यूक्रेन: दस लाख लोगों ने जान बचाने के लिये छोड़ा देश, 'भेदभाव व नस्लवाद अस्वीकार्य'

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रैण्डी ने गुरूवार को कहा है कि यूक्रेन में अर्थहीन युद्ध के कारण, केवल सात दिन में दस लाख से अधिक लोग देश छोड़ कर जाने के लिये विवश हुए हैं. वहीं, यूएन प्रवासन एजेंसी (IOM) ने आगाह किया है कि यूक्रेन से जान बचाकर जाने की कोशिश कर रहे अन्य देशों के नागरिकों के साथ नस्ल, जातीयता, राष्ट्रीयता या प्रवासन दर्जे के आधार पर भेदभाव स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी प्रमुख ने बताया कि अनगिनत लोग, यूक्रेन की सीमाओं के भीतर ही विस्थापित हुए हैं.
उन्होंने कहा, “मैंने आपात शरणार्थी परिस्थितियों में क़रीब 40 वर्षों तक काम किया है, और मुझे इतनी तेज़ी से पलायन, कभी-कभार री देखने को मिला है, जैसाकि यहाँ हुआ है.”
I am alarmed about verified reports of discrimination, violence and xenophobia against third country nationals attempting to flee the conflict in #Ukraine. Discrimination on the basis of race, ethnicity, nationality or migration status is unacceptable.https://t.co/NpP4aFQXOe
IOMchief
यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक़, अगर इस टकराव पर जल्द ही विराम नहीं लगाया गया, तो लाखों अन्य लोगो के यूक्रेन से जान बचाकर भागने की आशंका है.
बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के कर्मचारी, यूक्रेन में अन्य मानवीय राहतकर्मियों के साथ मौजूद हैं, और भयावह परिस्थितियों के बीच जहाँ तक और जब भी सम्भव हो सके, अपना काम कर रहे हैं.
“भीषण जोखिम में भी हमारे कर्मचारी वहाँ रुके हैं, चूँकि हम जानते हैं कि देश में विशाल ज़रूरतें हैं.”
उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र मे शरणार्थियों के लिये संरक्षण व सहायता कार्यक्रम का दायरा व स्तर बढ़ाने के लिये, मेज़बान देशों को समर्थन देते हुए प्रयास किये जा रहे हैं.
अधिकतर शरणार्थियों ने पोलैण्ड और अन्य पड़ोसी देशों का रुख़ किया है जिनमें हंगरी, मोल्दोवा, रोमानिया और स्लोवाकिया प्रमुख हैं.
इस सिलसिले में, यूएन एजेंसी ने एक डेटा पोर्टल तैयार किया है, जिसमें आगन्तुकों के सम्बन्ध में जानकारी रखी जा रही है.
संगठन उच्चायुक्त ने शरणार्थियों को देश में अनुमति दिये जाने के लिये क्षेत्रीय सरकारों व स्थानीय समुदायों की सराहना की है, हालाँकि उन्होंने ध्यान दिलाया है कि हिंसक संघर्ष का अन्त ही इस संकट का एकमात्र समाधान है.
उन्होंने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता दिल को छूने वाली रही है. मगर बन्दूकों को शान्त करने, सम्वाद और कूटनीति की आवश्यकता का कोई अन्य विकल्प है ही नहीं.
“इस त्रासदी को टालने का एकमात्र रास्ता शान्ति है.”
इस बीच, अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने यूक्रेन में जारी हिंसा से जान बचाने के लिये सुरक्षित स्थान की ओर जाने वाले अन्य देशों के नागरिकों के साथ, भेदभाव, हिंसा और विदेशियों के प्रति नापसन्दगी व भय जताए जाने की ख़बरों पर चिन्ता जताई है.
प्रवासन संगठन के महानिदेशक एंतोनियो वितोरिनो ने गुरूवार को जारी अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि, “नस्ल, जातीयता, राष्ट्रीयता या प्रवासन दर्ज के आधार पर भेदभाव अस्वीकार्य है.”
“मैं ऐसे कृत्यों की भर्त्सना करता हूँ और देशों से इस मुद्दे की जाँच कराने व उसे पूरी तरह हल करने की मांग करता हूँ.”
प्राप्त ख़बरों के अनुसार, यूक्रेन में रह रहे बड़ी संख्या में अन्य देशों के पुरुषों, महिलाओं व बच्चों को हिंसा प्रभावित इलाक़ों से बाहर निकलने में कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
अफ़्रीकी मूल के लोगों, प्रवासी कामगारों और छात्रों समेत अन्य देशों के नागरिकों को सीमा पार करके पड़ोसी देशों में पहुँचना और जीवनरक्षक सहायता पाना मुश्किल साबित हो रहा है.
“हमें भेदभाव किये जाने की ख़बरें मिली हैं, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के जोखिम व पीड़ा बढ़े हैं.”
यूएन प्रवासन एजेंसी प्रमुख वितोरिनो ने सचेत किया है कि पड़ोसी देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि यूक्रेन से भागकर आ रहे सभी लोगों को उनके दर्जे की परवाह किये बिना, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अनुरूप अपने क्षेत्र में जगह दी जाए.
“बिना किसी भेदभाव के और सांस्कृतिक नज़रिये से उपयुक्त तौर-तरीक़ों के ज़रिये, संरक्षण व तत्काल सहायता दी जानी होगी, मानवीय अनिवार्यता के अनुरूप.”
इस क्रम में, उन्होंने योरोपीय आयोग के उस प्रस्ताव का स्वागत किया है, जिसके तहत, यूक्रेन से बचकर जाने वाले लोगों की सहायता के लिये अस्थाई संरक्षण निर्देश सक्रिय किया गया है.
साथ ही, सदस्य देशों से इन संरक्षण उपायों में अन्य देशों के नागरिकों का भी समावेश किये जाने का आग्रह किया है.