकरावों की रोकथाम और टिकाऊ शान्ति का निर्माण करना होगा.
- नागरिक आबादी के जीवन-व्यापन के लिये आवश्यक सामग्री, भोजन, फ़सल व मवेशी की सुरक्षा, और ज़रूरतमन्दों तक मानवीय राहतकर्मियों की पहुँच सुनिश्चित की जानी होगी.
- खाद्य असुरक्षा, ऊर्जा और वित्त पोषण के आपस में गुँथे जोखिमों को दूर करने के लिये बेहतर समन्वय और नेतृत्व प्रदान करना होगा.
- मानवीय राहत अपीलों के लिये दानदाताओं को पूर्ण रूप से समर्थन देना होगा.
भुखमरी की दस्तक
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रमुख डेविड बीज़ली ने आगाह किया कि हिंसक संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और कोविड महामारी के कारण, भूख का मानो एक तूफ़ान खड़ा हो रहा है.
उन्होंने माली, चाड, मलावी, और बुरकिना फ़ासो में अस्थिर हालात; श्रीलंका, इण्डोनेशिया, पाकिस्तान और पेरू में विरोध प्रदर्शन; इथियोपिया व अफ़ग़ानिस्तान में हिंसक टकराव; और अफ़्रीका में सूखे व अकाल का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया एक आग के घेरे में है.
“शान्ति व स्थिरता के लिये खाद्य सुरक्षा बेहद अहम है.”
बताया गया है कि 27 करोड़ 60 लाख लोगों को भोजन पाने में संघर्ष करना पड़ रहा है और 43 देशों में चार करोड़ 90 लाख लोगों के दरवाज़े पर अकाल दस्तक दे रहा है.
उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि इससे ना सिर्फ़ मौतें होंगी बल्कि अभूतपूर्व प्रवासन होगा, जिससे समाजों के अस्थिर होने का संकट है.
यूएन एजेंसी प्रमुख के अनुसार, वर्ष 2022 में खाद्य क़ीमतों में उछाल देखा गया है, मगर 2023 में भोजन की उपलब्धता ही एक बड़ी चिन्ता बन जाएगी.
डेविड बीज़ली ने खाद्य उत्पादन बढ़ाने, यूक्रेन में बन्दरगाहों को खोले जाने की अहमियत पर बल दिया है ताकि बाज़ारों में स्थिरता लाना और वैश्विक खाद्य संकटों से निपट पाना सम्भव हो सके.
समृद्धि पर संकट
खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के महानिदेशक क्यू डोंगयू ने अपने सम्बोधन में कहा कि विश्व भर में समृद्धि उलट रही है – खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा व आय कम है, जबकि विषमता बढ़ रही है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने बताया कि उनके संगठन ने सर्वाधिक निर्बलों के जीवन व आजीविका की रक्षा के लिये कृषि-खाद्य प्रणालियों को मज़बूत किया है, मगर अभी और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यदि सभी अपनी भूमिका निभाएँ, तो किसी को भी भूखे नहीं रहना होगा, और इसलिये कृषि-खाद्य प्रणालियों में निवेश किया जाना, पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है.